भोपाल के वरुण ने किया देश का नाम रोशन, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर लहराया तिरंगा

वरुण वडेरिया ने 5,642 मीटर ऊंचे पर्वत पर तिरंगा फहराकर न सिर्फ मध्यप्रदेश का बल्कि देश को गौरवान्वित करने का काम किया है. आपको बता दें कि भोपाल के वरुण वडेरिया महज़ 8 घंटे में 5,642 मीटर ऊंचे पर्वत पर चढ़ गए.

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वरुण वडेरिया ने 5,642 मीटर ऊंचे पर्वत पर तिरंगा फहराकर न सिर्फ मध्यप्रदेश का बल्कि देश को गौरवान्वित किया है. आपको बता दें कि भोपाल के वरुण वडेरिया महज 8 घंटे में 5,642 मीटर ऊंचे पर्वत पर चढ़ गए. भोपाल के वरुण वडेरिया मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड में ज्वाइंट डायरेक्टर हैं. वरुण पर्वतारोहण में बेहद प्रशिक्षित हैं और उनका लक्ष्य सेवन समिट (सप्त चोटी) पर तिरंगा फहराने का है. माइनस 10 डिग्री टेम्प्रेचर, बफीर्ली हवाओं की रफ्तार, इन तमाम चुनौतियों के बीच वरुण ने 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से खड़ी चढ़ाई की. 

यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर गूंजा गायत्री मंत्र 

भोपाल के वरुण वडेरिया ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा फहराया है. यही नहीं, उन्होंने यहां पर गायत्री मंत्र भी पढ़ा. इतनी चुनौतीपूर्ण चढ़ाई करके वरुण वडेरिया ने अपना अनुभव साझा किया. वरुण का कहना है कि ‘माउंट एल्ब्रुस' पर चढ़ाई करना उनके लिए आसान नहीं था. जानकारी के लिए बता दें, कि दुनिया में ऐसे बेहद कम लोग हैं जिन्होंने इस लक्ष्य को हासिल किया है. 

कितनी मुश्किल है चढ़ाई... यह भी जान लीजिए 

वरुण वडेरिया ने इस लक्ष्य को हासिल करने के बाद बताया कि 5,642 मीटर ऊंचे ‘माउंट एल्ब्रुज' पर चढ़ाई करना बेहद ही चुनौतीपूर्ण था. जहां अधिक ऊंचाई पर तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच जाता है. यही नहीं, इतनी ऊंचाई पर हवा की रफ्तार भी तेज़ रहती है. चढ़ाई के साथ-साथ हवा और ठंड से गुज़रना भी आपके लिए कठिन परीक्षा रहती है. बताते चलें कि माउंट एल्ब्रुज पर तिरंगा फहराने के साथ-साथ वरुण ने वहां पर मप्र टूरिज्म का झंडा भी गाड़ा.

योग और प्राणायाम से रास्ता हुआ आसान 

आपको बता दें कि अपने इस लक्ष्य को हासिल करने के वरुण ने कई स्तर पर तैयारी की थी. वरुण बीते 2 माह से दौड़ और योग का अभ्यास कर रहे थे. उन्होंने बताया कि माउंट एल्ब्रुज पर ऑक्सीजन लेवल के साथ हवा कम हो जाती है. जिसकी वजह से सांसे फूलने लगती है. चूंकि उन्होंने योग और प्राणायाम का अभ्यास किया था तो इस वजह से उन्हें काफी मदद मिली और उन्होंने समय से पहले ही चढ़ाई पूरी करके इस लक्ष्य को हासिल किया. 

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