Satna Government School without electricity: सरकार कहती है- पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया… मगर मध्य प्रदेश के सतना जिले में कुछ स्कूल ऐसे हैं जो शायद किसी और नीति के तहत चल रहे हैं. 1978 में बने स्कूल की इमारत खड़ी है, बच्चे भी हैं… शिक्षक भी. बस नहीं है तो बिजली, लेकिन बिजली विभाग का सिस्टम इतना दुरुस्त है कि हर महीने इन स्कूलों को बिल भेजना नहीं भूलता.
45 डिग्री तापमान के बीच पढ़ाई करने को मजूबर हैं स्टूडेंट
जिला मुख्यालय की लगभग 40 स्कूल ऐसी हैं जहां 42 से 45 डिग्री तापमान के बीच उमस भरी गर्मी में छात्र पढ़ाई करने को भी मजबूर हैं. वहीं जिले में कोई भी ब्लॉक ऐसा नहीं है, जहां सभी स्कूलों में शत प्रतिशत विद्युतीकरण हो. हर ब्लॉक में ऐसे कई स्कूल हैं, जो वर्षो बाद भी रोशनी से वंचित है. बिजली नहीं होने के चलते विद्यार्थी और शिक्षकीय स्टॉफ को गर्मी से जूझना पड़ता है. वहीं अन्य स्टॉफ भी परेशान होते हैं. वहीं सर्दी और बारिश के दौरान बादल आदि होने पर स्कूल कक्षों में अंधेरा छा जाता है. इन स्थितियों के बीच बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित रहती है.
सोहावल ब्लॉक के 40 से ज़्यादा स्कूलों में बिजली नहीं
जिला शिक्षा केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक, जिले में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की कुल संख्या 2567 है, इनमें सैकड़ों स्कूल भवनों में रोशनी की व्यवस्था नहीं है. ये स्कूल सरकार की उम्मीद से नहीं, धूप और उम्मीद के मेल से चल रहे हैं. सोहावल ब्लॉक की लगभग 40 स्कूलों में बिजली नहीं है. बेला बठिया इसी श्रेणी का विद्यालय है.
दरअसल, बठिया का सरकारी स्कूल में बच्चे पढ़ाई नहीं करते, गर्मी से तपस्या करते हैं. बिजली सिर्फ़ बिल में आती है, खंभों या तारों में नहीं. सबसे हैरान करने वाला यह है कि इस विद्यालय में कक्षा चौथी का एक छात्र ऐसा है जिसकी ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी है. बाल्यकाल से बच्चे के हृदय में छेद था. ऐसे में छात्र के लिए ठंडी, गर्मी और बरसात के लिए अत्यंत संवेदनशील है. हालांकि डॉक्टर ने धूप से बचने और गर्मी से दूर रखने के लिए कहा है. दरअसल, गर्मी में उसकी हालत खराब हो जाती है.
स्कूल में बिजली नहीं, लेकिन हर महीने आता है बिल
बता दें कि स्कूल ने अपनी तरफ से पंखे और बिजली फिटिंग का काम कराया हुआ है, लेकिन यहां पर बिजली सप्लाई की कोई व्यवास्था नहीं दी गई, जबकि बिजली कंपनी यहां पर विद्युतीकरण मानकर आईबीआरएस नंबर भी जनरेट किया है और हर माह लगभग 2890 रुपये का बिल थमाया जा रहा है. इस सूची में प्राथमिक धनखेर खुर्द, प्राथमिक करसरा, पिपरहा टोला, अहरी टोला डेलौरा, रिवार, इटमा सहित अन्य स्कूलों में बिजली नहीं हैं. कुछ विद्यालय में भवन नहीं है. ऐसे में कनेक्शन होना भी संभव नहीं है.
मानसिक रुप से प्रताड़ित किया जा रहा
हेड मास्टर ने बताया कि स्कूल में विद्युत व्यवस्था जरूरी है. गर्मी और बारिश के दौरान शिक्षण कार्य में अधिक समस्या आती है. बच्चे गर्मी सहन नहीं कर पाते, जिससे बीमार हो जाते हैं. बेला विद्यालय में 29 छात्र हैं, जिनमें से एक छात्र की ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी है. ऐसे छात्र के साथ गर्मी में यदि कुछ हो जाता है तब कौन जिम्मेदार होगा? बिजली नहीं होने के बाद भी बिल भेजकर बिजली विभाग मानसिक रुप से प्रताड़ित भी कर रहा है.
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कुछ स्कूलों में बिजली कनेक्शन के लिए राशि बिजली विभाग को दी गई थी. जिसकी उपयोगिता का प्रमाण पत्र नहीं मिला. जहां तक बेला में बिजली न होने के बाद भी बिल पहुंचने की बात है तो इसकी जांच कराई जाएगी.
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