MP के नर्मदा बेसिन में मछलियों की एक नई प्रजाति की हुई खोज, जानिए क्या हैं खूबियां

Fish Survey: इंडोरियोनेक्टीज़ महाडेओएन्सिस मछली की खोज मध्य भारत की समृद्ध जल जैव-विविधता और सतपुड़ा पर्वतमाला के संवेदनशील पारिस्थितिक महत्व को उजागर करती है. यह खोज बताती है कि इस क्षेत्र में कई ऐसी प्रजातियाँ अभी भी मौजूद हैं, जिनके संरक्षण और आवास सुरक्षा के लिये वैज्ञानिक अध्ययन और प्रयासों की आवश्यकता है.

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New Fish Species Discovered: MP के नर्मदा बेसिन में मछलियों की एक नई प्रजाति की हुई खोज, जानिए क्या हैं खूबियां

Unique Fish Found in MP: मध्यप्रदेश के नर्मदा नदी बेसिन से मीठे पानी की नेमाचिलिड लोच नदी-नालों के तल में रहने वाली मछलियों की एक नई प्रजाति इंडोरियोनेक्टीज़ महाडेओएन्सिस (Indorionectes Mahadeoensis) की खोज की गयी है. यह खोज वैज्ञानिक द्वारा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura Tiger Reserve) के दक्षिणी-पूर्वी भाग में महादेव पहाड़ी (Mahadev Pahadi) की धारा पचमढ़ी (Pachmarhi) क्षेत्र में किये गये मछली सर्वेक्षण (Fish Survey) के दौरान हुई. इंडोरियोनेक्टीज़ महाडेओएन्सिस मछली की खोज मध्य भारत की समृद्ध जल जैव-विविधता और सतपुड़ा पर्वतमाला के संवेदनशील पारिस्थितिक महत्व को उजागर करती है. यह खोज बताती है कि इस क्षेत्र में कई ऐसी प्रजातियाँ अभी भी मौजूद हैं, जिनके संरक्षण और आवास सुरक्षा के लिये वैज्ञानिक अध्ययन और प्रयासों की आवश्यकता है.

इन्होंने की खोज

भारतीय वन्य-जीव संस्थान देहरादून की वैज्ञानिक मेघना घोष और जयराज एंटनी जॉनसन और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान कोलकाता की वैज्ञानिक अनुराधा भट्ट द्वारा संयुक्त रूप से अध्ययन कर नई मछली प्रजाति की खोज की गयी है. सर्वेक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने एक ऐसी लोच मछली देखी, जिसकी शारीरिक आकृति मौजूदा ज्ञात प्रजातियों से अलग दिखायी दे रही थी. विस्तृत टैक्सोनोमिक और अनुवांशिक अध्ययन में यह पुष्टि हुई कि यह एक पूरी तरह नई अब तक की अवर्णित प्रजाति है. यह प्रजाति महादेव स्ट्रीम क्षेत्र में पायी गयी, इसलिये इसे महादेव पहाड़ी के नाम से इंडोरियोनेक्टीज़ महाडेओएन्सिस नाम दिया गया.

ऐसी हैं खूबियां

मछली की नई प्रजाति में कई विशिष्ट गुण पाये गये हैं. इनमें पृष्ठीय पंख में 8 शाखित किरणें, गुदा पंख में 7 शाखित किरणें, लम्बी नासिका बार्बेल्स और शरीर के दोनों ओर विभाजित ऊर्ध्व पट्टियाँ पायी गयी हैं, जो अन्य सह-प्रजातियों से अत्यधिक भिन्न पायी गयी हैं. लोच मछलियाँ पारिस्थितिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं. तल आधारित जीव होने के कारण ये पोषक तत्व पुनर्चक्रण, जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की सफाई तथा मीठे पानी के पर्यावरण की स्वस्थ स्थिति के जैव सूचक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इनके महत्व के बावजूद, कई लोच प्रजातियाँ आवास विनाश, बाँध निर्माण, प्रदूषण और अत्यधिक दोहन का सामना कर रही हैं, जिससे इनकी प्राकृतिक आबादी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.

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