Shivpuri Medical College: मेडिकल कॉलेज के डीन सहित दो अन्य के खिलाफ भोपाल लोकायुक्त में मामला दर्ज, जानें - क्या है पूरा मामला

Shivpuri Medical College Dean: शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के तीन लोगों पर मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान कार्ड के तहत प्रोत्साहन राशि को अपने बैंक खातों में डालने का आरोप है. मामले को लोकायुक्त भोपाल में दर्ज कराया गया है. रिटायर्ड नगर पालिका अध्यक्ष ने लोकायुक्त में शिकायत की थी. आइए आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

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शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के डीन के खिलाफ मामला दर्ज

Medical College Scam News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शिवपुरी (Shivpuri) के सरकारी मेडिकल कॉलेज (Government Medical College Scam) के डीन डॉ. धर्मदास परमहंस और अस्पताल अधीक्षक डॉ. आशुतोष चौऋषि के खिलाफ लोकायुक्त भोपाल ने भ्रष्टाचार का प्रकरण दर्ज किया है. शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष और उनके साथ अस्पताल अधीक्षक के साथ एक डायरेक्टर के खिलाफ लोकायुक्त ने यह कार्रवाई रिटायर्ड नगर पालिका सीएमओ रामनिवास शर्मा की शिकायत पर की है. इन तीनों पर आरोप है कि आयुष्मान योजना के तहत जारी प्रोत्साहन राशि इन्होंने अपने खातों में ट्रांसफर करा ली, जो अवैधानिक थी.

शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के डीन के खिलाफ मामला दर्ज

क्या है शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में स्कैम का पूरा मामला?

मामले में शिकायतकर्ता रिटायर्ड नगर पालिका सीएमओ रामनिवास शर्मा का कहना है कि आयुष्मान योजना के तहत मेडिकल कॉलेज में मरीजों के इलाज के लिए 60% राशि तय पैकेज अनुसार जारी होती है. इस राशि को लेकर आयुक्त चिकित्सा शिक्षा ने 15 फरवरी 2024 को आदेश जारी कर स्पष्ट किया था कि डीन अधीक्षक और डायरेक्टर इस योजना के नोडल अधिकारी नहीं हैं, इसलिए वे प्रोत्साहन राशि के पात्र नहीं हैं. इसके बावजूद, डॉ. परमहंस, डॉ. चौऋषि और डायरेक्टर शिल्पा गुप्ता ने 77 हजार 556 रुपये अपने-अपने बैंक खातों में ट्रांसफर करा लिए.

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डीन ने आरोपों को बताया निराधार

लोकायुक्त के विधि सलाहकार जसवंत सिंह यादव ने 2 जून को इन तीनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है और अब इस पूरे मामले की जांच की जा रही है. इस मामले को लेकर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. परमहंस ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि पूरी तरह से कानून का पालन किया गया है. जो परंपरा शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में चल रही थी, उसी के तहत राशि ट्रांसफर की गई थी. लेकिन, जब संज्ञान में आया कि राशि गलत तरीके से ट्रांसफर की गई है, तो वापस नोडल अधिकारी के खाते में डाल दी गई.

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