Pusa Institute Mango Festival: दिल्ली में महकेगा रीवा का सुंदरजा, GI Tag वाला यह आम है खास

Mango Festival in Delhi: 15 और 16 जुलाई को देश भर के जीआई टैग (GI Tag) प्राप्त आम की वैरायटी को पूसा मैंगो फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. इसमें MP के रीवा का आम भी रहेगा. सुंदरजा आम रीवा जिले के गोविंदगढ़ में पाया जाता है. जिसकी खोज तत्कालीन रीवा महाराजा रघुराज सिंह ने 1985 में की थी. 2023 में इसे जीआई टैग से नवाजा गया. सुंदरजा आम भारत का इकलौता आम है, जिसके ऊपर डाक टिकट जारी किया गया है. आज यह आम पुरी दुनिया में विख्यात है. 

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Delhi Aam Mahotsav: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आम (Mango) की महक दिल्ली (Delhi) में आने वाली है क्योंकि दिल्ली में लगने वाले पूसा इंस्टीट्यूट (Pusa Institute) के फ्रूट फेस्टिवल (Fruit Festival) में 15 और 16 जुलाई को देश भर के जीआई टैग (GI Tag) प्राप्त आम की वैरायटी को इसमें हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. जिसमें मध्य प्रदेश का सुंदरजा, महाराष्ट्र का अल्फांसो, बेंगलुरु का तोता परी और लखनऊ का दशहरी आम शामिल है. आइए जानते हैं रीवा के इस खास आम की खासियत क्या हैं?

कहा पैदा होता है ये आम?

सुंदरजा आम रीवा जिले के गोविंदगढ़ में पाया जाता है. जिसकी खोज तत्कालीन रीवा महाराजा रघुराज सिंह ने 1985 में की थी. 2023 में इसे जीआई टैग से नवाजा गया. सुंदरजा आम भारत का इकलौता आम है, जिसके ऊपर डाक टिकट जारी किया गया है. आज यह आम पुरी दुनिया में विख्यात है. 

आप कोई भी आम खाते हैं तो उसकी महक तुरंत ही खत्म हो जाती है लेकिन यह आम खाने के बाद इसकी महक घंटों तक आपके हाथ से आती रहेगी. ऐसा आम केवल एक है. सबसे बड़ी खासियत सुंदरजा की यह है कि शुगर से पीड़ित व्यक्ति भी सुंदरजा को खा सकता है. क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा 22.23 ही होती है.

एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

रीवा के कठुलिया स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत टीके सिंह कहते हैं कि 2023 में इसे भारत सरकार द्वारा जीआई टैग से नवाजा गया है, उसके बाद यह पूरे देश दुनिया में मशहूर हो गया. सुंदरजा आम की वैरायटी को तत्कालीन रीवा महाराजा रघुराज सिंह ने 1885 में खोजा था. उन्होंने इसे गोविंदगढ़ के राघव महल के बाहर 8 एकड़ की रकबे में लगवाया था. 1885 से 1970 तक लगभग 85 साल तक यह आम गोविंदगढ़ के किले के बाहर नहीं निकला किले के अंदर ही लग रहा. राज परिवार से जुड़े हुए लोगों तक की इसकी पहुंच लगभग 90 साल तक रही. 

सुंदरजा की बात की जाए तो, इसकी उम्र लगभग 15 साल होती है. इसकी ऊंचाई 5. 36 मी, कैनओपी 4.88 मीटर, चौड़ाई 7.48 मी, फलों की बात की जाए तो, फरवरी के दूसरे सप्ताह में इसमें फ्लावर आ जाते हैं. तीसरे हफ्ते तक यह फ्लावर से पूरी तरीके से भर जाता है. जून के महीने में इसमें फ्रूट आ जाते हैं.

वजन की बात की जाए तो इसका औसत वजन 350 ग्राम होता है. लंबाई में यह 12.2 इंच होता है. इसकी चौड़ाई 7.93 इंच होती है, देखने में यह गोल्डन कलर का होता है. बेहद सुंदर दिखाई देता है, जिसके चलते महाराजा रघुराज सिंह ने इसका नाम सुंदरजा रखा था. आम की बात की जाए तो इसमें पील 14.03 स्टोन 12.37 पल्प 75.52 एसीडीटी. 29 टी.एस.एस (शुगर) 22.23 पाई जाती है. इसका फ्लेवर बेहद स्ट्रांग होता है, हाथों में देर तक बना रहता है. रूम टेंपरेचर पर इसको 10 दिन तक रखा जा सकता है. फ्रीजर में इसे 1 महीने तक रखा जा सकता है. इन्हीं खासियत की वजह से यह आम से बेहद खास हो जाता है.

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कीमत क्या है?

रीवा में यह आम लगभग 200 रुपए किलो से बिकना प्रारंभ होता है. वर्तमान में इसकी कीमत लगभग ₹400 के आसपास है. रीवा के बाहर इसके दाम अपने आप बढ़ जाते हैं.

डाक टिकट की कहानी भी है रोचक

बात 1971 की है, उस समय के तत्कालीन रीवा महाराजा मार्तंड सिंह रीवा लोकसभा का चुनाव निर्दलीय लड़े और रिकार्ड मतों से जीत गए. महाराज रीवा से दिल्ली पहुंचे उनके साथ सुंदरजा आम भी दिल्ली पहुंच गया, जहां पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सुंदरजा भेंट किया गया. आम बेहद खास था प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आम बेहद पसंद आया. उसके बाद 1971-72 में ही इसके ऊपर 50 पैसे का एक डाक टिकट जारी किया गया. 1971 - 72 में डाक टिकट जारी होने के बाद इस आम को रिसर्च के लिए तत्कालीन महाराजा मार्तंड सिंह ने रीवा के एग्रीकल्चर कॉलेज के कुठलिया अनुसंधान केंद्र को दे दिया. उसके बाद से यह आम जो पहले बेहद खास हुआ करता था, आम आदमी तक पहुंच गया और आज इसकी महक पूरी दुनिया तक पहुंच गई है.

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