Sonam Wangchuk News: लेह में हुई हिंसा के बाद सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया है. वांगचुक की गिरफ्तारी के खिलाफ कांग्रेस अब खुलकर सामने आ गई है. कांग्रेस (Congress Leader) के वरिष्ठ नेता और राजयसभा सदस्य अशोक सिंह ने इस गिरफ्तारी को गलत बताते हुए कहा है कि उन्हें तत्काल रिहा किया जाना चाहिए क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि देश क़ो तानाशाही के रास्ते पर ले जाया जा रहा है.
कांग्रेस नेता ने क्या कहा?
कांग्रेस से राज्ययसभा सदस्य अशोक सिंह ने एनडीटीवी से बातचीत करते हुए कहा कि सोनम अपना शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे. अगर उसमें भीड़ बढ़ी और हिंसक भड़क गई तो इसके जिम्मेदार वे नहीं बल्कि वहां शांति और कानून व्यवस्था क़ो बनाये रखने की जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है. इस मामले मे उनकी गिरफ्तारी गलत भी है और अलोकतान्त्रिक भी. इससे संकेत जाता है कि देश तानाशाही की तरफ बढ़ रहा है. लोकतंत्र हर हाल मे रहना चाहिए. सबको अपनी बात कहने का अधिकार है और इसे बहाल रहना चाहिए और सोनम क़ो तत्काल रिहा किया जाना चाहिए.
क्या है मामला?
लेह हिंसा के तीन दिन बाद पुलिस ने शुक्रवार को पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया. उन पर हिंसा भड़काने का आरोप है. हालात के मद्देनजर इंटरनेट सेवा को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया गया है.
10 सितंबर को वांगचुक ने लेह शहर में क्षेत्र को छठी अनुसूची में शामिल करने, राज्य का दर्जा देने और लद्दाख क्षेत्र के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा की मांग को लेकर अनशन शुरू किया था. इसके बाद सोनम वांगचुक ने 24 सितंबर को अपना अनशन तब तोड़ा, जब शहर में बड़े पैमाने पर हिंसा शुरू हो गई.
हालात बेकाबू होने पर सुरक्षा बलों ने फायरिंग कर दी, जिसमें चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और करीब 70 घायल हो गए. कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए अधिकारियों ने लेह शहर में कर्फ्यू लगा दिया. गुरुवार शाम कारगिल शहर में भी कर्फ्यू लगा दिया गया. पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया.
गृह मंत्रालय ने एफसीआरए अधिनियम का उल्लंघन करने के लिए स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) के संस्थापक सोनम वांगचुक का एफसीआरए पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द कर दिया.
इधर, 2018 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार जीतने वाले वांगचुक ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने गुरुवार को संवाददाताओं को बताया था कि उनके गैर-लाभकारी संगठन ने विदेशी चंदा नहीं लिया है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र, स्विस और इतालवी संगठनों के साथ व्यापारिक लेन-देन किए हैं और सभी करों का भुगतान किया है.
2019 में जब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था तो केंद्र के इस फैसले का व्यापक स्वागत हुआ था और सोनम वांगचुक उस स्वागत अभियान में सबसे आगे थे. बाद में, उन्होंने छठी अनुसूची में शामिल करने, राज्य का दर्जा और अन्य मांगों के लिए केंद्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल का नेतृत्व किया. केंद्र सरकार का मानना है कि लद्दाख के एक बेहद शांतिपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हिंसा स्वतःस्फूर्त नहीं हुई है, बल्कि इस शांतिपूर्ण क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए बाहरी लोगों ने उकसाया है.
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