उज्जैन की तकिया मस्जिद गिराने का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, 200 साल से नमाज अदा करने का दावा

Ujjain Takiya Masjid Case: सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन की 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद गिराने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि विध्वंस वैधानिक योजना के तहत हुआ और मुआवजा भी दिया गया है. यह विवाद Mahakal Temple Parking विस्तार से जुड़ा है.

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Ujjain Takiya Masjid Case: मध्य प्रदेश के उज्जैन की तकिया मस्जिद एक बार फिर सुर्खियों में है. सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के तकिया मस्जिद गिराने के फैसले को चुनौती दी गई थी. यह याचिका उज्जैन के 13 निवासियों ने दायर की थी, जो दावा करते हैं कि वे 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद में नमाज अदा करते थे. उनका आरोप था कि मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन महाकाल मंदिर परिसर की पार्किंग सुविधा बढ़ाने के लिए इस मस्जिद को गिरा दिया.

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि विध्वंस और भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई कानून के तहत हुई थी और इसके लिए उचित क्षतिपूर्ति (मुआवजा) भी दी गई है. पीठ ने यह भी कहा कि यह कार्य वैधानिक योजना के तहत आवश्यक था और संबंधित अधिनियमों के अनुरूप किया गया. 

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अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही इस मामले पर हाईकोर्ट में दायर याचिका वापस ले चुके थे, इसलिए अब वे दोबारा उसी मुद्दे पर राहत नहीं मांग सकते. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील एम.आर. शमशाद ने दलील दी कि हाईकोर्ट का निर्णय गलत था और यह कहा कि हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की कि व्यक्ति अपने घर या किसी अन्य स्थान पर नमाज पढ़ सकता है. यह तर्क अनुचित है.

कोर्ट ने जवाब में कहा कि हाईकोर्ट ने सही निर्णय दिया है. याचिका पहले वापस ली गई थी और मुआवजा दिया जा चुका है. जब शमशाद ने यह कहा कि मुआवजा अनधिकृत लोगों को दिया गया, तो कोर्ट ने टिप्पणी की कि इसके लिए आपके पास संबंधित अधिनियमों के तहत अन्य उपाय उपलब्ध हैं. शमशाद ने यह भी कहा कि यह मामला गंभीर है क्योंकि एक धार्मिक स्थल की पार्किंग के लिए दूसरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया.

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याचिकाकर्ताओं का दावा है कि तकिया मस्जिद को वर्ष 1985 में वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था और यह जनवरी 2024 तक सक्रिय रूप से उपयोग में थी. उन्होंने कहा कि विध्वंस से Places of Worship Act, 1991, Waqf Act, 1995 और Land Acquisition & Rehabilitation Act, 2013 का उल्लंघन हुआ है. यह याचिका वकील वैभव चौधरी के माध्यम से दायर की गई थी और इसे सीनियर एडवोकेट एम.आर. शमशाद ने तैयार किया था.