Sanchi Stupa: साल में एक बार खुलता है सांची का तहखाना, जानें-क्या है इससे जुड़ा रहस्य

Sanchi Stupa Basement: बौद्ध भगवान के जीवन में सांची एक अहम हिस्सा है. यहां बना सांची स्तूप पूरी दुनिया के लोगों के लिए टूरिज्म का एक खास स्पॉट है. नवंबर और दिसंबर महीने में यहां आना और भी खास हो जाता है, क्योंकि साल में एक बार इस समय में इस मंदिर का तहखाना खोला जाता है. आइए आपको इससे जुड़ी मान्यता बताते हैं.

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सांची स्तूप में आयोजित हुई खास पूजा

Sanchi Stupa MP: दुनिया भर में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सांची का सांची स्तूप बहुत प्रसिद्ध है. अपनी ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक पहचान के कारण यहां लोगों का हमेशा जमावड़ा लगा रहता है. लेकिन, साल के अंतिम दो महीने यहां के लिए और भी खास है. इस मंदिर का तहखाना (Sanchi Stupa Basement) साल में एक बार इसी समय खोला जाता है. इस खास मौके पर भगवान बुद्ध के शिष्य महामोदग्लायन और सारीपुत्र की पवित्र अस्थियों को दर्शन के लिए निकाला जाता है. शनिवार और रविवार को यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जिसे विश्व बौद्ध गुरु द्वारा संपन्न कराया जाता है. इसका उद्देश्य पूरे विश्व में शांति और सद्भाव का संदेश फैलाना है.

बौद्ध मंदिर की खास पूजा में शामिल हुए प्रहलाद पटेल

प्रहलाद पटेल हुए पूजा में शामिल 

साल में एक बार होने वाले इस खास पूजा में शामिल होने मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे. उन्होंने इसे अपना सौभाग्य बताया. पटेल ने कहा, 'यह मेरे लिए बहुत गर्व और सौभाग्य की बात है कि मुझे इस ऐतिहासिक पूजा में शामिल होने का अवसर मिला.'

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72वीं वर्षगांठ मना रहा सांची

विश्व बौद्ध गुरु उपतिस महाथेरो ने बताया कि इस साल सांची अपनी 72वीं वर्षगांठ मना रहा है. इसकी शुरुआत देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी. उन्होंने बताया, 'सांची में हर साल नवंबर के आखिरी शनिवार और रविवार को विशाल पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है. इसमें देश-विदेश से श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं.'

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निकली है भव्य शोभायात्रा

श्रीलंका महाबोधि सोसाइटी समेत कई संस्थाओं के श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. सांची स्तूप की पहाड़ी से लेकर महाबोधि मंदिर तक एक भव्य शोभायात्रा भी निकाली जाती है. सांची के इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक आयोजन में शामिल होकर श्रद्धालु न केवल शांति का संदेश पाते हैं बल्कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को भी आत्मसात करते हैं.

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