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सांची बनी देश की पहली सोलर सिटी, CM शिवराज ने दी बड़ी सौगात...जानें खासियत 

मध्यप्रदेश का मशहूर पर्यटन स्थान सांची प्रदेश का ही नहीं बल्कि देशभर का पहला सोलर शहर बन गया है. जहां घर, सड़कें, दफ्तर सब कुछ सौर ऊर्जा से ही रोशन होंगे. सारे सरकारी भवन जैसे रेलवे स्टेशन, होटल गेटवे, सीएम राइज स्कूल, पोस्ट ऑफिस इन सब पर सोलर पावर प्लांट्स लगाए गए हैं.

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सांची बनी देश की पहली सोलर सिटी

मध्यप्रदेश का मशहूर पर्यटन स्थल सांची प्रदेश का ही नहीं बल्कि देशभर का पहला सोलर शहर बन गया है. जहां घर, सड़कें, दफ्तर सब कुछ सौर ऊर्जा से ही रोशन होंगे. सारे सरकारी भवन जैसे रेलवे स्टेशन, होटल गेटवे, सीएम राइज स्कूल, पोस्ट ऑफिस इन सब पर सोलर पावर प्लांट्स लगाए गए हैं. यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट आत्म निर्भर भारत के तहत पूरा किया गया है. बुधवार को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सांची में इसका लोकार्पण किया. 

CM शिवराज ने दी बड़ी सौगात

इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'यह अत्यंत गौरव का विषय है. सांची देश का पहला शहर है, जो सोलर सिटी घोषित हो रहा है. सोलर सिटी का मतलब हमें जितनी बिजली की जरूरत है, वह सौर-ऊर्जा से बनाई जाएगी. मैं एक बात आपको बताना चाहता हूं. मेरी बहनों, हम जो कोयले से बिजली बनाते हैं उससे पर्यावरण बिगड़ता है. कोयले की बिजली हो या फिर पेट्रोल डीजल की बिजली हो, इसके अंधाधुंध इस्तेमाल के कारण प्रकृति पर बड़ा गहरा दुष्प्रभाव पड़ा है. संपूर्ण जगत का और हमारा भी कल्याण इसी में है कि हम कोयला और बाकी परंपरागत साधनों को छोड़कर सौर-ऊर्जा से बिजली बनाना शुरू करें.'

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बिजली बिल में होगी करोड़ों की बचत

बताते चलें, नागौरी की पहाड़ी पर 18.75 करोड़ की लागत से ये सोलर प्लांट लगाया गया है. इसे बनाने का काम 5 साल पहले शुरू हुआ था. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए मशीनों से पहाड़ी को समतल किया गया. मालूम हो कि फिलहाल शहर का औसत मासिक बिजली बिल करीब 1 करोड़ रु. आता है. कहा जा रहा है कि इन सौर पैनलों से बिजली बिल में 7.68 करोड़ की सालाना बचत होगी. 

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बिजली बचाने का लिया संकल्प 

सांची में करीब 7 हजार नागरिकों ने अपने घरों में सोलर स्टेंड लैंप, सोलर स्टडी लैंप, सोलर लालटेन का इस्तेमाल कर बिजली बचाने का संकल्प लिया है. वहीं ये सौर पैनल 2.3 लाख पेड़ों के बराबर हैं. इसके इस्तेमाल से सालाना 13747 टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी. इस प्लांट के जरिए लोगों के घरों तक बिजली पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट की मदद से लोगों के बिजली बिल में 50 से 60 फीसदी तक का फर्क देखने को मिलेगा. 

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