Samvidhan Hatya Diwas: लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय; MP में सालभर होंगे आयोजन

Samvidhan Hatya Diwas: भारत में 25 जून 1975 को लागू आपातकाल लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय माना जाता है. इस दौरान केन्द्रीय सत्ता द्वारा नागरिक स्वतंत्रता का निलंबन, मौलिक अधिकारों का हनन, संवैधानिक प्रावधानों की उपेक्षा और दमनकारी कार्यवाहियाँ चरम पर थीं.

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Samvidhan Hatya Diwas: संविधान हत्या दिवस पर मध्य प्रदेश में होंगे सालभर कार्यक्रम

Samvidhan Hatya Diwas: मध्य प्रदेश में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर "संविधान हत्या दिवस" का आयोजन किया जायेगा. इसको लेकर 25 जून से एक साल तक अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय ने आयोजन के संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं. बताया जा रहा है कि यह एक वर्षीय अभियान संविधान एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हेतु जनजागरण के प्रति समर्पित रहेगा. वहीं एमपी के सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि "आपातकाल गणतंत्र पर एक हमला था. आज डॉ अंबेडकर जी के नाम पर जो कांग्रेस के मित्र ग्वालियर में घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, उसी कांग्रेस ने बाबा साहब को जीते-जी कई त्रास दिये. दिल्ली में उनके अंतिम संस्कार के लिए भी अवसर न देने वालों का सच जनता जानती है. मैं कहना चाहता हूँ कि कांग्रेसी मित्र उपवास की जगह अपने अतीत के पापों को याद कर उसकी क्षमा के लिए प्रार्थना करें."

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लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय

भारत में 25 जून 1975 को लागू आपातकाल लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय माना जाता है. इस दौरान केन्द्रीय सत्ता द्वारा नागरिक स्वतंत्रता का निलंबन, मौलिक अधिकारों का हनन, संवैधानिक प्रावधानों की उपेक्षा और दमनकारी कार्यवाहियाँ चरम पर थीं. गृह मंत्रालय द्वारा आपातकाल लागू होने की तिथि को "संविधान हत्या दिवस" के रूप में 11 जुलाई 2024 को अधिसूचित किया गया है.

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"संविधान हत्या दिवस" से वर्ष भर होने वाले आयोजनों के अंतर्गत केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के निर्देश पर केन्द्र सरकार द्वारा निर्मित विशेष फिल्मों का प्रदर्शन और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा. साथ ही प्रदेश के सभी जिलों में युवाओं, विद्यार्थियों, प्रबुद्धजनों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से संगोष्ठियाँ, संवाद, निबंध प्रतियोगिता, रैलियाँ और अन्य गतिविधियाँ संचालित की जाएंगी. इससे लोकतांत्रिक चेतना का विस्तार हो सकेगा. यह एक वर्षीय आयोजन आपातकाल की ऐतिहासिक त्रासदी की दुखद अनुभूतियों के दृष्टिगत सांविधानिक नैतिकता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति नवीन प्रतिबद्धता का सशक्त प्रतीक बनेगा.

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