डॉयल 112 के स्टाफ की सूझबूझ, गर्भवती महिला को कांवड़ से पहुंचाया अस्पताल

अगर सरकारी कमर्चारी-अधिकारी मुस्तैदी से अपना काम करें तो जनता की बहुत सारी समस्याएं आसानी से हल की जा सकती है...कुछ ऐसा ही उदाहरण दिखा मध्यप्रदेश के रायगढ़ में . जहां खाकी वर्दी ने मानवीय पहलू दिखाते हुए गर्भवती और नवजात को नई जिंदगी दे दी.

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अगर सरकारी कमर्चारी-अधिकारी मुस्तैदी से अपना काम करें तो जनता की बहुत सारी समस्याएं आसानी से हल की जा सकती है...कुछ ऐसा ही उदाहरण दिखा मध्यप्रदेश के रायगढ़ में . हुआ यूं कि जिला मुख्यालय से करीब 125 किलोमीटर दूर थाना कापू के पारेमेर गांव में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई. बारिश के मौसम में कोई चारा नहीं देखकर ग्रामीणों ने मेडिकल सहायता के लिए डायल 112 से संपर्क किया. 
उस समय कापू थाने की गाड़ी तब करीब 60 किलोमीटर दूर थी. लेकिन मौके की गंभीरता को देखते हुए टीम गांव पारेमेर पहुंची. लेकिन पीड़ित महिला का घर मुख्य सड़क से पहाड़ के नीचे नदी किनारे था. जहां गाड़ी नहीं पहुंच सकती थी. जिसके बाद डॉयल 112 के स्टाफ ने सूझबूझ दिखाते हुए एक अनूठा फैसला किया. वे पैदल ही गांव पहुंचे और महिला की परेशानी को देखते हुए कांवड़ बनाया औऱ पीड़ित को उसमें बैठाकर पैदल ही मेन रोड की ओर सावधानी से रवाना हो गए.

पुलिसकर्मियों की सूझबूझ से दुनिया में सुरक्षित आया नवजात.

हालांकि रास्ते में प्रसव पीड़ा बढ़ने पर उसे साफ-सुथरी जगह पर बैठाया गया. इसके बाद पर्दा करके मितातीन दीदी की सहायता से सुरक्षित प्रसव कराया गया. इसके बाद फिर से डॉयल 112 के आरक्षक अभय मिंज और ERV वाहन चालक छोटू दास ने खेत और पगडंडी रास्तों को पार करते हुये आधा किलोमीटर दूर खड़ी गाड़ी तक ले आए. जिसके बाद वाहन में बिठाकर दोनों को  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पेलमा लाकर भर्ती कराया गया. फिलहाल जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित व स्वस्थ हैं. जाहिर है सरकारी कर्मचारियों ने न सिर्फ अपने कर्तव्य का पालन किया बल्कि मानवीय तौर पर महिला की मदद की जिससे दो जिंदगियां बच सकीं. 

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