Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ पदाधिकारी और विचारक डॉ. मनमोहन वैद्य की पुस्तक "हम और यह विश्व" का विमोचन किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ रहे. पुस्तक विमोचन के दौरान मनमोहन वैद्य ने भारतीय संस्कृति, समाज, राष्ट्रवाद और शिक्षा व्यवस्था पर अपने विचार व्यक्त किए.
मनमोहन वैद्य बोले-गीत समझे बिना हम भावुक हो जाते
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मनमोहन वैद्य ने मशहूर गीत “सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा” पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि लोग इस गीत को बड़े गर्व से गाते हैं, लेकिन इसकी दूसरी पंक्ति का सही अर्थ बहुत कम लोगों को पता है.
उन्होंने कहा कि “हम बुलबुले हैं इसकी, वो गुलसितां हमारा...” इस पर उन्होंने सवाल किया कि बुलबुल का मतलब क्या है और यह पंक्ति हमारे देशभक्ति गीत में किस संदर्भ में कही गई है. वैद्य ने कहा कि इस गीत को समझने की जरूरत है, केवल गुनगुनाने की नहीं.
"भारत कृषि प्रधान नहीं, उद्योग प्रधान देश"
उन्होंने भारतीय इतिहास और शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि भारत हमेशा से कृषि प्रधान देश नहीं रहा, बल्कि उद्योग और ज्ञान आधारित सभ्यता रहा है, लेकिन हमें यह इतिहास कभी नहीं पढ़ाया गया. उन्होंने आगे कहा कि “India is a culture that celebrates diversity. हमारी संस्कृति एक है, लेकिन अभिव्यक्ति अनेक रूपों में है.”
दिग्विजय सिंह का तंज-VIP प्रोटोकॉल का उल्लंघन
इधर पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के भोपाल आगमन पर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर प्रदेश सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने लिखा कि भोपाल एयरपोर्ट पर धनखड़ को रिसीव करने के लिए सरकार का कोई मंत्री नहीं पहुंचा, जो VIP प्रोटोकॉल का उल्लंघन है.
दिग्विजय सिंह ने लिखा-“धनखड़ जी आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने आए हैं, लेकिन उन्हें रिसीव करने के लिए न तो मंत्री गया और न ही मुख्यमंत्री. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.” उन्होंने तंज कसते हुए कहा-“भाजपा का तरीका है. Use and Throw. चाहे व्यक्ति RSS का समर्थक ही क्यों न हो. यदि वे योग्य नहीं थे तो उपराष्ट्रपति क्यों बनाया गया?"
दिग्विजय सिंह ने आगे सवाल उठाया कि जब भाजपा ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना था, तो अब उनकी उपेक्षा क्यों की जा रही है. उन्होंने लिखा-“भाजपा जिन्हें उपराष्ट्रपति जैसा सम्मानित पद देती है, क्या वही व्यक्ति अब उनके लिए महत्वहीन हो गए?” दिग्विजय सिंह ने यह भी बताया कि उन्होंने धनखड़ से मिलने के लिए समय मांगा है, लेकिन अब तक जवाब नहीं मिला है. उन्होंने कहा-“मेरी सहानुभूति धनखड़ जी के साथ है क्योंकि वे बड़े किसान नेता और राज्यसभा के अध्यक्ष के रूप में सम्मानित रहे हैं.”