MP के इस जिले में सामने आया बड़ा घोटाला, 6,000 बोरियों में मसूर के साथ भरी मिली मिट्टी और कचरे

विदिशा जिले के सिरोंज से मसूर खरीदी केंद्रों से करोड़ों के घोटाले की बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है.  इस घोटाले ने न केवल प्रशासन को सकते में डाल दिया है, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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Corruption in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में एक के बाद एक घोटाले की खबर सामने आ रही है. सीहोर (Sehore) जिले में गेहूं खरीद केंद्रों पर घोटाला उजागर होने के बाद चार शाखा प्रबंधकों को निलंबित कर दिया है. वहीं, अब ताजा मामला विदिशा (Vidisha) जिले के सिरोंज से सामने आया है. यहां दलहन खरीद केंद्रों पर करोड़ों के घोटाले की बात कही जा रही है.

दरअसल, विदिशा जिले के सिरोंज से मसूर खरीदी केंद्रों से करोड़ों के घोटाले की बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है.  इस घोटाले ने न केवल प्रशासन को सकते में डाल दिया है, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. आपको बता दें कि विदिशा जिले की सियलपुर सहकारी समिति, सिरोंज में चना और मसूर की सरकारी खरीदी की जा रही थी. यहां पथरिया के पास स्थित श्रीनाथ वेयरहाउस को खरीदी केंद्र बनाया गया था, लेकिन 16 मई यानी शुक्रवार को सिरोंज SDM हर्षल चौधरी को इस खरीदी केंद्र में बड़ी गड़बड़ी की सूचना मिली.

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जांच में सामने आई सच्चाई

शिकायत के बाद जब जांच शुरू की गई तो जांच में सामने आया कि वेयरहाउस के भीतर करीब 3 हजार क्विंटल मसूर मिट्टी और कचरे मिला कर रखा गया है. इस दौरान सामने आया कि कुल 8 स्टैक में से 2 स्टैक पूरी तरह घटिया गुणवत्ता के हैं. जांच में यह भी सामने आया कि करीब 6,000 बोरियों में भरी मसूर अमानक स्तर की हैं. इसमें सर्वेयर, समिति प्रबंधक, ठेकेदार और अन्य की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है.

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प्रशासन ने ये दिए आदेश

इसके बाद जांच दल ने तुरंत कार्रवाई करते हुए श्रीनाथ वेयरहाउस को सील कर दिया. इसके सात ही अमानक पाई गई 6,000 बोरियों के अपग्रेडेशन का आदेश सियलपुर सोसायटी को दिया गया है. इसका पूरा खर्च समिति को वहन करना होगा. इस पूरे मामले में एडीएम अनिल डामोर ने कहा है कि प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

इस सनसनीखेज घोटाले में अब नैफेड, मार्कफेड और कृषि विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में है. ऐसे में सवाल ये है कि इतने बड़े पैमाने पर अमानक मसूर की खरीदी कैसे हुई और किन-किन स्तरों पर मिलीभगत थी?

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