रतलाम : 'पट्टा नहीं तो वोट नहीं' के पोस्टर के साथ ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे

धरने पर बैठे ग्रामीणों ने पोस्टर भी लगाया है कि पट्टा नहीं तो वोट नहीं ये पूरा मामला बंजली ग्राम पंचायत का है, जहां सैकड़ो ग्रामीण आज से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. गांव के सरपंच ने बताया कि, "पट्टे के संबंध में पहले भी हमने धरना प्रदर्शन किया था, मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी दिया गया था ,प्रभारी मंत्री, सांसद को भी ज्ञापन दिया गया था मगर हमेशा बस आश्वासन ही मिला है.

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इस गांव के ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. धरने पर बैठे ग्रामीणों ने पोस्टर भी लगाया है कि पट्टा नहीं तो वोट नहीं.

रतलाम के बंजली गांव में ग्रामीणों ने अब गांव में नेताओं की एंट्री बंद कर दी है. जी हां सरकारी जमीन पर पट्टे नहीं मिलने से ग्रामीण राजनेताओं और जिला प्रशासन से नाराज चल रहे थे, जिसके बाद ग्रामीणों ने ये कदम उठाया है. साथ ही ग्रामीणों ने अब विधानसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार करने का मन बना लिया है.

ग्रामीण बैठे धरने पर
इस गांव के ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. धरने पर बैठे ग्रामीणों ने पोस्टर भी लगाए हैं कि पट्टा नहीं तो वोट नहीं. ग्रामीणों की मांग है कि गांव में 600 से ज्यादा ऐसे परिवार है जो सरकारी जमीन पर 40 वर्ष से ज़्यादा समय से रह रहे हैं, जिला प्रशासन गांव के क्षेत्र को आबादी क्षेत्र घोषित नहीं कर रहा जबकि इतने सालों से इस जमीन पर रह रहे ग्रामीणों को इसी जमीन पर सरकारी पट्टे चाहिए. मांग पूरी नहीं के जाने पर ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने और किसी राजनेता को गांव में नहीं घुसने देने की चेतावनी भी दी है.

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कई साल से कर रहे हैं ंमांग
ग्रामीण बीते कई सालों से जिला प्रशासन से पट्टे देने की मांग कर रहे हैं लेकिन अब तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई हैं. वहीं रतलाम मेडिकल कॉलेज परिसर के लिए ग्राम पंचायत क्षेत्र की ओर से जमीन अधिग्रहण करने की जानकारी ग्रामीणों को मिली है जिसके बाद ग्रामीण आज से धरने पर बैठ गए हैं. बड़ी बात यह है कि इन ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देने की भी बात कही है.

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गांव के सरपंच पति ने क्या कहा?
गांव के सरपंच पति ने बताया कि, "पट्टे के संबंध में पहले भी हमने धरना प्रदर्शन किया था, मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी दिया गया था ,प्रभारी मंत्री, सांसद को भी ज्ञापन दिया गया था मगर हमेशा आश्वासन ही मिला है, हुआ कुछ भी नहीं. इस बार हमने मन बना लिया है कि हमे लिखित में आदेश मिलेगा तभी हम यहां से उठेंगें नही तो हम यही बैठे रहेंगे और हमारा रात-दिन अनिश्चित कालीन धरना चलता रहेगा. इसके बाद भी सरकार ने हमारी बात नही सुनी तो पूरा गांव बच्चों के साथ भूख हड़ताल पर बैठ जाएगा ,स्कूल भी बंद करवा देगें सभी बच्चे-बच्ची यहां धरने में आकर बैठेंगे, वैसे पढ़ कर भी बच्चे क्या करेंगे जब रहने के लिए छत ही नही होगी." 

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