सिवनी में 3 साल से टूटा पड़ा है पुल, कमर तक पानी से गुजर कर जाना पड़ता है छात्रों को

मध्यप्रदेश के सिवनी के भीमगढ़ में एक पुल बीते 3 सालों से टूटा पड़ा है लेकिन किसी भी जिम्मेदार पदाधिकारी की उस पर निगाह नहीं पड़ी या यूं कह लें कि देख कर भी अनदेखा किया जा रहा है.शासन-प्रशान की अनदेखी की वजह से इलाके के 20 से 25 गावों के लोगों का संपर्क शहर से टूटा पड़ा है.

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मध्यप्रदेश के सिवनी के भीमगढ़ में एक पुल बीते 3 सालों से टूटा पड़ा है लेकिन किसी भी जिम्मेदार पदाधिकारी की उस पर निगाह नहीं पड़ी या यूं कह लें कि देख कर भी अनदेखा किया जा रहा है.शासन-प्रशान की अनदेखी की वजह से इलाके के 20 से 25 गावों के लोगों का संपर्क शहर से टूटा पड़ा है. करीब 22 हजार की आबादी के लिए ये पुल लाइफलाइन साबित हो सकती थी लेकिन आलम ये है कि उन्हें कमर तक पानी में डूब कर नदी पार करना पड़ता है.

यहां पुल 3 सालों से टूटा पड़ा है. जिसकी वजह से लोगों के पास नदी पार करने के अलावा कोई चारा नहीं है. नदी पार करते समय कई बार एंबुलेंस भी फंस जाती है, जिन्हें ट्रैक्टर के सहारे से निकालना पड़ता है.

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जिसकी वजह से स्कूल के बच्चे कमर कमर तक पानी में डूब कर यह नदी पार करते हैं वहीं आए दिन एंबुलेंस इस नदी में फंस जाती है जिसे कई बार ट्रैक्टर की सहायता से बाहर निकालना पड़ता है. दरअसल तीन साल पहले भीमगढ़ के इस पुल का निर्माण हुआ था. लेकिन नवनिर्मित पुल उस समय ताश के पत्तों की तरह ढह गया जब भीमगढ़ डैम के गेट खोले गए. नदी में अचानक ज्यादा पानी आ जाने से पुल टूट गया. तब काफी हो-हल्ला मचा था. पूरे मामले की जांच कराने की बात कही गई थी लेकिन इतना वक्त गुजर जाने के बावजूद न तो कोई जिम्मेदार पकड़ा गया और न ही जांच रिपोर्ट सामने आई. पुल भी जस का तस टूटा पड़ा है.

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इस पुल का एक बार टेंडर निकाला गया था किंतु एक ही फर्म ने इस टेंडर को भरा था जिसके चलते इस निविदा को कैंसिल करना पड़ा. क्योंकि नियम से किसी भी टेंडर में तीन फार्मो का आना अति आवश्यक है, वहीं अभी दूसरी बार भी इसकी निविदा निकालने की प्रक्रिया की जा रही है जो कि जल्द से जल्द पूर्ण होगी

राकेश पाल

विघायक

यह मार्ग छपरा और भीमगढ़ को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है. 3 साल से यहां के ग्रामीण बरसात होने पर बहुत ही विकट हालातों का सामना करते हैं.बरसात में यदि कोई बीमार हो जाए तो यह निश्चित नहीं हो पता कि वह सुरक्षित जिला चिकित्सालय तक पहुंच ही जाएगा. ग्रामीणों के पास इस नदी को पार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.

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