रतलाम पुलिस ने 'डिजिटल अरेस्ट' जैसे नए साइबर हथकंडे से करोड़ों की ठगी करने वाले अंतरराज्यीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश करते हुए बड़ी सफलता हासिल की है. इस हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड में एक रिटायर्ड प्रोफेसर को मुंबई क्राइम ब्रांच और कोर्ट की फर्जी कार्यवाही दिखाकर मानसिक रूप से बंधक बनाया गया. इस दौरान उनसे 1 करोड़ 34 लाख 50 हजार रुपये की ठगी की गई.
एसपी अमित कुमार ने बताया कि 15 नवंबर को फरियादी के मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए कहा कि फरियादी के नाम से जारी सिम का इस्तेमाल बड़े फ्रॉड में हुआ है. आरोपी ने दावा किया कि मुंबई स्थित केनरा बैंक में करीब 247 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है, जिसमें फरियादी का आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज लगे हैं.
वीडियो कॉल पर बात करके कोर्ट का दिखाते थे सेटअप
जब फरियादी ने इन आरोपों से इनकार किया तो उसे गिरफ्तारी वारंट और तत्काल गिरफ्तारी का डर दिखाया गया. इसके बाद वॉट्सऐप और सिग्नल ऐप के जरिए लगातार वीडियो कॉल कर मानसिक दबाव बनाया गया. वीडियो कॉल पर न्यायालय जैसा सेटअप, जज, वकील और गवाहों का नाटकीय दृश्य दिखाकर फरियादी को यह विश्वास दिलाया गया कि वह "डिजिटल अरेस्ट" में है.
संपत्ति और बैंक खातों की जानकारी लेकर ट्रांसफर कराए पैसे
आरोपियों ने फरियादी से आधार कार्ड व अन्य निजी दस्तावेज हासिल किए. फिर उसकी संपत्ति और बैंक खातों की जानकारी लेकर ब्लैकमेल किया. जालसाजों ने 15 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच भय और छल से कुल 1.34 करोड़ रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए.
बेटे के नाम पर भी डराया
फरियादी रिटायर्ड प्रोफेसर हैं और उनका बेटा कनाडा में है. आरोपियों ने बेटे के नाम पर भी डराया और कहा कि वह कभी भारत नहीं आ पाएगा. इसी डर के चलते फरियादी लगातार रकम ट्रांसफर करता रहा.
SIT का गठन
इस मामले में ई-एफआईआर दर्ज की गई थी. प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसपी अमित कुमार ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए. थाना दीनदयाल नगर में कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया.
एसपी अमित कुमार के निर्देशन में एएसपी राकेश खाखा एवं एएसपी विवेक कुमार लाल के मार्गदर्शन में 18 सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) गठित किया गया हे.
कश्मीर, गुजरात, आसम, बिहार और विदेश तक जुड़े तार
एसपी ने बताया कि दरअसल इस मामले में चार अलग-अलग टीम बनकर काम कर रहे लोगों की चेन क्रेक की गई है. टेलीग्राम और वॉट्सऐप पर कुछ आरोपी फर्जी सिम, फर्जी नाम से अकाउंट्स बनाकर फ्लेश करते हैं. इन्हें अन्य आरोपी खरीदते हैं और इन्हीं के माध्यम से एपीके एप डाउनलोड करवाकर राशि लेते हैं. यहां से राशि सूरत में आंगड़िया के माध्यम से क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से कंबोडिया तक जाती है. यहीं से इस मामले में भी राशि ली गई। इसमें कश्मीर, गुजरात, बिहार, आसम, मप्र के चेन में अभी तक 11 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके है, जबकि कई अन्य बाकी हैं.
पुलिस की एक टीम बिहार रवाना की गई है, जहां अन्य आरोपियों की तलाश जारी है. गुजरात में भी फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास सतत जारी हैं. एक आरोपी राजेश को बिहार से गिरफ्तार कर लाया जा रहा है.