Shardiya Navratri 2025: मध्य प्रदेश के इन शक्तिपीठों में आज भी होते हैं चमत्कार, जानिए महत्व और मान्यता

Shardiya Navratra 2025:मध्य प्रदेश में भी कई शक्तिपीठ और प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जहां विशेष रूप से श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है. 

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Navrata Special 2025: शारदीय नवरात्रि देवी दुर्गा और उनकी विभिन्न शक्तियों की उपासना और साधना का महापर्व माना जाता है. नवरात्रि के दौरान देशभर के देवी मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है. मध्य प्रदेश में भी कई शक्तिपीठ और प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जहां विशेष रूप से श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है. 

अवंति शक्तिपीठ: मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में शिप्रा नदी के पूर्वी तट पर स्थित अवंति शक्तिपीठ देवी भक्तों के लिए प्रमुख केंद्र है, जिसे भैरव पर्वत मंदिर भी कहा जाता है. मान्यता है कि यहां माता सती का ऊपरी होंठ गिरा था. इसी कारण इस स्थल को 51 शक्तिपीठों में विशेष स्थान प्राप्त है. यहां माता को मां अवंती या अवंतिका के रूप में पूजा जाता है, जबकि भगवान शिव की पूजा लम्बकर्ण के रूप में की जाती है। नवरात्रि के समय यहां विशेष पूजन, भंडारा और भव्य आयोजन होते हैं.

कालमाधव शक्तिपीठ: अमरकंटक धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पावन स्थल माना जाता है. यहां स्थित कालमाधव शक्तिपीठ का महत्व इसलिए है, क्योंकि मान्यता है कि यहां देवी सती का बायां नितंब गिरा था. देवी को यहां काली रूप में पूजा जाता है, जबकि भगवान शिव कालमाधव या असितांग के रूप में विराजमान हैं. नवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष धार्मिक अनुष्ठान, साधना और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है.

नर्मदा शक्तिपीठ: अमरकंटक में ही स्थित देवी नर्मदा शक्तिपीठ को भी अत्यंत पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि यहां माता सती का दायां नितंब गिरा था. इस स्थल पर देवी नर्मदा या सोनाक्षी के रूप में पूजी जाती हैं और भैरव भद्रसेन नाम से विराजमान हैं. यहां नवरात्रि के अलावा मकर संक्रांति, शरद पूर्णिमा, रामनवमी और दीपावली जैसे त्योहारों पर भी विशेष उत्सव का आयोजन होता है.

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इसके अलावा, भारत-नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जिले के पाटन गांव में स्थित देवीपाटन शक्तिपीठ का भी बहुत महत्व है. मान्यता है कि यहां माता सती का वाम स्कंध (बायां कंधा) वस्त्र समेत गिरा था. इसी कारण इस स्थान को देवीपाटन कहा जाता है. नवरात्रि के समय यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. 

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