स्कूल क्लास में बैठे छात्र एक-एक कर होने लगे बेहोश, मचा हड़कंप, लक्षण देख चिकित्सकों ने खड़े किए हाथ

Rewa School Student unconscious: स्कूल में एक-एक कर बेहोश हुए छात्र लगातार उल्टियां कर रहे थे. यह नजारा देख स्कूल प्रंबंधन के हाथ-पांव फूल गए. इलाज के लिए अस्पताल ले जाए बच्चों के लक्षण सामान्य माना गया, लेकिन जब ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ने लग गई, तो चिकित्सकों ने भी अपना सिर पकड़ लिया.

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स्कूल में बेहोश हुए छात्रों को अस्पताल ले जाते हुए

Rewa School: रीवा जिले के एक प्राइवेट स्कूल में सोमवार को उस वक्त अफरातफरी मच गई जब क्लास में बैठे 10 छात्र एक-एक करके बेहोश होने लग गए. छात्रों को बेहाश होता स्कूल प्रबंधन के हाथ-पांव सुन्न पड़ गए. आनन-फानन में सभी बच्चों को अस्पताल में जाया गया, जहां उनका उपचार किया गया, लेकिन चिकित्सकों ने बेहोश हुए छात्रों के लक्षणों को देख अपने हाथ खड़े कर दिए. 

स्कूल में एक-एक कर बेहोश हुए छात्र लगातार उल्टियां कर रहे थे. यह नजारा देख स्कूल प्रंबंधन के हाथ-पांव फूल गए. इलाज के लिए अस्पताल ले जाए बच्चों के लक्षण सामान्य माना गया, लेकिन जब ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ने लग गई, तो चिकित्सकों ने भी अपना सिर पकड़ लिया.

कुल 9 से 10 स्कूली बच्चे उल्टियां करते-करते बेहोशी की स्थिति में पहुंच गए

रिपोर्ट के मुताबिक कुल 9 से 10 स्कूली बच्चे उल्टियां करते-करते बेहोशी की स्थिति में पहुंच गए. सूचना के बाद जिला प्रशासन ने बच्चों को देर शाम संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां बच्चों का उपचार किया गया और 10 में  3 बच्चों को छोड़कर सभी को छुट्टी दे दी गई है.

चाइल्ड स्पेशलिस्ट बोले, ऐसा नजारा पहले न कभी देखा था, न कभी सुना है

मामले पर चाइल्ड स्पेशलिस्ट ने कहा कि उन्होंने इसके पहले ऐसा नजारा पहले न कभी देखा था, ना ही सुना था. फिलहाल बच्चों की हालत बेहतर है. घटना की सूचना पर मौके पर संजय गांधी अस्पताल के अधीक्षक राहुल मिश्रा चाइल्ड स्पेशलिस्ट नरेश बजाज भी अस्पताल पहुंच गए. राहत की बात यह है बच्चे पूरी तरीके से ठीक है.

जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा गुप्ता का कहना है कि डॉक्टरों की टीम ने बच्चों का निरीक्षण किया है. बच्चे ठीक है, अगर स्वास्थ्य विभाग चाहे तो बच्चों की यह स्थिति क्यों हुई, इस बात की जांच कर सकता है. उन्होंने आगे कहा, मैं भी स्कूल जाऊंगा, और देखूंगा, आखिर ऐसा कैसे हुआ

रीवा जिला डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला का गृहनगर है

गौरतलब है रीवा स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला का गृहनगर है और वर्तमान समय में लगभग हर हफ्ते अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिसका असर भी दिखाई पड़ने लगा है. पहले जहां कोई भी कैजुअल्टी होने पर डॉक्टर को पहुंचने में वक्त लगता था, लेकिन अब कैजुअल्टी की जानकारी मिलते डाक्टर से लेकर अधिकारी भी अस्पताल पहुंच रहे हैं.

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अधीक्षक से लेकर सभी स्पेशलिस्ट डाक्टर अस्पताल में मौजूद रहे

कुछ ऐसा ही हुआ जब स्कूल में बेहोश हुए छात्रों को संजय गांधी अस्पताल में लाया, तो अधीक्षक से लेकर सभी स्पेशलिस्ट डाक्टर की अस्पताल में मौजूद रहे और अपनी निगरानी में बच्चों का उपचार कराया. बीमार हुए बच्चों की हालत पहले से बेहतर है. दो-तीन बच्चों को छोड़कर सभी को छुट्टी देने की बात डॉक्टर कह रहे हैं. 

चाइल्ड स्पेशलिस्ट नरेश बजाज ने कहा कि कभी-कभी ऐसा हो जाता है, एक बच्चे को उल्टी करता देख दूसरे बच्चे भी उल्टियां करने लगत हैं, लेकिन यह पहली बार देखा है. जहां एक-एक करके 10 बच्चे उल्टियां करते-करते बेहोश हो हुए. उन्होंने कहा कि मामले की जांच की कही है.

रायपुर कर्चुलियान के सुपर विकास शिशु हाई स्कूल उमरी में हुआ हादसा

हादसा जिले के रायपुर कर्चुलियान अंतर्गत, सुपर विकास शिशु हाई स्कूल उमरी में हुआ. रोज की तरह स्कूल गए बच्चे स्कूल की क्लास में बैठे थे और लंच के बाद एक के एक बच्चे टीचर से सीने में दर्द के बाद उल्टियां करने लगे और बेहोश होने लग गए. स्कूल प्रबंधन ने फौरन बच्चों को इलाज के लिए संजय गांधी अस्पताल भिजवा दिया.

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चिकित्सक ने बच्चों के लक्षणों को देखते हुए मामले की जांच की बात कही

चाइल्ड स्पेशलिस्ट नरेश बजाज ने बच्चों के लक्षणों को देखते हुए कहा कि कभी-कभी ऐसा हो जाता है, एक बच्चों को उल्टी करता देख दूसरे बच्चे भी उल्टियां करने लगते हैं, लेकिन यह पहली बार देखा है. जहां एक-एक करके 10 बच्चे उल्टियां करते-करते बेहोश होने लगे. उन्होंने कहा कि मामले की जांच की कही है.

उल्टियां करते-करते बेहोश हुए छात्रों की बात सुन हर कोई हुआ हैरान

मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा गुप्ता का कहना है कि डॉक्टरों की टीम ने बच्चों का निरीक्षण किया है. बच्चे ठीक है, अगर स्वास्थ्य विभाग चाहे तो बच्चों की यह स्थिति क्यों हुई, इस बात की जांच कर सकता है. उन्होंने आगे कहा, मैं भी स्कूल जाऊंगा, और देखूंगा, आखिर ऐसा कैसे हुआ, क्योंकि ऐसी घटनाएं आमतौर पर किसी भी स्कूल में नहीं देखी जाती है.

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