श्रीराम विवाह महोत्सव: रामराजा बने दूल्हा, उमा भारती बोलीं– नेग देने के बाद ही 'राजमहल' में जा सकेंगे भाइया-भाभी

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि ओरछा पहुंचकर उनका मन अत्यंत प्रसन्न हुआ. मैं रामजी की बहन हूं, इसलिए पालकी को कंधा नहीं लगाया. मैं भाई रामराजा और भाभी सीता की रुकाई की रस्म निभाएंगी. उन्होंने कहा कि नेग लेने के बाद ही वे दूल्हा-दुल्हन को मंदिर के अंदर जाने देंगी.

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Ramraja Turns Groom in Orchha: दूल्हा बने राजाराम सरकार का तिलक करते निवाड़ी विधायक अनिल जैन.

मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के ओरछा की पवित्र धरती पर आज वह घड़ी आई, जिसका इंतज़ार हजारों आंखें साल भर से करती हैं. भगवान राम नहीं, बल्कि राजा राम और ऐसे राजा, जिनके आगे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक गार्ड ऑफ ऑनर नहीं ले सकते. बस एक ही नाम है- रामराजा सरकार. आज मंगलवार को ओरछा की गलियों में इतिहास जाग उठा, परंपरा बोली और आस्था उमड़ पड़ी. दूल्हे के रूप में जब रामराजा सरकार पालकी में सजे-संवरे बाहर आए, तो पूरा नगर दूधिया रोशनी में डूबा एक दिव्य जनकपुरी बन गया.

निवाड़ी जिले के ओरछा में आज वह ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जिसने हर भक्त के मन को आनंद, आस्था और गर्व से भर दिया. तीन दिवसीय रामविवाह महोत्सव के इस शाही आयोजन में रामराजा सरकार दूल्हा बनकर निकले और पूरे बुंदेलखंड में उल्लास की लहर दौड़ गई. ओरछा के किलेबंद क्षेत्र में केवल रामराजा सरकार को ही गार्ड ऑफ ऑनर मिलता है. यह सम्मान सिर्फ राजा को दिया जाता है, क्योंकि वे मंदिर में नहीं, बल्कि राजमहल में विराजते हैं. पालकी निकलने से पहले रामराजा सरकार का पूजन हुआ और जैसे ही बारात मुख्य द्वार पर पहुंची, वहां गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

खजूर के पत्तों से बना दूल्हे का मुकुट धारण किया

कलेक्टर जमुना भीड़े, जस्टिस आलुवालिया और निवाड़ी विधायक अनिल जैन ने पूजन कर पालकी को रवाना किया. जैसे ही दूल्हे के रूप में रामराजा सरकार की पालकी निकली, नगर गर्व से भर उठा. बारात में आगे घोड़े, पीछे हाथियों पर बैठे रक्षक और बीच में सजधजकर विराजे रामराजा सरकार की पालकी थी. रामराजा सरकार ने सोने का मुकुट नहीं, बल्कि बुंदेली परंपरा के अनुसार खजूर के पत्तों से बना दूल्हे का मुकुट धारण किया था. पालकी के एक तरफ छत्र और दूसरी तरफ चंवर लहराते हुए पूरा दृश्य बुंदेली साम्राज्य की सजीव झलक दे रहा था. मशालची रास्ता रोशन कर रहे थे और ओरछा की प्रत्येक गली दूधिया लाइटों से जगमगा रही थी. ढोल-ताशों की गूंज पूरे नगर में प्रतिध्वनित हो रही थी.

भाई रामराजा और भाभी सीता की रुकाई की उमा भारती करेंगीं.

मैं रामजी की बहन हूं: उमा भारती

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि ओरछा पहुंचकर उनका मन अत्यंत प्रसन्न हुआ. उन्होंने बताया कि वे पहली बार इस आयोजन में शामिल हुई हैं, यह अनुभव अद्भुत है. उन्होंने कहा, मैं रामजी की बहन हूं, इसलिए मैंने पालकी को कंधा नहीं लगाया. बहनें भाई की पालकी को कंधा नहीं लगातीं, भाई बहन की पालकी उठाते हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा संदेश दिया है. उमा भारती ने रामराजा सरकार से प्रार्थना की कि प्रधानमंत्री मोदी अगले 10 वर्ष और देश का नेतृत्व करें. वे अपने भाई रामराजा और भाभी सीता की रुकाई की रस्म भी निभाएंगी. उन्होंने कहा कि नेग लेने के बाद ही वे दूल्हा-दुल्हन को मंदिर के अंदर जाने देंगी.

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जय श्री राम के नारों से गूंजा नगर

जैसे ही रामराजा मंदिर के दरवाजे खुले, भीड़ में उत्साह की लहर दौड़ गई. जय श्री राम के नारे हवा नहीं, लोगों के दिलों में गूंज रहे थे. घरों की छतों, खिड़कियों और गलियों में लोग घंटों से खड़े सिर्फ एक झलक पाने का इंतजार कर रहे थे. महोत्सव के पहले दिन गणेश पूजन, दूसरे दिन मंडप और भव्य प्रीतिभोज, और तीसरे दिन आज रामराजा सरकार की शाही बारात निकाली गई. प्रीतिभोज में एक साथ 50 हजार लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक भोजों में शामिल किया जाता है. ओरछा के लोग मानते हैं कि पूरे वर्ष वे अपने राजा को बुलाते हैं, लेकिन साल में एक दिन राजा स्वयं बाहर आकर अपनी प्रजा का हाल पूछते हैं.

बारात विशम्भर मंदिर पहुंची, द्वारचार की शाही रस्म

नगर भ्रमण के बाद बारात रामराजा सरकार के ससुराल विशम्भर मंदिर पहुंची. यहां बारातियों का भव्य स्वागत और द्वारचार की शाही रस्म सम्पन्न हुई. जनकपुरी में दूल्हा रामराजा की आगवानी ऐसे हुई, जैसे धरती पर वैभव उतर आया हो. बुंदेली विवाहगीतों की धुन ने पूरे वातावरण को अलौकिक बना दिया. लाखों श्रद्धालु, जिनमें विदेशी पर्यटक भी शामिल थे, इस अद्भुत परंपरा को देखकर मंत्रमुग्ध हो उठे. करीब एक लाख श्रद्धालु इस वर्ष समारोह में शामिल हुए. विदेशी पर्यटकों ने कहा कि ऐसी परंपरा दुनिया में कहीं नहीं, मानो ओरछा की धरती पर स्वर्ग उतर आया हो. रात करीब 12.30 बजे रामराजा सरकार की बारात जनकपुरी पहुंचेगी और राम-सिया विवाह सम्पन्न होगा.

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