नरवाई जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई, 7 पर FIR और 136 लोगों पर 3.40 लाख का जुर्माना

शिवपुरी जिले में नरवाई जलाने पर प्रशासन सख्त है और इसके लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. प्रशासन ने 136 किसानों पर 3 लाख 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है और 7 किसानों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है.

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Madhya Pradesh Hindi News: शिवपुरी जिले में नरवाई जलाने के मामले में 136 किसानों को 3 लाख 40 हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया गया है. साथ ही प्रशासन नरवाई जलाने को लेकर सख्त रवैया अपनाए हुए है. जिला प्रशासन की तरफ से अब तक 7 किसानों को आरोपी बनाते हुए साथ FIR भी अलग-अलग थानों में दर्ज कराई है. प्रशासन का कहना है कि उसने लगभग 200 किसानों को डेमो देकर नरवाई प्रबंधन के उपाय बताए हैं. वहीं, प्रशासन के सख्त रवैये के कारण कई किसान नाराजगी जाहिर करते हुए अपनी तकलीफ को बयां कर चुके हैं. इन किसानों का कहना है कि वह बरसों से नरवाई जलाते हुए आ रहे हैं. अब अचानक प्रशासन उन पर कानूनी कार्रवाई कर रहा है, जिस कारण वह परेशान हैं.

वर्तमान में गेहूं फसल की कटाई के बाद कुछ किसान गेहूं के अवशेष (नरवाई) को जला रहे है. जिले में कई गांव में ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं, जिनमें लगातार कार्रवाई की गई है. नरवाई जलाने की घटनाओं में कार्यवाही करते हुए शिवपुरी जिला प्रशासन ने 136 किसानों पर नोटिस जारी कर 3 लाख 40 हजार का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें पोहरी में 4, नरवर में 27, कोलारस 27 बदरवास 36, पिछोर में एक, करेरा 4 और खनियाधाना में 27 किसानों पर जुर्माना लगाया गया है.

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अभी तक सात प्रकरण में किसानों पर एफआईआर भी दर्ज हुई है. कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने इस संबंध में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है और आदेश का उल्लंघन करने वाले पर लगातार कार्यवाही जारी है.

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उपसंचालक कृषि डॉ यूएस तोमर ने बताया कि गत दिवस सैटेलाइट मॉनिटरिंग के द्वारा प्राप्त 82 घटनाओं को आकलन किया गया था, वह अब घटकर 13 हो गई है. जिले के 25 ग्रामों में 165 हैक्टेयर में 200 किसानों के यहां सुपर सीडरकम स्ट्रा रीपर से भूसा बनाने तथा रिवर्सिबल प्लाउ से नरवाई को जमीन में मिलाकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं.

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वर्तमान में जे फॉर्मऐप पर 37 कृषि यंत्र धारक पंजीकृत हुए हैं, जिससे अन्य किसानों ने ऐप के माध्यम से कृषि यंत्रों को किराए पर लेकर अपने खेतों में नरवाई प्रबंधन के लिए उपयोग किया है. इस ऐप के माध्यम से नरवाई प्रबंधन में किसानों को अत्यधिक सुविधा उपलब्ध हो रही है. साथ ही किसान भाइयों के लिए नरवाई प्रबंधन के लिए हैप्पी सीडर एवं सुपर सीडर यंत्रों के आवेदन 18 अप्रैल से ऑनलाइन डीबीटी पोर्टल के माध्यम से आमंत्रित किए गए हैं.

क्यों किए जा रहे हैं किसान दंडित

जिला प्रशासन का कहना है कि नरवाई जलाने से पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचती है. साथ ही खेत की मिट्टी के लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु मर जाते हैं. भूमि की उर्वरता घट जाती है. इसलिए किसान खेतों में नरवाई न जलाएं. गेहूं फसल की नरवाई (अवशेष) खेत में जलाने के बजाय रोटावेटर के उपयोग से गेहूं के डंठल को खेत में ही नष्ट करें, जिससे भूमि में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ने से भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी.

फसल के अवशेष जलाने से फैलने वाले प्रदूषण पर अंकुश, अग्नि दुर्घटना रोकने एवं जान-माल की रक्षा के उद्देश्य से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा-निर्देशों के तहत आदेश जारी कर जिले में गेहूं की नरवाई इत्यादि जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है.

नरवाई जलाना दण्डनीय अपराध

जिले में जो भी कृषक या अन्‍य व्‍यक्ति खेत में नरवाई (अवशेष) जलाते हुए पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिसमें 2 एकड़ तक के कृषकों को 2500 रुपये, 2 से 5 एकड़ तक के कृषकों को 5000 रुपये तथा 5 एकड़ या अधिक के कृषकों को 15000 रुपये का अर्थदंड देना होगा. यही वजह है कि लगातार किसानों को निशाने पर लेकर प्रशासन कानूनी कार्रवाई कर अर्थ दंड लग रहा है.

मॉनिटरिंग दलों का गठन

नरवाई जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण और प्रबंधन के उद्देश्य से दल का गठन किया गया है. घटनाओं के प्रबंधन के लिए कंबाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के उपयोग को अनिवार्य किया गया है, जिसके तहत सहायक संचालक कृषि मनोज कुमार रघुवंशी को नोडल अधिकारी और सहायक संचालक कृषि एस एस घुरैया को सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है.

बनाया गया है कंट्रोल रूम

सहायक कृषि यंत्री भगवान सिंह नरवरिया को और सहायक संचालक कृषि डॉ किरण रावत को नोडल नियुक्त किया गया है. नरवाई में आग लगने की घटनाओं की जानकारी 9926346695 पर शिकायत दर्ज की जा सकेगी और इसके लिए सरकार ने एक कंट्रोल रूम स्थापित किया है.