सिंगरौली : आंगनवाड़ी केंद्र के ऊपर से गुजर रही 'मौत', इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं जिम्मेदार अधिकारी 

उर्जाधानी के नाम से प्रसिद्ध सिंगरौली (Singrauli) शहर के आंगनबाड़ी केंद्र (Anganwadi Center) के ऊपर 'मौत' मंडरा रही है. यहां जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?

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सिंगरौली:

Madhya Pradesh News : उर्जाधानी के नाम से प्रसिद्ध सिंगरौली (Singrauli) शहर के आंगनबाड़ी केंद्र (Anganwadi Center) के ऊपर 'मौत' मंडरा रही है. यहां जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?

लापरवाही या उदसीनता?

सिंगरौली जिले में कई आंगनबाड़ी केंद्र और विद्यालय ऐसे हैं जिनके ऊपर से हाईटेंशन लाइन गुजर रही है. अगर कोई भी अनहोनी होती है तो ये लाइन किसी की मौत का जिम्मेदार बन सकती है. ऐसे ही आंगनवाड़ी और स्कूलों की पड़ताल के लिए एनडीटीवी जिले के भ्रमण पर है.

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एनडीटीवी जब तेलगवां गांव पहुंची तो वहां पाया कि जिस आंगनबाड़ी केंद्र के ऊपर से हाई टेंशन तार गुजर रहे हैं, उस केंद्र में 40 बच्चें दर्ज है, लेकिन मौके पर 2 ही बच्चें मिले. इस केंद्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तो नहीं मिलीं, लेकिन यहां की सहायिका से मुलाकात हो गई. हालांकि उसने इस मामले में कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया. 

बताया जा रहा है कि इस आंगनबाड़ी केंद्र भवन का निर्माण एनटीपीसी (NTPC) के सीएसआर (CSR) मद से कराया गया है. आंगनबाड़ी केंद्र का भवन बनने से पहले से ही हाई टेंशन तार था, लेकिन जिम्मेदारों ने इसकी अनदेखी कर उसी तार के नीचे भवन बना दिया. अब उसी भवन में नैनिहालों की शिक्षा-दीक्षा होती है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जहां एक ओर छोटे-छोटे नौनिहालों को जान जोखिम में डालकर ऐसे भवनों में शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है, वहीं दूसरी ओर जिले के जिम्मेदार अधिकारी इससे बेखबर दिखाई दे रहे हैं..

इस समस्या का हल होगा यह बताने वाला कोई नहीं

इसे विभाग की लापरवाही कहें या जिम्मेदारों की उदासीनता, लेकिन यह बात सोलह आने सच है कि सिंगरौली जिले में कई आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जिनके ऊपर से गुजरने वाली हाई वोल्टेज लाइन, मौत की तरफ मडंरा रही है. यहां बच्चों का जीवन खतरे में बना रहता है. विभागीय जिम्मेदार भी इस समस्या का ध्यान नहीं दे रहे हैं, जबकि इस स्थिति में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. विभागीय अधिकारी अपने बचाव में समस्या का निदान करवाने की बात कर रहे हैं, लेकिन समस्या से निजात कब मिलेगी यह बताने वाला कोई नहीं है.

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