... 4 दिन भूखे प्यासे, मौत के साये में बिताए ! नेपाल में फंसकर लौटे परिवार ने बयां की कहानी

नेपाल आर्मी की मदद से रेस्क्यू किए जाने के बाद परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया. देवराज पटेल ने कहा, "हमें हेलीकॉप्टर से निकाला गया और सुरक्षित जगह पहुंचाया गया. हमारी एंबेसी ने भी हमारी मदद की. हम नेपाल आर्मी और वहां के लोगों के शुक्रगुजार हैं. "

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... 4 दिन भूखे प्यासे, मौत के साये में बिताए ! नेपाल में फंसकर लौटे परिवार ने बयां की कहानी

Stranded MP Pilgrims In Nepal : रीवा का एक परिवार नेपाल के सीतामढ़ी में दर्शन करने के बाद काठमांडू जा रहा था.... लेकिन इस बीच लैंडस्लाइड की एक घटना से पूरा परिवार बीच सफर में फंस गया.  इस मुश्किल घड़ी में परिवार ने मौत को बेहद करीब से देखा. NDTV से बातचीत में परिवार ने बताया कि किस तरह वे इस भयानक स्थिति से गुज़रे.  परिवार के सदस्य देवराज पटेल, श्यामकली, और उनके बच्चे लक्ष्मी और यशराज ने NDTV को अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, "हमने मौत को चार दिनों तक बहुत नजदीक से देखा. हर पल यह डर था कि अगला क्षण ज़िंदा रहेंगे या नहीं. हमने अपने सामने पहाड़ को धसकते देखा और लोगों को पानी में बहते हुए देखा. दो दिनों तक भूखे-प्यासे रहे. "

परिवार का कहना था कि लैंडस्लाइड और भारी बारिश ने उन्हें चार दिनों तक कहीं भी जाने नहीं दिया. ❝ ना हम इधर जा सकते थे, ना उधर. हर ओर केवल डर था और कोई मदद नहीं थी. ❞

तीसरे दिन के बाद मिली मदद

तीसरे दिन नेपाल आर्मी ने उनकी मदद की. उन्हें बिस्कुट और पानी की बोतलें दी गईं. स्थानीय लोगों ने भी उनका साथ दिया. परिवार ने बताया, "हमने खेतों में लगी सोयाबीन और आलू को भूनकर खाया. इस तरह हमने चार दिन वहां बिताए. हमारे मोबाइल बंद हो गए थे, इसलिए किसी से संपर्क भी नहीं हो पा रहा था. "

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परिवार ने बताया कि रास्ते में सब कुछ ठीक था जब वे सीतामढ़ी पहुंचे और दर्शन किए. सत्संग में शामिल होने के बाद उन्होंने काठमांडू जाने का फैसला किया था लेकिन रास्ते में लैंडस्लाइड के चलते वो फंस गए. तभी भारी बारिश और पहाड़ों के धसकने से रास्ता बंद हो गया और चार दिन तक वे वहीं फंसे रहे.

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रेस्क्यू के बाद परिवार ने ली राहत

नेपाल आर्मी की मदद से रेस्क्यू किए जाने के बाद परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया. देवराज पटेल ने कहा, "हमें हेलीकॉप्टर से निकाला गया और सुरक्षित जगह पहुंचाया गया. हमारी एंबेसी ने भी हमारी मदद की. हम नेपाल आर्मी और वहां के लोगों के शुक्रगुजार हैं, जिनकी वजह से आज हम जिंदा हैं. "

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