Vidisha College Professor: विदिशा के गंजबासौदा के शासकीय कन्या महाविद्यालय की ये घटना सिर्फ एक कॉलेज की चारदीवारी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे समाज के उस ज़ख्म को कुरेद देती है, जहां गुरु और शिष्य के रिश्ते की मर्यादा टूटती दिखती है. आरोप है कि यहां पढ़ाने वाले अतिथि प्रोफेसर सरताज खान ने छात्रा को अश्लील मैसेज भेजे. सोचिए, जिस पर भरोसा करके मांता-पिता अपनी बेटियों को कॉलेज भेजते हैं, वही अगर भरोसे का सौदा करने लगे तो सवाल सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, पूरे सिस्टम पर उठते हैं.
छात्रों का आंदोलन और नारेबाज़ी
जैसे ही मामला सामने आया, गुस्सा फूट पड़ा. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता कॉलेज परिसर में पहुंच गए. नारेबाज़ी, विरोध और हंगामे के बीच एक ही मांग गूंजती रही- “बेटियों की इज़्ज़त से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा”. एक छात्र कार्यकर्ता ने साफ कहा—“हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे कि कोई शिक्षक कॉलेज की बेटियों को परेशान करे. जब तक आरोपी पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा.”
छात्राओं की सुरक्षा किसके भरोसे?
दूसरे कार्यकर्ता ने और तीखी बात रखी- “ये बेटियां हमारी मां-बहन जैसी हैं. इनकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. आरोपी प्रोफेसर को तुरंत बर्खास्त कर कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए”. यह आवाज़ें सिर्फ गुस्से की नहीं, बल्कि उस डर की भी गूंज थीं, जिसे हर लड़की और उसके परिवार ने कभी न कभी महसूस किया है. कॉलेज प्रशासन भी मामले की गंभीरता से इनकार नहीं कर सका. प्राचार्य डॉ. कुमर सिंह ठाकुर ने खुद माना- “हमें जैसे ही जानकारी मिली, हमने तुरंत पुलिस को सूचित किया. पुलिस ने अतिथि शिक्षक के खिलाफ केस दर्ज किया है. आगे प्रशासनिक स्तर पर भी कार्रवाई होगी”. यह बयान जितना औपचारिक था, उतना ही यह सवाल छोड़ गया कि क्या कॉलेज में ऐसी निगरानी व्यवस्था है कि छात्राओं की सुरक्षा पक्की हो?
प्रोफेसर के बैकग्राउंड की भी जांच
पुलिस ने भी तेजी दिखाई. विदिशा के एसपी रोहित काशवानी ने कहा- “छात्रा को अश्लील मैसेज भेजने की शिकायत पर अतिथि शिक्षक सरताज खान के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. उसके पुराने रिकॉर्ड की भी जांच की जा रही है. अगर और गंभीर तथ्य सामने आते हैं तो अतिरिक्त धाराएं लगाई जाएंगी”. यानी अब जांच सिर्फ एक छात्रा की शिकायत तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आरोपी के पूरे अतीत की पड़ताल होगी. लेकिन असली सवाल यही है- क्या यह सिर्फ एक व्यक्ति की ग़लती है या पूरे तंत्र की ढील, जिसने ऐसे लोगों को क्लासरूम तक पहुंचा दिया? आखिर हमारी बेटियां कब तक सुरक्षा के नाम पर आश्वासनों की मोहताज रहेंगी? कॉलेज, जो ज्ञान और संस्कार का मंदिर कहलाता है, वहां अगर ऐसी हरकतें होने लगे तो भरोसे की नींव ही हिल जाती है.
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