शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर मैदान में उतरा अखाड़ा परिषद, संत बोले- 'राम घाट पर जल आचमन के लायक नहीं'

Shipra River: अखाड़ा परिषद महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने कहा कि शासन से मांग है कि सिंहस्थ 2016 से पूर्व रामघाट के कुछ भाग से गाद निकाली गई थी. इसलिए अब भी जहां से घाट निर्माण कार्य हो रहा है, वहां से रामघाट तक के क्षेत्र में बड़ी मशीन उतार कर गाद निकाली जाए.

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Ujjain News: मध्य प्रदेश के उज्जैन में दो दलों में बंटने के बाद संतो ने वर्चस्व साबित करने के लिए व प्रशासन पर अपना दबाव बनाने की तैयारी शुरू कर दी. इसी के चलते अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने रामघाट पर जल को आचमन के योग्य नहीं बताते हुए शिप्रा नदी की सफाई की मांग की है.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी जी,अखाड़ा परिषद महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि जी, दत्त अखाड़ा के गादीपति पीर श्रीमहंत सुंदर पुरी सहित अन्य संतों ने शिप्रा के हरिहर घाट से लेकर छोटी रपट तक दौरा किया. इस दौरान संतो ने शिप्रा जल का आचमन करने के पश्चात कहा रामघाट पर  जल आचमन योग्य नहीं है. शासन प्रशासन को गंभीरता से ध्यान देना होगा. अध्यक्ष रविंद्र पुरी जी ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को अखाड़ा परिषद ने पत्र देकर मांग की थी की शिप्रा शुद्धिकरण और गहरीकरण पर ध्यान दें.

शिप्रा से गाद निकाले

अखाड़ा परिषद महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने कहा कि शासन से मांग है कि सिंहस्थ 2016 से पूर्व रामघाट के कुछ भाग से गाद निकाली गई थी. इसलिए अब भी जहां से घाट निर्माण कार्य हो रहा है, वहां से रामघाट तक के क्षेत्र में बड़ी मशीन उतार कर गाद निकाली जाए. सिंहस्थ 2028 के बड़े निर्माण कार्यों पर जैसे ध्यान दिया जा रहा है. उसी प्रकार शिप्रा नदी के शुद्धिकरण पर भी ध्यान दें. इससे नदी का जो जल स्रोत रुका है, वह पुनः प्रारंभ हो सके.

दल की ताकत दिखाने की होड़

बता दें कि चार दिन पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पूरी जी ने स्थानीय अखाड़ा परिषद को अमान्य कर दिया था. इसके बाद वैष्णव अखाड़े ने रामा दल अखाड़ा परिषद का गठन कर दावा किया था कि अब प्रशासन को सिंहस्थ संबंधी कार्यों के लिए उनसे अलग बैठक करना होगी. दोनों दलों के बीच खींचतान और धमकी का ही परिणाम है कि दोनों दल प्रशासन पर दबाव के लिए मांग कर अपनी ताकत दिखाने का प्रयास कर रहे हैं.

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