Gwalior News: प्रशासन की बड़ी लापरवाही; अति कुपोषित बच्ची और मां हॉस्पिटल से गायब, जानिए पूरा मामला

Malnutrition: ग्वालियर जिले के भितरवार इलाके के गांव में जन्मी लाडली बिटिया मध्यप्रदेश की पोषण योजनाओं की पोल ही नहीं खोल रही बल्कि रोंगटे भी खड़े कर रही है.

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Malnutrition Case: अति कुपोषित बच्ची और मां हॉस्पिटल से गायब

Gwalior News: ग्वालियर में अति कुपोषित बच्ची और उसकी मां अस्पताल से गायब हो गई. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग की बड़ी चूक सामने आयी है. ख़ास बात ये है कि कोई इस मामले में बोलने तक को तैयार नहीं है. कमला राजा हाॅस्पिटल में भर्ती कुपोषित बच्चाी और उसकी मां  सुबह 8 बजे से गायब है. प्रशासन को मां-बेटी की कोई जानकारी ही नहीं है. ग्वालियर जिले के भितरवार ब्लॉक के हासी गांव की निवासी प्रियंका 26 माह की है, वह अति कुपोषित श्रेणी में आती है. प्रियंका का वजन मात्र 4 किलो 300 ग्राम हैं. इसको भितरवार एनआरसी से ग्वालियर रेफर किया गया था.

करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी ऐसी स्थिति

सरकार बच्चियों और महिलाओं की भलाई व उनका जीवन स्तर सुधारने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने के दावे भी करती है, लेकिन बच्चियों की हालत कैसी हैं, इसका पता आपको इस खबर से हो जाएगा. जिले के भितरवार इलाके मे पैदा हुई एक बच्ची की देह देखकर रोंगटे खड़े हो गए थे. वह गंभीर कुपोषण की शिकार है. उसका वजन 12 किलो होना चाहिए लेकिन हैं सिर्फ 4किलो 300 ग्राम.

ग्वालियर जिले के भितरवार इलाके के गांव में जन्मी लाडली बिटिया मध्यप्रदेश की पोषण योजनाओं की पोल ही नहीं खोल रही बल्कि रोंगटे भी खड़े कर रही है.

इस लाड़ली बिटिया का नाम है- प्रियंका आदिवासी  उम्र 2 साल 2 महीने, वजन सिर्फ 4 किलो 300 ग्राम और बाह की नाप 7 सेमी है. आदिवासी बाहुल्य भितरवार के हरसी गांव की इस मासूम और मायूस बच्ची व हालत बता रही है कि सरकार की पोषण आहार योजना की सच्चाई क्या है. इसी का शिकार हुई यह मासूम लाडली गंभीर अतिकुपोष यानी एसडी-4 स्टेज पर पहुंच गई है. दो दिन पहले ही  एनआरसी भितरवार में भर्ती हुई बच्ची के बारे में ज़ब भितरवार एसडीएम संजीव जैन को पता चला तो उन्होंने उसकी हालत देख ग्वालियर रेफर कराया.

जिम्मेदार अधिकारियों का क्या कहना है?

परियोजना अधिकारी ओमप्रकाश सिंह का कहना है कि बच्ची के माता पिता 6 माह से बाहर थे, इसलिए बच्ची ट्रेस नहीं हो पाई. बता दें कि स्वास्थ्य विभाग वर्तमान में दस्तक अभियान चला रहा है. इस मामले को एनडीटीवी ने बड़ी संवेदनशीलता के साथ उठाया तो प्रशासन ने उसे ग्वालियर रेफर कर दिया. बच्ची और उसकी मां को ग्वालियर लाकर कमला राजा बाल और चिकित्सा अस्पताल मे भर्ती कराया गया लेकिन उसके बाद न प्रशासन ने उसकी सुधी ली और न ही स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों ने. उन्हें ये तक पता नही लगा कि अति कुपोषित माँ और बेटी कब और कहाँ अस्पताल से निकलकर चले गए. इसका खुलासा होने के बाद भी सब चुप्पी साढ़े बैठे हैं.

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गंभीर हैं प्रदेश के आंकड़े

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका में कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि प्रदेश मे 1.36 लाख से अधिक बच्चे गंभीर कुपोषण से ग्रस्त हैं. कैग की रिपोर्ट में पोषण आहार के परिवहन व गुणवत्ता में 858 करोड़ का घोटाला उजागर  हुआ है. हाईकोर्ट ने सभी जिलों के कलेक्टर्स को कुपोषण की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

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