Teacher's Day पर सम्मानित होंगी ये दो शिक्षकाएं, चुनौतियों के बीच में ऐसे किया काम, अब हो रही तारीफ

Teacher's Day 2024: पांच सितंबर को राजभवन रायपुर में राज्य स्तरीय सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा. खास बात ये है कि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से शिक्षिका स्वप्निल पवार और अर्चना सेमुएल मसीह को भी उनके विशेष कार्य के लिए सम्मानित किया जाएगा. जानें इन्होंने ऐसा क्या किया है...

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Chhattisgarh News Hindi: छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की शिक्षिका स्वप्निल पवार और अर्चना सेमुएल मसीह को राज्य शिक्षक सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. आगामी 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के दिन राजधानी रायपुर में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में राज्यपाल शिक्षकों को पुरस्कृत करेंगे.सहायक शिक्षक स्वप्निल पवार जो वर्तमान में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पेंड्रा में व्यायाम शिक्षिका हैं. वहीं, अर्चना सामुएल मसीह गोरेला पेंड्रा मरवाही जिले की स्काउट गाइड की जिला समन्वयक हैं. दोनों शिक्षिकाओं को शिक्षा विभाग की ओर से आमंत्रण पत्र प्राप्त हो गया.

स्कूल आनें से यहां बचते थे छात्र

सम्मानित होने वाली शिक्षकाओं ने बताया कि प्राथमिक शाला नेवरी नवापारा मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर खोडरी के जंगलों में बसा भैना जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है. यहां पालक बच्चों को विद्यालय और पढ़ाई में किसी भी प्रकार की रुचि नहीं थी. उपस्थिति औसत भी अत्यंत दयनीय थी.

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आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे छात्र

 प्रारंभिक वर्ष में पालक एसएमसी सदस्य विद्यालय के प्रति उदासीन थे. बच्चे भी किसी प्रकार की गतिविधियों में भाग नहीं लेते थे. स्वच्छता के प्रति भी बच्चों का ध्यान नहीं था. ज्यादातर बच्चे कक्षा आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे. विद्यालय की भौतिक आंतरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए शिक्षकों द्वारा प्रयास किया गया. पहले महिला पालकों से संपर्क किया गया.विद्यालय में समय- समय पर छोटे-छोटे कार्यक्रम आयोजित किए गए. जिसमें पालकों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी.

स्कूल से जोड़ने के लिए शुरू की गई ये पहल..

महिला दिवस, बाल मेला, पालक व बच्चों के बीच रंगोली, खेल आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता गया, जिससे बच्चों, पालकों, शिक्षकों के संबंधों में सुधार हुआ. फिर धीरे-धीरे पालक विद्यालय के महत्व को समझते हुए बच्चों को स्वयं विद्यालय लेकर आने लगे. अपने बच्चों के साथ मोहल्ले के अन्य बच्चों को भी विद्यालय लेकर आने लगे. शिक्षकों द्वारा लगातार पालकों से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष फोन ‌द्वारा संपर्क रखकर बच्चों के विकास की जानकारी दी जाने लगी.

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छोटे-छोटे नाटक पर रोलप्ले करवाया गया

बच्चों को विद्यालय से प्रतिदिन गृह कार्य दिया जाने लगा, जिसे बालकों द्वारा बच्चों को घर में पढ़कर शिक्षक के पास भेजते हैं. विद्यालय में नवाचार का प्रयोग किया गया. जैसे हिंदी-अंग्रेजी के पाठ को रुचिकर बनाने के लिए छोटे-छोटे नाटक पर रोलप्ले वेशभूषा सहित प्रदर्शन किया जाता है.

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आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए दिया गया मंच

पाठ संबंधित कविता को हाव-भाव संगीत के साथ नृत्य प्रस्तुत किया जाने लगा, जिससे पाठ की अवधारणा ठोस रूप में बच्चों के स्मरण में स्थापित होने लगी. पर्यावरण विषय के सभी विषय वस्तु की अवधारणा स्पष्ट करने के लिए बच्चों को स्वयं प्रयोग सीखने का अवलोकन करने जैसे शिक्षा दी जाने लगी. गणित विषय सहायक सामग्री की अधिक से अधिक स्वयं करने पर जोर दिया जाने लगा. बच्चों में आत्मविश्वास नेतृत्व जैसे गुणों के साथ व्यक्तित्व निखार के लिए बच्चों को ज्यादा से ज्यादा मंच में आने का अवसर गीत, नृत्य, भाषण कहानी आदि प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया गया. विद्यालय वार्षिक उत्सव एवं दर्शन करने का अवसर प्राप्त किया गया.

शुरू की अनोखी पहल

इसके बाद एसएमसी सदस्यों का भी अत्यधिक रुचि विद्यालय में होने वाली गतिविधियों पर होने लगी. सत्र 2022-23 में क्षेत्र में बहुत अधिक ठंड होने के कारण एसएमसी सदस्यों, पालक, शिक्षकों की मदद से विद्यालय के 100% बच्चों को स्वेटर प्रदान किया गया. यह जिले में एक अनोखी व प्रेरणादायक पहल थी. इसी प्रकार समाज सेवी संस्था द्वारा शिक्षकों की पहल से बच्चों को जूता मोजा कॉपी पेंसिल वितरण किया गया.

खेल-खेल में सीखने लेगे ये सब

इन सभी गतिविधियों द्वारा बच्चों में विद्यालय के प्रति बहुत अधिक लगाव होने लगा.  विद्यालय में चित्र रंगोली कागज के खिलौने शारीरिक विकास के लिए योगा एरोबिक्स करते हैं.  10 प्रकार की तालियों का प्रदर्शन करते हैं. विद्यालय में सहायक सामग्री द्वारा पढ़ाई होती है. स्वच्छता परीक्षण समय-समय पर होता है. गांव के सफल व्यक्तियों से बच्चों के आचार विचार प्रदान किए जाते हैं, जिससे प्रेरित होकर कुछ जीवन में अच्छा बन सकें.

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बच्चों में रुचि जागृत हुई

इन सभी नवाचार गतिविधियों से बच्चों में बहुत अधिक आत्मविश्वास बढ़ा है. पढ़ाई के प्रति बच्चों में रुचि जागृत हुई है. बच्चों ने क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है बच्चे पढ़ाई नहीं छोड़ रहे हैं उच्च शिक्षा जारी रखे हैं. एकलव्य विद्यालय, कस्तूरबा गांधी विद्यालय, गुरुकुल वि‌द्यालय में भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

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