कुत्तों से सावधान! बच्ची के हाथ में रह गया स्ट्रीट डॉग का दांत, दो दिन में 11 लोगों को काटा 

उज्जैन के मोहन नगर में street dog menace India का सच सामने आया जहां दो दिनों में 11 लोगों को stray dog attacks India के तहत काटा गया. पांच वर्षीय बच्ची के हाथ में कुत्ते का दांत फंसा रहा. इस urban stray dog crisis ने मोहल्लों में दहशत फैला दी.

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Dog Bite Incidents 2025: मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में आवारा कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा. हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोग घरों के दरवाजे खोलने से भी डरने लगे हैं. मोहन नगर इलाके में तो सिर्फ दो दिनों में 11 लोगों को स्ट्रीट डॉग्स ने काट लिया. इनमें एक पांच साल की मासूम बच्ची भी शामिल है, जिसके हाथ में कुत्ते का दांत फंसा रह गया. यह नजारा देखकर इलाके में दहशत फैल गई है.

मोहन नगर के निवासी कुलदीप नागर ने बताया कि उनकी पांच वर्षीय बेटी परी जब घर से बाहर खेलने निकली, तभी एक स्ट्रीट डॉग ने अचानक हमला कर दिया. कुत्ते ने बच्ची के हाथ पर दो बार काटा, जिससे खून बहने लगा. हैरानी की बात यह रही कि काटने के दौरान कुत्ते का एक दांत बच्ची के हाथ में फंस गया. यह देखकर परिजन घबरा गए और तुरंत उसे अस्पताल ले गए.  

दो दिन में 11 लोग बने शिकार

कुलदीप नागर की बेटी ही नहीं, बल्कि मोहन नगर के कई अन्य लोग भी इन कुत्तों का शिकार बने. योगेश प्रजापत ने बताया कि जब उन्होंने घर में घुसने की कोशिश कर रहे कुत्ते को भगाया, तो उसने पैर में काट लिया. गोलू सोलंकी ने बताया कि वह घर में सो रहा था, तभी एक कुत्ता भीतर घुसा और उसे काट लिया. दो दिनों में 11 लोगों पर हमले के बाद भी नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.

एनिमल एक्टिविस्ट्स ने किया विरोध

यह पहली बार नहीं है जब उज्जैन में स्ट्रीट डॉग्स ने आतंक मचाया हो. पिछले महीने ऋषि नगर इलाके में भी पांच लोगों को एक साथ काट लिया गया था, जिनमें दो बच्चे शामिल थे. शिकायत के बाद नगर निगम की टीम कुत्ते पकड़ने पहुंची, लेकिन एनिमल एक्टिविस्ट्स ने इसका विरोध किया. बाद में दबाव के बाद कुछ कुत्तों को पकड़ा गया, लेकिन उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अब महानंदा नगर, महाश्वेता नगर, सेठी नगर और भार्गव नगर जैसे इलाकों में भी लोग दहशत में हैं.

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10 हजार लोग बने शिकार 

उज्जैन में डॉग बाइट्स के मामले साल-दर-साल बढ़ते जा रहे हैं. साल 2024 में ही करीब 20,000 लोगों को कुत्तों ने काटा था, जबकि 2025 के जून तक यह आंकड़ा 10,000 पार कर चुका है. यह स्थिति बताती है कि नगर निगम का नियंत्रण पूरी तरह फेल साबित हो रहा है. शहर में कुत्तों की संख्या अनियंत्रित होती जा रही है और लोग अपने ही मोहल्लों में सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं.

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हादसे भी बढ़ा रहे खतरा

कुत्तों का आतंक सिर्फ काटने तक सीमित नहीं है. इनकी वजह से सड़क हादसों में भी लगातार जानें जा रही हैं. पिछले सप्ताह नानाखेड़ा के पास एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की मौत तब हो गई, जब अचानक एक कुत्ता उसकी गाड़ी के सामने आ गया. वहीं, एक 7 साल का बच्चा गंभीर रूप से घायल हुआ और 70 वर्षीय बुजुर्ग के पैर की नस कटने की नौबत आ गई.

सवालों के घेरे में नगर निगम

शहर के लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार नगर निगम से कार्रवाई की मांग की, लेकिन जवाब सिर्फ “जल्द करेंगे” तक सीमित रहा. अब सवाल यह है कि आखिर प्रशासन किसका इंतजार कर रहा है? क्या किसी बड़ी घटना के बाद ही कार्रवाई होगी? उज्जैन की ये घटनाएं बताती हैं कि अब शहर में सिर्फ इंसानों को नहीं, बल्कि इंसानियत को भी आवारा कुत्तों से खतरा है.

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