Liquor offered to Mata at 24 Khamba temple: मध्य प्रदेश के उज्जैन में कई अनूठी परंपरा है. इन्हीं में एक शारदीय नवरात्र में अष्टमी पर दो माताओं को मदिरा का भोग लगाने की है. इस परंपरा के चलते मंगलवार सुबह कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने 24 खंबा मंदिर पर माताओं को मदिरा का (पिलाई) भोग लगाया, जिसके बाद 27 km नगर सीमा पर मदिरा की धार लगाने के लिए दल रवाना हो गया.
24 खंबा मंदिर में महालया और महामाया माता को लगाया गया मदिरा का भोग
महाकाल मंदिर से करीब 500 मीटर दूरी पर 24 खंबा मंदिर है, जिसमें महालया माता ओर उनकी छोटी बहन महामाया माता विराजित है. मंगलवार सुबह महाअष्टमी पर यहां पारंपरिक शासकीय पूजा की गई, जिसमें परंपरानुसार कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने दोनों माता को सोलह श्रृंगार की सामग्री, चुनरी और बड़ बाखल अर्पित कर मदिरा की बोतल प्रतिमा के मुंह से लगाकर भोग लगाया. इसके बाद ढोल-नगाड़ों के साथ माता की महा आरती सम्पन्न हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और मदिरा का प्रसाद ग्रहण किया. इस दौरान एसपी प्रदीप शर्मा सहित कई अधिकारी मौजूद थे.
27 KM की यात्रा और 40 मंदिरों में पूजन
चौबीस खंबा मंदिर में पूजन के बाद कोटवार परंपरानुसार मदिरा से भरी मिट्टी की हांडी लेकर रवाना हुए. गाजे बाजे से निकला दल हांडी से 27 किलोमीटर तक नगर भ्रमण कर मदिरा की धार लगाएगा. 12 घंटे तक चलने वाली परिक्रमा के दौरान चामुंडा माता, भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी सहित 40 देवी, भैरव व हनुमान मंदिरों में पूजा की जाएगी. बता दें कि माताजी और भैरवजी को मदिरा का भोग लगाते हैं. वहीं हनुमान मंदिरों में ध्वजा अर्पित की जाती है. नगर पूजा रात करीब 8 बजे गढ़कालिका माता मंदिर में पूजन के बाद समीप भैरव मंदिर में पूजन के बाद हांडी फोड़कर संपन्न होगी.
राजा विक्रमादित्य करते थे पूजन
नगर पूजा के संबंध में मान्यता है कि राजा सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल से ही चौबीस खंबा माता मंदिर में नगर पूजा की जाती है. विक्रमादित्य महामाया और महामाया के साथ ही भैरव का पूजन करते थे. इसमें माता और भैरव को भोग लगाने के साथ मदिरा का भोग लगाने के बाद पूरे नगर में मदिरा की धार इसलिए लगाई जाती है. जिससे नगर में समृद्धि और खुशहाली और प्राकृतिक प्रकोप से बचाव हो और अतृप्त आत्माएं तृप्त होकर नगर की रक्षा करें. दशकों पहले नियम बदले ओर जिलाधीश को इस पूजा की जिम्मेदारी सौंपी गई.