Road Accident: गौशालाएं तो हैं फिर सड़क पर बेजुबान क्यों ले रहे हैं इंसानों की जान? जानिए क्या कह रही है सरकार

Cattle on Road in MP: मध्य प्रदेश में मवेशियों का नियंत्रण उनका पालन पोषण गौ-संवर्धन बोर्ड करता है. यहीं से आवारा मवेशियों को रखना पालन करना और उनकी देखभाल के लिए एक निश्चित राशि जारी की जाती है और गौशालाओं की मॉनीटरिंग भी लेकिन बोर्ड की मौजूदगी के बाद भी तस्वीर अगर कुछ इसी तरह की सामने आती है तो चिंता बढ़ना स्वाभाविक है क्योंकि बात सड़क पर इंसानों की सुरक्षा की है.

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Cattle on Road: मध्य प्रदेश की सड़कों पर जानलेवा साबित होत आवारा पशु

Road Accidents in MP: मध्य प्रदेश में 2190 गौशाला (Gaushala) हैं, 3 लाख से ज्यादा मवेशी रखे भी जा रहे हैं, फिर भी इनकी सड़क पर मौजूदगी कई सवाल खड़े करती है. सड़क पर घूमते आवारा पशु इंसानी जान को जोखिम में डालकर अक्सर सड़क दुर्घटनाओं (Road Accidents) को जन्म देती हैं. आंकड़ों की बात करें तो हर रोज मध्य प्रदेश में 200 से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं आवारा पशुओं के कारण सामने आती हैं. आंकड़े यह भी बताते हैं कि मध्य प्रदेश में आवारा पशुओं की वजह से वर्ष 2021-22/23-24 और 25 में हर रोज तीन से ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में आवारा मवेशियों के कारण इंसानी जान भी गई. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) ग्वालियर खंडपीठ ने 13 जिलों के कलेक्टर को नोटिस दिया है और पूछा है कि मवेशी सड़क पर क्यों है? आइए देखते हैं NDTV कि यह खास रिपोर्ट.

पहले जानिए इस परिवार का दर्द

पूरी खबर में जाने से पहले यह जानना जरूरी है कि जिस जानवर की वजह से किसी इंसान की मौत हो जाए उसका सड़क से हटना इतना जरूरी क्यों है? ये इसलिए है, क्योंकि कोई परिवार बिखर जाए तो उसका दुख क्या होता है, उसे हम बता भी नहीं सकते. NDTV ने सुधीर चावला से मुलाकाल की, सड़क पर अपनी पत्नी के साथ सब्जी मंडी गए सुधीर की पत्नी को आवारा मवेशी ने सड़क पर लड़ते हुए टक्कर मार दी, पत्नी गिर गईं. कुछ दिन इलाज चला, लेकिन मौत हो गई. सुधीर और उनके बच्चे अकेले पड़ गए और एक हंसता खेलता परिवार बिखर गया. अब सुधीर इस कोशिश में रहते हैं कि आवारा पशु की वजह से किसी और की मौत ना हो, इसलिए वे जहां भी देखते हैं सड़क से आवारा मवेशी हटाने लगते हैं.

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क्या कहते हैं आंकड़े?

  • मध्य प्रदेश में शिवपुरी गुना अशोकनगर ग्वालियर छतरपुर पन्ना श्योपुर सहित दर्जनों जिले हैं. जहां इन आवारा पशुओं की वजह से हर रोज 200 से ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं.

  • ग्वालियर उच्च न्यायालय ने ग्वालियर सहित ग्वालियर-चंबल अंचल के मुरैना, दतिया, शिवपुरी, श्योपुर, भिंड, विदिशा, गुना व अशोक नगर सहित कुछ और जिलों के कलेक्टर को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.

  • साथ ही कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त ग्वालियर, केंद्र शासन, पशु चिकित्सा विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग, संयुक्त संचालक पशुपालन विभाग को नोटिस जारी किए गए हैं.

  • मध्य प्रदेश में 2190 पंजीकृत गौशालाएं हैं, जिनमें से 627 अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा और 1563 गौशालाएं मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना के अंतर्गत संचालित हैं.

  • कुल पंजीकृत गौशालाएं 2190.

  • अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित गौशालाओं की संख्या 627 है.

  • मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना के अंतर्गत संचालित गौशालाएं 1563.

  • गौवंश की संख्या: 3.15 लाख

  • निर्माणाधीन गौशालाएं: 600

  • निर्माणाधीन गौशालाओं में 15 करोड़ रुपये भी खर्च किए जा रहे हैं.

  • सक्रिय गौशालाओं की संख्या 1900 से अधिक है.

  • मध्य प्रदेश में गौशालाओं को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने गौ सेवा आयोग की स्थापना की है.

  • गौ सेवा आयोग गौशालाओं के लिए अनुदान और अन्य सहायता प्रदान करता है. गौशालाओं में बायोगैस संयंत्र भी स्थापित किए जा रहे हैं ताकि गौशालाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया जा सके.

  • मध्य प्रदेश में 1170 सर्वसुविधायुक्त गौशालाएं हैं, जिनमें एक लाख 3 हजार से अधिक गौवंश पल रहे हैं.

जिम्मेदारों का क्या कहना है?

सबसे पहले हम शिवपुरी जिला पंचायत के दफ्तर पहुंचे. दफ्तर के मुखिया सीईओ हिमांशु जैन से पूछा तो उन्होंने साफ स्वीकार करते हुए कहा कि गौशाला बनाने का उद्देश्य ही यह है कि सड़क मवेशी आवारा ना घूमें. लेकिन सड़क पर घूमते मवेशियों के लिए इन्होंने पशुपालन विभाग को जिम्मेदार बताया.

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जिला पंचायत के दफ्तर से निकलने के बाद हमने रुख किया पशुपालन विभाग का. हम वहां पहुंचते और पशुपालन विभाग में अधिकारी से जानकारी लेते उससे पहले ही पशुपालन विभाग के नजदीक ही सड़क पर आवारा मवेशियों का हुजूम दिखा. हमने लोगों से बात की और उनकी परेशानियों को समझने की कोशिश भी की, यह भी सोचा कि अधिकारी को दिखाएंगे और पूछेंगे कि यह सड़क पर क्यों हैं?  

पशुपालन विभाग पहुंचने पर पशुपालन विभाग शिवपुरी के अधिकारी को सारी स्थिति बताई पूछा कि यह मवेशी सड़क पर क्यों है? आपके पास इनको रखने की क्या व्यवस्था है? संयुक्त संचालक बीपी यादव ने यह माना की मवेशी सड़क पर नहीं होना चाहिए लेकिन मवेशी सड़क पर क्यों है? इसका इनके पास भी कोई जवाब नहीं था.

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सरकारी तंत्र सिस्टम व्यवस्था नियम कायदे कानून सब बताते हैं कि सब कुछ है लेकिन सड़क पर मवेशी क्यों है कोई नहीं बताता इसका जवाब हम ढूंढने निकले थे, लेकिन हम भी पता नहीं लगा सके की सड़क पर आवारा मवेशी क्यों है?

शहरी इलाके में आवारा मवेशी ज्यादा आतंक करते हैं तो इसकी जिम्मेदारी नगर प्रशासन को उठानी चाहिए ऐसे में हम नगर प्रशासन दफ्तर पहुंचे. जहां नगर पालिका CMO ने हमसे घुसते ही कह दिया कि हमारे पास सिर्फ एक गौशाला है. उसमें भी हमारा पूरा नियंत्रण नहीं. गौशाला पूरी भरी हुई है. उसमें जानवर रखने की जगह नहीं है.

हम पड़ताल करने निकले थे और सच जानकर ही वापस जाना चाहते थे हमने सीधे रुख किया गौशाला का वहां पहुंचे तो  जिम्मेदार कर्मचारी बोला 800 की जगह है 400 जानवर हैं 400 जानवर की जगह खाली है.

हम कानून का पक्ष भी जान लेना चाहते थे, इसलिए वकील के पास पहुंचे. धाराएं क्या कहती हैं? नियम कायदे कानून क्या हैं? हाईकोर्ट के वकील संजीव बिलगया ने कहा कि आदेश सिर्फ कलेक्टरों को नहीं बल्कि NH डिपार्टमेंट के अधिकारियों और केंद्र सरकार को भी दिए गए हैं और पूछा गया है कि आवारा मवेशी आखिर सड़क पर क्यों है?

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