Garba: सागर जिले में नवरात्रि पर्व पर अनोखा गरबा चर्चा का विषय है, जिसमें गरबा नृत्य लोग हाथों में डांडिया लेकर नहीं, बल्कि तलवार लेकर करेंगे. डांडिया की जगह हाथों में लकड़ी से तलवारें लेकर गरबा कर रही लड़कियों ने बेटियों को आत्मरक्षा का संदेश दिया. तलवार से गरबा खेलकर बेटियों ने बताया कि वो जरूरत पड़ने पर अपनी सुरक्षा में सक्षम हैं.
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तलवार से गरबा नृत्य के आयोजन से चर्चा में आए आयोजक लकी सराफ
तलवार से गरबा नृत्य के आयोजन से चर्चा में आए आयोजक लकी सराफ ने बताया कि समाज में बढ़ते महिला उत्पीड़न, दुष्कर्म और हत्या जैसे जघन्य अपराधों को देखते हुए इस वर्ष गरबे को आत्मरक्षा प्रशिक्षण से जोड़ा गया है. उनका कहना है कि बहन-बेटियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना ही आयोजन का मुख्य उद्देश्य है.
आठ वर्षीय एक नन्हीं बालिका ने तलवार से गरबा सबका मनमोह लिया
अनोख गरबा नृत्य से सबका ध्यान आकर्षित करने वाली आठ वर्षीय एक नन्हीं बालिका ने तलवार से गरबा सबका मनमोह लिया. गरबा नृत्य के दौरान नन्हीं बालिका का ऊर्जा और आत्मविश्वास देखकर पूरा मंच तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. इस दृश्य ने संदेश दिया कि आत्मरक्षा की शिक्षा बचपन से ही दी जाए तो बेटियां और भी आत्मनिर्भर बन सकती हैं.
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तलवारों के साथ बेटियों ने शक्ति स्वरूप का प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया
गौरतलब है गरबा महोत्सव में महिलाओं ने तलवारों के साथ नृत्य करते हुए न केवल मां दुर्गा के शक्ति स्वरूप का प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया, बल्कि समाज को यह भी बताया कि आज की नारी समय आने पर दुष्टों का संहार करने में पीछे नहीं हटेगी. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और सभी ने इस अनोखे प्रयोग की सराहना की.
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है तलवारों से किया गरबा
इस अनूठे आयोजन से यह साफ है कि नवरात्रि पर्व केवल आस्था और उत्सव का प्रतीक ही नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश देने का भी माध्यम बन सकता है. बेटियों द्वारा तलवारों से किया गया गरबा आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जो यह संदेश देता है कि आत्मरक्षा ही सच्चे अर्थों में सशक्तिकरण की ओर पहला कदम है.