अमेरिका को 20 करोड़ रुपए देकर मध्‍य प्रदेश किस मामले में बना पहला राज्‍य?

Satellite Land Rights Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश India का पहला State बन गया है जहां Forest Rights Patta देने के लिए Satellite Mapping Technology का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने अमेरिका को 20 Crore Rupees भुगतान किया है. इसके साथ-साथ बुरहानपुर में जारी Eviction Notice को लेकर Tribal Community विरोध कर रही है और कानूनी व आंदोलन दोनों विकल्पों पर विचार कर रही है.

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Madhya Pradesh News: मध्‍य प्रदेश सरकार में आदिम जाति कल्याण मंत्री कुंवर विजय शाह ने हरदा जिले में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के 900 वनग्रामों को जल्द ही राजस्व ग्राम में परिवर्तित किया जाएगा. इस कदम से वनग्रामों में रहने वाले आदिवासी समुदाय को अधिक लाभ मिलेगा और विकास कार्यों को गति मिलेगी.

मंत्री शाह ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां वन अधिकार पट्टे देने के लिए सेटेलाइट इमेज का उपयोग किया जा रहा है. इस परियोजना के लिए अमेरिका को 20 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि 5 दिसंबर 2013 से पहले से काबिज लोगों को सेटेलाइट इमेज के आधार पर पट्टे देने में आसानी होगी, क्योंकि इससे उस समय की वास्तविक स्थिति का पता चल सकेगा.

वन अधिकार पट्टा जारी करने के लिए सेटेलाइट इमेज के साथ-साथ स्थानीय लोगों के चार लिखित बयान और किसी भी प्रकार की जुर्माने की रसीद को भी आधार माना जाएगा. इन पट्टों के मिलने से वन गांवों में रहने वाले लोग अपनी भूमि पर स्थायी निर्माण कर सकेंगे.

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इस दौरान मंत्री शाह ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा. उनका कहना था कि आजादी के बाद से कांग्रेस ने वनग्रामों में रहने वाले लोगों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जबकि वर्तमान सरकार ने अब तक हजारों लोगों को पट्टे वितरित किए हैं.

उधर, मध्‍य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में जंगलों में रह रहे आदिवासियों को वन विभाग ने बेदखली नोटिस जारी किए हैं. डरे-सहमे आदिवासी इस संकट से निपटने के लिए सक्रिय हो गए हैं. आदिवासी समुदाय के लोग अब एसपी और कलेक्टर से मिलकर शिकायत दर्ज करा रहे हैं.

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आदिवासियों के अनुसार, वन विभाग ने जिले में करीब 8 हजार वन अधिकार कानून के तहत जारी पट्टे निरस्त कर दिए हैं. उनका आरोप है कि विभाग द्वारा वन अधिकार कानून का खुला उल्लंघन किया जा रहा है.

आदिवासी नेताओं का कहना है कि कानून के तहत पट्टा निरस्त होने पर लाभार्थी को कारण सहित नोटिस देना ज़रूरी है, लेकिन विभाग ने केवल अखबार में सूचना प्रकाशित कर उन लोगों को बेदखल करने का आदेश दे दिया है जिन्हें पट्टा नहीं मिला.

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आदिवासियों ने चेतावनी दी है कि न्याय के लिए वे उग्र आंदोलन से लेकर कानूनी कार्रवाई तक हर विकल्प अपनाने को तैयार हैं, ताकि वन विभाग के इस निर्णय का विरोध किया जा सके.