Shivratri Special: शिवरात्रि पर्व पर 1000 साल पुराने इस प्राचीन शिव मंदिर में लग जाता है भक्तों का तांता, ऐसी है मान्यता

Koteshwar Dham Temple: यूं तो बालाघाट में कई शिव मंदिर हैं, लेकिन 1000 साल पुराने कोटेश्वर धाम मंदिर की गिनती ऐतिहासिक मंदिरों में होती है, जहां महाशिवरात्रि के दिन भक्तों का तांता लगता है. बालाघाट के प्राचीनतम शिव मंदिरों में से एक कोटेश्वर धाम मंदिर की महिमा सबसे अलग है.

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Baladhat oldest Shiv temple Koteswhar Dham

Oldest Balaghat Shiv Temple: महाशिवरात्रि पर्व शिव भक्तों के लिए किसी भी महापर्व से कम नहीं है. इस वर्ष महाशिवरात्रि पर्व का 26 फरवरी को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि पर्व के दिन देश भर के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ रहती है, लेकिन बालाघाट में 1000 साल पुराने कोटेश्वर धाम मंदिर की महिमा देखने लायक होती हैं.

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यूं तो बालाघाट में कई शिव मंदिर हैं, लेकिन 1000 साल पुराने कोटेश्वर धाम मंदिर की गिनती ऐतिहासिक मंदिरों में होती है, जहां महाशिवरात्रि के दिन भक्तों का तांता लगता है. बालाघाट के प्राचीनतम शिव मंदिरों में से एक कोटेश्वर धाम मंदिर की महिमा सबसे अलग है.

1000 साल पुराना है बालाघाट का कोटेश्वर धाम मंदिर

बालाघाट जिले के लांजी में स्थित कोटेश्वर धाम मंदिर आस्था और इतिहास का अनोखा संगम माना जाता है. यह मंदिर भारत के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है. 108 उपलिंगों में शामिल होने के कारण कोटेश्वर धाम मंदिर की महत्ता और बढ़ जाती है. यहां सालभर श्रद्धालुओं और सैलानियों की भीड़ लगी रहती है.

पूर्व दिशा की ओर मुख किए हुए है ऐतिहासिक मंदिर

महाशिवरात्रि  पर्व और सावन माह में कोटेश्वर धाम मंदिर में भक्तों का तांता देखने लायक होता है. यह ऐतिहासिक मंदिर पूर्व दिशा की ओर मुख किए हुए है. मंदिर के मुख्य हिस्से में मुख मंडप, महामंडप, अंतराल और अभयारण्य शामिल हैं. गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है, जो गोलाकार आधार पर स्थित है.

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बालाघाट के सबसे प्राचीन शिव मंदिर में शुमार कोटेश्वर धाम मंदिर की बाहरी दीवारों पर कलचुरी कालीन अद्भुत कलाकृतियां देखी जा सकती हैं. इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में कुछ खंडित मूर्तियां भी पाई जाती हैं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं.

वैनगंगा किनारे का शंकर घाट मंदिर

बालाघाट जिले में वैनगंगा नदी के किनारे शंकर घाट पर स्थित प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं. यहां के स्थानीय लोग मानते हैं कि यहां आने वाले सभी लोगों की मनोकामनाएं शिवजी पूर्ण करते हैं. वहीं, महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव के भक्त भारी संख्या में आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं.

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मंदिर के गर्भगृह में शिव-पार्वती की प्रतिमा है

कई सालों से शंकर घाट मंदिर पुजारी रहे एक बाबा ने बताया शिव मंदिर के नीचे प्राचीन गर्भगृह है, जहां प्राचीन शिव पार्वती की प्रतिमा है, जहां एक सुरंग भी हैं, जहां एक पुजारी को भी देखा जाता था, जो ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करने आता हैं और इसमें प्राचीन मंदिर होने और सुरंग के दावे का समर्थन इतिहासकार और पुरातत्व विशेषज्ञ भी करते हैं.

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शंकर घाट मंदिर के भीतर शिवलिंग के बगल से प्राचीन मंदिर और गर्भगृह जाने का रास्ता है, जो पिछले 50-60 वर्षों से बंद है. यहां शिवलिंग के पास ही दो भोलेनाथ की सवारी नंदी की दो प्रतिमा हैं, जिसमें एक प्रतिमा अति प्राचीन है जिसे मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद ऊपर स्थापित कराया गया है 

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर 

मध्य प्रदेश के सतपुड़ा अंचल क्षेत्र बालाघाट के गुप्तेश्वर महादेव तक पहुंचाना किसी खतरे से खाली नहीं है. बालाघाट मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर डोंगर गांव के घने जंगलों और पहाड़ों के नीचे स्थित गुप्तेश्वर महादेव मंदिर सैकड़ों फीट गहरी खाई नुमा गुफा और पत्थरों की तंग सुरंग से होते हुए पहुंचना पड़ता है.

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गुप्तेश्वर महादेव में आने वाले भक्तों का मानना है कि आदि-अनादि काल से महादेव यहां पहाड़ के नीचे अपनी अलग ही दुनिया के साथ विराजे हुए हैं. मान्यता है कि गुप्तेश्वर महादेव भक्तों की हर मुराद को पूरी करते हैं. यह मंदिर आज भी अनेक दैविक रहस्यों को खुद में समेटे हुए है.

गुप्तेश्वर महादेव सबकी मुराद पूरी करते हैं

डोंगरगांव किरनापुर जनपद क्षेत्र और हटा थाना क्षेत्र के अंतर्गत में पहाड़ के नीचे स्थित गुप्तेश्वर महादेव धाम में शिवरात्रि पर्व के दिन मेला लगता है. गुफाओं में मौजूद गुप्तेश्वर महादेव की लोगों पर बड़ी अनुकंपा है,जो सबकी मुराद पूरी करते हैं, जिससे भक्त यहां भारी संख्या कठिन रास्तों को पार करते हुए पहुंचते हैं.

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