Cyber Tehsil से बदल गया पूरा सिस्टम, अब न तहसील जाने का झंझट और न तहसीलदार का लंबा इंतजार...

MP Cyber Tehsil: प्रदेश में साइबर तहसील की मदद से कई लोगों को मदद मिली है. कई दिनों से पेंडिंग मामलों का निपटारा आसानी से हो रहा है.

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Bhopal News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में साइबर तहसील (Cyber Tehsil) की मदद से पिछले 6 माह में एक लाख से अधिक किसानों के पास नामांतरण आदेश (Transfer Order) पहुंचाएं गए हैं. नामांतरण आदेश ई-मेल और व्हाट्सएप पर भेजे गए. साइबर तहसील से 20 दिन से कम समय में नामांतरण आदेश हुए, जबकि पारंपरिक तहसील से नामांतरण में 70 दिन से अधिक का समय लगता है. साइबर तहसील व्यवस्था से किसानों के हित में सकारात्मक बदलाव आए है. बता दें कि साइबर तहसील की कार्यप्रणाली को देश में सबसे पहले लागू करने वाला राज्य मध्य प्रदेश ही है.

नामांतरण को लेकर दी जानकारी

प्रमुख राजस्व आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव ने बताया कि साइबर तहसील की शुरुआत 29 फरवरी 2024 को की गई. शुरुआत में सभी खसरा के क्रय-विक्रय की रजिस्ट्री के आधार पर साइबर तहसील से नामांतरण की व्यवस्था की गई. साइबर तहसील 1.0 की सफलता के बाद अगस्त माह में साइबर तहसील 2.0 की शुरुआत की गई. इसके लागू होने से सम्पूर्ण खसरा के साथ खसरा के भाग, हिस्सा के क्रय विक्रय के नामांतरण की व्यवस्था भी साइबर तहसील से होने लगी है.

साइबर तहसील से हो रही लोगों की मदद

लोगों की हो रही मदद

साइबर तहसील व्यवस्था को सुचारु  रूप से संचालन के लिए तहसीलदार और नायब तहसीलदार के पदों की संख्या को 11 से बढ़ाकर 25 किया गया है. साइबर तहसील व्यवस्था सभी 55 जिलों में प्रभावशील है, जो पूरी तरह से पेपरलेस और फेसलेस ऑनलाइन व्यवस्था है. इसमें आवेदक को नामांतरण के लिए आवेदन नहीं करना होता और न ही तहसील कार्यालय के चक्कर लगाना पड़ते हैं. आवेदक को लंबा इंतजार भी नहीं करना पड़ता है.

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अन्य राज्य भी आ रहे हैं अध्ययन के लिये

साइबर तहसील में नामांतरण की प्रक्रिया सेल डीड होने के साथ शुरू हो जाती है. रजिस्ट्री होने के तुरंत बाद रजिस्ट्री डाटा रेवेन्यू पोर्टल पर ट्रांस्फर कर दिया जाता है. इसके बाद क्रेता-विक्रेता को एस.एम.एस. से सूचना भेजने के साथ संबंधित ग्रामवासियों को एसएमएस से सूचना दी जाती है. पटवारी रिपोर्ट भी ऑनलाइन प्राप्त हो जाती है. इसके बाद केस फिट होने पर नामांतरण आदेश पारित कर दिया जाता है. आदेश पारित होने के तुरंत बाद  भू-अभिलेख अपडेट कर दिया जाता है और संबंधित को ई-मेल व्हाट्सएप पर नामांतरण आदेश भेज दिया जाता है. 

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