MP के सागर की डॉ. सरोज गुप्ता ने तैयार किया 15 हजार से अधिक शब्दों का बुंदेली शब्दकोश, जानें खासियत

MP News: मध्य प्रदेश के सागर की डॉ. सरोज गुप्ता ने 15 हजार से अधिक शब्दों का बुंदेली शब्दकोश  तैयार किया है. 

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Madhya Pradesh News: भले ही बुंदेलखंड को प्रशासनिक या राजनीतिक सीमाओं में बांट दिया गया हो, लेकिन बुंदेली बोली और उसकी संस्कृति की मिठास आज भी हर अंचल में गूंजती है. इसी मिठास को सहेजने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का कार्य सागर की विदुषी डॉ. सरोज गुप्ता ने किया है. उन्होंने 15 हजार से अधिक बुंदेली शब्दों का संग्रह कर एक अनूठा बुंदेली शब्दकोश तैयार किया है.

डॉ. सरोज गुप्ता सागर के पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष और प्राचार्य हैं. उनका बुंदेली भाषा से लगाव बचपन से ही रहा है। दरअसल, उनके पिता स्वयं प्राचार्य थे और बुंदेली के प्रति गहरा प्रेम रखते थे. घर पर बुंदेली पत्रिकाएं  ‘मामोलिया', ‘ईसुरी' और ‘चौमासा' नियमित रूप से आती थीं. इन्हीं पत्रिकाओं से डॉ. गुप्ता के मन में बुंदेली के प्रति रुचि जागी.

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शोध कार्य किया था शुरू 

डॉ. गुप्ता बताती हैं कि जब उन्होंने बुंदेली संस्कृति, कविता और लोककला पर शोध कार्य शुरू किया, तभी उन्हें एहसास हुआ कि बुंदेली सिर्फ एक बोली नहीं, बल्कि एक समृद्ध भाषा है. इसके संरक्षण और अध्ययन के लिए उन्होंने वर्ष 1996 से बुंदेली शब्दों का संकलन शुरू किया. वर्षों की मेहनत और लगन से अब यह संग्रह एक विशाल शब्दकोश का रूप ले चुका है.

विश्वकोश की दिशा में कर रही हैं काम 

डॉ. सरोज गुप्ता अब यहीं नहीं रुक रही हैं. वे अब बुंदेली भाषा का इनसाइक्लोपीडिया (विश्वकोश) तैयार करने की दिशा में भी कार्य कर रही हैं, ताकि बुंदेलखंड की इस अमूल्य धरोहर को वैश्विक पहचान मिल सके.बुंदेली के प्रति उनका यह समर्पण न केवल भाषा प्रेम का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि यदि जुनून हो तो क्षेत्रीय भाषाएं भी विश्व मंच पर अपनी पहचान बना सकती हैं. 

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