Raksha Bandhan 2025: विश्व का सबसे बड़ा रक्षाबंधन महोत्सव... यहां बहन बंधती हैं 'विश्वास' का धागा

Raksha Bandhan: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में विश्व का सबसे बड़ा रक्षाबंधन का महोत्सव मनाया जाता है. आइए जानते हैं बहन-भाई के इस प्यार भरे उत्सव की कहानी.

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Raksha Bandhan: विश्व का सबसे बड़ा रक्षाबंधन महोत्सव

Raksha Bandhan 2025: हर साल की तरह इस साल भी मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल में दुनिया का सबसे बड़ा रक्षाबंधन महोत्सव (Rakshabandhan Festival) आयोजित होगा. भोपाल के नरेला विधानसभा क्षेत्र (Narela Vidhan Sabha Area) में विश्व का सबसे बड़ा रक्षाबंधन महोत्सव 9 अगस्त से मनाया जाएगा. यहां हजारों बहनें भैया विश्वास कैलाश सारंग (Vishwas Kailash Sarang) को रक्षा सूत्र बांधेंगीं. इस पर्व को लेकर विश्वास कैलाश सारंग ने कहा है कि "रक्षाबंधन केवल एक पर्व नहीं, यह हिंदू दर्शन की वह मजबूत कड़ी है जो रक्षा और स्नेह, कर्तव्य और विश्वास, परंपरा और भविष्य इन सभी को एक सूत्र में पिरोती है. भारतवर्ष की आत्मा उनकी यही हिन्दुत्व संस्कृति, तीज और त्यौहार हैं जिससे हर भारतवासी गर्व और आत्मविश्वास से भर उठता है."

संकल्प का भी प्रतीक है ये पर्व : सारंग

विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि "धागे से धर्म तक विराट सनातन संस्कृति में रक्षाबंधन को अत्यंत पावन और शक्तिशाली पर्व माना गया है. यह वो क्षण होता है जब 'रक्षा-सूत्र' केवल बंधता नहीं बल्कि संकल्प बन जाता है. यह केवल भाई-बहन के संबंध तक सीमित नहीं है बल्कि यह समाज में धर्म, कर्तव्य और आत्मीयता की रक्षा के संकल्प का भी प्रतीक है. हमारे शास्त्रों में वर्णित रक्षाबंधन के प्रसंग हमें यह सिखाते हैं कि यह केवल रक्त संबंध का पर्व नहीं बल्कि संरक्षण और उत्तरदायित्व का बोध भी है."

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"शिशुपाल के वध के बाद जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की उंगली से बहते रक्त को देखा तो उन्होंने तुरंत ही अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़ा और प्रभु श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया. जिससे उंगली का रक्तस्राव रुक गया. उसी समय प्रभु श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया था कि वे समय आने पर इस पट्टी के एक-एक धागे का ऋण जरूर उतारेंगे. इसके बाद प्रभु श्रीकृष्ण ने चीरहरण के समय अनंत साड़ी देकर उनकी मर्यादा और आत्मसम्मान की रक्षा की."

यह प्रसंग इस बात का साक्षी है कि राखी केवल धागा नहीं बल्कि रक्षा, समर्पण और अटूट विश्वास का प्रतीक है. एक दिव्य संकल्प है; सुरक्षा, सम्मान और स्वाभिमान की जिम्मेदारी का.

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धर्म, कर्तव्य और करुणा का सेतु : विश्वास सारंग

सारंग ने आगे कहा कि "राखी का एक सूक्ष्म धागा जब प्रेम, विश्वास और अपनेपन से जुड़ता है, तो वह केवल भाई-बहन का संबंध नहीं बनाता बल्कि धर्म, कर्तव्य और करुणा का सेतु बन जाता है. और यही सेतु नरेला की पावन भूमि पर पिछले 17 वर्षों से हर रक्षाबंधन पर बनता आ रहा है और मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं कि हर वर्ष लाखों बहनें मुझे रक्षासूत्र बांधती हैं, और मैं गर्व से कहता हूं कि मैं लाखों बहनों का भाई हूं. यह कोई औपचारिक आयोजन नहीं बल्कि मेरे दिल से जुड़ा हुआ एक आत्मिक संकल्प है. जो हर वर्ष और अधिक भावनात्मक अधिक व्यापक और अधिक ऐतिहासिक बनता जा रहा है."

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"जब मैंने 17 वर्ष पहले नरेला विधानसभा में रक्षाबंधन के इस आयोजन की शुरुआत की थी. तब मेरा उद्देश्य केवल एक था. हर बहन को यह विश्वास दिलाना कि मैं उनका भाई हूं, उनका रक्षक हूं और उनकी खुशियों के लिए सदैव समर्पित हूं. आज यह आयोजन विश्व का सबसे बड़ा रक्षाबंधन महोत्सव बन चुका है, जिसमें लाखों की संख्या में बहनें मुझे रक्षासूत्र बांधती हैं. यह एक मजबूत सामाजिक विश्वास, एक अटूट भावनात्मक संबंध और एक अपार आत्मीयता का प्रतीक बन चुका है."

"इस वर्ष भी विश्व का सबसे बड़ा नरेला रक्षाबंधन महोत्सव 11 अगस्त से प्रारंभ होने जा रहा है. जिसमें लाखों की संख्या में बहनें मुझे रक्षासूत्र बांधकर अपना अमूल्य आशीर्वाद प्रदान करेंगी. जब बहनें मुझे राखी बांधती हैं, तो मैं केवल एक जनप्रतिनिधि नहीं, बल्कि उनके परिवार के एक सदस्य के रूप में उपस्थित होता हूं. हर राखी मेरे कर्तव्यों की याद दिलाती है, हर मुस्कान मुझे प्रेरणा देती है और हर बहन की आँखों में विश्वास मुझे शक्ति देता है. यह महोत्सव केवल मेरा नहीं, हर नरेलावासी का पर्व बन चुका है. इसमें सामाजिक समरसता, नारी सशक्तिकरण और सनातन संस्कृति के मूल्यों का अद्भुत समावेश होता है."

रक्षाबंधन के इस पावन पर्व पर मैं केवल धागा नहीं बंधवाता बल्कि हर बहन के जीवन में सुरक्षा, स्वावलंबन, सम्मान और स्वाभिमान की गांठ भी बांधता हूं. यह मेरा संकल्प है कि जब तक मेरा जीवन है तब तक हर बहन को यह विश्वास रहेगा कि उसका भाई हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ा है.

जब बहनें मुझे राखी बांधने आती हैं. कोई छोटी बच्ची है जो पहली बार राखी बांध रही है, कोई वृद्ध मां तुल्य बहन है जो आंखों में आशीर्वाद और विश्वास लिए आती है. यह दृश्य केवल भावुक कर देने वाला नहीं होता, वह अंतर्रात्मा को झकझोरता है साथ ही जीवन में सेवा के संकल्पों की दिशा तय करता है."

बहनों के सशक्तिकरण का व्रत : खेल मंत्री

सारंग ने कहा कि "रक्षाबंधन मेरे लिए एक जिम्मेदारी है, एक आशीर्वाद है और एक संकल्प है. हर राखी मुझे एक स्मरण कराती है कि मेरा जीवन केवल सेवा के लिए है और बहनों के सम्मान और सुरक्षा के लिए है. बहनों द्वारा बांधा गया रक्षासूत्र मेरे लिए सिर्फ कलाई पर बंधा धागा नहीं बल्कि बहनों के सशक्तिकरण का व्रत है. आज नरेला विधानसभा की पहचान एक विधानसभा के रुप में नहीं बल्कि नरेला परिवार के रुप में है. यहां हर हिन्दू पर्व केवल परंपरा नहीं बल्कि उत्सव और उल्लास की जीवंत धारा बनकर बहता है. यहां दीपावली की रौशनी सिर्फ घरों को नहीं, दिलों को भी जगमगाती है. होली के रंग केवल चेहरे नहीं, आत्माओं को जोड़ते हैं. रक्षाबंधन के रक्षासूत्र, यहां सिर्फ कलाइयों पर नहीं, समर्पण और संस्कार की डोर बनकर बंधते हैं. मैं गर्व के साथ कहता हूं कि नरेला विधानसभा नहीं नरेला मेरा परिवार है. जहां धर्म, संस्कृति और सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण देखने को मिलता है.

मेरे लिए हर बहन द्रौपदी की छाया है, जिनकी मर्यादा की रक्षा प्रभु श्रीकृष्ण ने की थी. हर बहन माता सीता का प्रतीक है, जिनके सम्मान के लिए प्रभु श्रीराम ने रावण से युद्ध किया और हर बहन भारत माता की बेटी है, जिनके सशक्तिकरण से यह भारत देश समृद्धि होगा.

नरेला परिवार की हर बहन मेरी शक्ति है, मेरी प्रेरणा है और मेरी विजय का प्रतीक है. बहनों मैं यह वचन देता हूं कि जब तक मेरे जीवन में श्वास है, जब तक मेरे कर्म में शक्ति है, तब तक हर बहन की रक्षा, सम्मान, सशक्तिकरण और स्वाभिमान के लिए मैं सदैव समर्पित रहूंगा. मैं इस पवित्र पर्व पर एक बार फिर समस्त बहनों को नमन करता हूं और वचन देता हूं कि जब तक आपके भाई विश्वास की कलाई धड़कती रहेगी, तब तक हर बहन की मुस्कान मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी. बहनों के विश्वास का यह पर्व मेरे जीवन की अक्षय पूंजी है. बहनों आपका स्नेह, आशीर्वाद और अपनापन ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है."

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