अव्यवस्था की हद! सतना जिला अस्पताल में नहीं था ड्रिप स्टैंड, पोते के लिए हाथ में ग्लूकोज की बोतल लेकर खड़ी रही बुजुर्ग महिला

Satna Hospital News: जानकारी के मुताबिक, घायल की 72 वर्षीय दादी को हाथ में ग्लूकोज की बोतल पकड़कर आधे घंटे तक खड़ रहना पड़ा. इस दौरान अस्पताल के कर्मचारी और मौजूद स्टाफ मूकदर्शक बने रहे.

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Satna District Hospital Bad Condition: सतना जिला अस्पताल से दिल दुखाने वाला वीडियो सामने आया है. वीडियो में एक बुजुर्ग महिला अपने दुर्घटना में गंभीर रूप घायल पोते के लिए हाथ में ड्रिप लिए अस्पताल के बेड के पास खड़ी दिख रही है. इस वीडियो ने प्रशासनिक दावों की पोल खोल दी है. जानकारी के मुताबिक, मैहर सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीज अश्वनी मिश्रा (35) को जिला अस्पताल रेफर किया गया था, लेकिन यहां पहुंचने पर मरीज को आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं तो दूर, ड्रिप लगाने के लिए एक स्टैंड तक उपलब्ध नहीं कराया गया. यह वीडियो सरदार वल्लभभाई पटेल जिला अस्पताल का है.

ग्लूकोज की बोतल पकड़कर आधे घंटे तक खड़ी रही बुजुर्ग महिला 

बताया गया कि घायल की 72 वर्षीय दादी को हाथ में ग्लूकोज की बोतल पकड़कर आधे घंटे तक खड़ा रहना पड़ा. इस दौरान अस्पताल के कर्मचारी और मौजूद स्टाफ मूकदर्शक बने रहे. उपस्थित लोगों का कहना था कि अस्पताल में ड्रिप स्टैंड की कमी नहीं है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही और संवेदनहीनता के चलते वृद्ध महिला को मजबूरी में यह जिम्मेदारी निभानी पड़ी.

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लोगों ने धक्का देकर चलाया वाहन

इधर, घायल को लाने वाली एंबुलेंस की हालत भी किसी से छिपी नहीं रही. जिला अस्पताल के गेट पर मरीज को उतारने के बाद एंबुलेंस स्टार्ट नहीं हुई. मजबूरन उपस्थित लोगों को धक्का लगाकर वाहन को चालू करना पड़ा. यह नजारा स्वास्थ्य विभाग की जर्जर व्यवस्था और जिम्मेदारों की अनदेखी को उजागर करने के लिए काफी था.

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अक्सर लोगों को हो रही परेशानी

स्थानीय नागरिकों ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब जिला अस्पताल की अव्यवस्था सामने आई हो. इससे पहले भी मरीजों को स्ट्रेचर या बिस्तर न मिलने की घटनाएं चर्चा में रही हैं. अस्पताल में हर दिन सैकड़ों मरीज पहुंचते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी और स्टाफ की लापरवाही के चलते उन्हें भारी परेशानी उठानी पड़ती है. लोगों का कहना है कि यदि जिला मुख्यालय का यह हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. मरीजों और उनके परिजनों की पीड़ा देखकर भी यदि जिम्मेदार अधिकारी जागरूक नहीं होते, तो यह स्थिति आने वाले दिनों में और गंभीर हो सकती है.

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