सतना में बारिश से भीगा हजारों क्विंटल धान, चेतावनी के बाद क्यों नहीं किए गए इंतजाम ?

Negligence :  मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में बारिश का मौसम बना हुआ है. प्रदेश में बारिश को लेकर मौसम विभाग ने अलर्ट भी जारी किया था. लेकिन इस अलर्ट के बाद भी खरीदी केंद्रों और धान के गोदामों में उपज को रखने के इंतजाम नहीं किए गए. जिसकी वजह से हजारों क्विंटल धान बारिश में भीग गया.

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सतना में बारिश से भीगा हजारों क्विंटल धान, चेतावनी के बाद क्यों नहीं किए गए इंतजाम ?

MP News In Hindi : मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में बारिश का मौसम बना हुआ है. प्रदेश में बारिश को लेकर मौसम विभाग ने अलर्ट भी जारी किया था. लेकिन इस अलर्ट के बाद भी खरीदी केंद्रों और धान के गोदामों में उपज को रखने के इंतजाम नहीं किए गए. जिसकी वजह से हजारों क्विंटल धान बारिश में भीग गई. मौसम विभाग की चेतावनी के बाद भी समय पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए जाने से जिले के विभिन्न स्थानों पर रखी गई धान पानी से भीग गई. जिले में लगभग 10 मिमी की बरसात हुई, जिसके चलते खरीदी केंद्रों में रखी उपज भीग गई. अनुमान है कि लगभग 60 से 70 हजार क्विंटल धान खुले में रहने की वजह से भीगा है.

अब सवाल उठता है कि इस नुकसान का जिम्मेदार किसे माना जाएगा. जिला उपार्जन समिति के सदस्य और खरीदी का जिम्मा लेकर काम करने वाली समितियों पर वरिष्ठ अधिकारी कोई एक्शन लेंगे या नहीं. बता दें, उपार्जन केंद्र प्रभारियों ने समय पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए.

 बता दें, जिले में 106 खरीदी केंद्र स्थापित किए गए. इन केंद्रों में अब तक 34976 किसानों ने अपनी उपज बेची है. जिले में कुल 265600 क्विंटल के आसपास खरीदी का आंकड़ा पहुंच चुका है. सरकारी आंकड़े के मुताबिक लगभग 1 लाख क्विंटल से अधिक खुले आसमान के नीचे अभी पड़ा हुआ है. अधिकारियों का कहना है कि जिस स्थान पर धान की बोरियों को चट्टा बना कर रखा गया, वहां पर भीगने की गुंजाइश कम है, लेकिन जिन जगहों पर खुली धान अथवा बोरियां पड़ी हुई हैं. उनमे थोड़ा बहुत नुकसान हो सकता है.

5 दिन तक नहीं होगी खरीदी 

खराब मौसम को ध्यान में रखते हुए धान उपार्जन सत्र 2024- 25 के लिए बनाई गई नीति में संशोधन किया गया, और 30 दिसंबर से एक जनवरी 2025 तक धान खरीदी नहीं करने के निर्देश जारी किए गए. शनिवार और रविवार को खरीदी बंद रहता है, ऐसे में सतना सहित पूरे प्रदेश में 5 दिनों तक खरीदी का कार्य नहीं होगा.

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हर बार गलती दोहराता है विभाग 

समर्थन मूल्य पर धान और गेहूं उपार्जन का कार्य पिछले डेढ़ दशक से चल रहा है इसके बावजूद भी आपातकालीन स्थितियों से निपटने के कोई प्रबंध नहीं किये जाते. यही वजह है कि बार-बार ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है. मौसम विभाग का अनुमान है कि अभी 24 से 48 घंटे तक रुक-रुक कर बरसात हो सकती है. ऐसे में नुकसान का आंकड़ा और भी बढ़ने का अनुमान है. फिलहाल इस मामले में किसी प्रकार से व्यवस्थाएं दिखाई नहीं दे रही हैं. थोड़ी बहुत तिरपाल और पन्नी के सहारे धान को ढका गया. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जो धान खुले आसमान के नीचे पड़ी है वह किसानों की है न कि उपार्जन समितियों की.

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