Ratlam-Nagda New Rail Line: भूमि अधिग्रहण को लेकर गुस्से में अन्नदाता; DRM ऑफिस में प्रदर्शन, ये हैं मांगें

Ratlam News: भूमि अधिग्रहण को लेकर किसान नेहरू स्टेडियम के सामने इकट्ठा हुए. यहां से रैली के निकालकर डीआरएम कार्यालय पहुंचे, जहां किसानों ने नारेबाजी करते हुए जमीन पर बैठकर अपना विरोध जताया. आइए जानते हैं उनकी मांगें.

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Ratlam-Nagda New Rail Line: भूमि अधिग्रहण को लेकर गुस्से में अन्नदाता; DRM ऑफिस में प्रदर्शन, ये हैं मांगें

Ratlam-Nagda New Rail Line News: रतलाम-नागदा नई रेल लाइन परियोजना (Ratlam-Nagda New Rail Line Project) में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों का विरोध शुक्रवार को तेज हो गया. सैकड़ों किसानों ने रतलाम मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया और डीआरएम अश्विन कुमार को ज्ञापन सौंपकर भूमि सर्वे का पुनः परीक्षण कराने की मांग उठाई. सुबह 11 बजे जिले के कई प्रभावित गांवों—दीपा खेड़ी समेत—के किसान नेहरू स्टेडियम के सामने इकट्ठा हुए. यहां से रैली के रूप में डीआरएम कार्यालय पहुंचे, जहां किसानों ने नारेबाजी करते हुए जमीन पर बैठकर अपना विरोध जताया. सूचना मिलते ही मंडल रेल प्रबंधक अश्विन कुमार मौके पर पहुंचे और प्रतिनिधि मंडल से चर्चा कर उनकी समस्याएं सुनीं.

किसानों की प्रमुख मांगें

किसानों का कहना है कि रेलवे द्वारा अधिग्रहण के लिए चयनित भूमि अत्यंत उपजाऊ है, जिस पर उनकी पूरी आजीविका निर्भर है. वर्तमान सर्वे में जिन खेतों को अधिग्रहित किया जा रहा है, वे आर्थिक दृष्टि से कीमती व उत्पादक हैं. किसानों ने यह भी बताया कि दीपा खेड़ी क्षेत्र में प्रस्तावित ओवर ब्रिज से बड़ी मात्रा में जमीन जाएगी, जिससे कई परिवार प्रभावित होंगे. इसे लेकर पुनर्विचार की मांग की गई.

वैकल्पिक मार्ग का सुझाव

ज्ञापन में किसानों ने कहा कि नई रेल लाइन को वर्तमान पुरानी लाइन के पास से निकाला जाए. यदि दो नई लाइनों की आवश्यकता हो, तो दोनों ओर से पुरानी लाइन के समीप ही बिछाई जा सकती हैं. इससे पहले से उपलब्ध रेलवे भूमि का बेहतर उपयोग होगा, उपजाऊ कृषि भूमि बच जाएगी और प्रभावित किसानों की संख्या में कमी आएगी.

पुनर्वास व रोजगार की मांग

किसानों ने मांग की है कि-

  • वर्तमान सर्वे का पुनः परीक्षण कराया जाए
  • उपजाऊ भूमि को अधिग्रहण से बचाया जाए
  • अनावश्यक प्रस्तावों (जैसे ओवर ब्रिज) को निरस्त किया जाए
  • जिन किसानों की जमीन व मकान अधिग्रहित किए जा रहे हैं, उन्हें उचित मुआवजा, पुनर्वास, रोजगार या स्थायी पुनर्स्थापना दी जाए.

किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं होता, तब तक विरोध जारी रहेगा.

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