Dindori : स्कूल के बाहर पोस्टर चस्पा करके सरकार के सामने रखा शिक्षा व्यवस्था का सच, लिखा प्रवेश वर्जित...

Government Girls High School: मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई. ताजा मामला शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के विक्रमपुर गांव का है. जहां खंडहर में तब्दील हो चुके गर्ल्स कन्या हाईस्कूल भवन के सामने लगा हुआ एक पोस्टर शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को आइना दिखा रहा है.

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MP News In Hindi: मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले से शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाली खबर है.  "शासकीय कन्या हाईस्कूल विक्रमपुर क्षतिग्रस्त है, प्रवेश वर्जित है" ये पोस्टर किसी और ने नहीं बल्कि खुद स्कूल प्रबंधन ने लगाया है. स्कूल प्रबंधन के द्वारा इस पोस्टर को क्यों लगाया गया? जिसका अंदाजा आप खंडहर तब्दील हो चुके स्कूल भवन के अंदर की तस्वीरों को देखकर बड़ी आसानी से लगा सकते हैं.

भवन किसी भी वक्त धराशाई हो सकता है

एक तरह से ये पोस्टर शिक्षा विभाग को आइना दिखाने की कोशिश कर रहा है.दरअसल विक्रमपुर गांव के गर्ल्स हाईस्कूल भवन की हालत इतनी ख़राब हो चुकी है की वो किसी भी वक्त धराशाई हो सकता है लिहाजा जनशिक्षक कार्यालय के छोटे छोटे दो कमरों में हाईस्कूल का संचालन किया जा रहा है.

"स्कूल भवन की हालत बेहद नाजुक"

इस स्कूल की दर्ज़ छात्राओं की संख्या 150 के करीब है. दो सीट वाले बैंच पर तीन-तीन छात्राएं एक-दूसरे से सटकर बैठती हैं, तो वहीं, छात्रों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है. क्षेत्र के जनशिक्षक राजेश पटेल बताते हैं कि "स्कूल भवन की हालत बेहद नाजुक है, जो किसी भी वक्त जमींदोज हो सकता है. लिहाजा स्कूल संचालन के लिए उन्होंने अपने कार्यालय के कमरे खोल दिए हैं."

"बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है"

जनशिक्षक का कहना है कि "कार्यालय में स्कूल के संचालन से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है. साथ ही उनके कामकाज भी प्रभावित होते हैं. खंडहर हो चुके स्कूल भवन की जानकारी शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को स्कूल प्रबंधन के द्वारा लगातार भेजी जाती रही है, लेकिन अधिकारी सब कुछ जानकर भी अंजान बने बैठे हैं."

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"30 की जगह पर 60 बच्चे बैठने मजबूर"

क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि कुलपत सिंह ने छात्राओं के भविष्य को लेकर चिंता जाहिर करते हुए जल्द स्कूल भवन निर्माण कराने की मांग की है, तो वहीं स्कूल में पदस्थ शिक्षिका मनोरमा मरावी का कहना है की पढ़ाई के लिए सबसे पहले अनुकूल वातावरण का होना आवश्यक होता है. छोटे-छोटे कमरे में 30 की जगह पर 60 बच्चे बैठने मजबूर हैं, ऐसे में उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है.

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विधायक ने साधा निशाना

डिंडौरी विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम ने कहा कि वे डिंडौरी जिले के सरकारी स्कूलों को लेकर जब विधानसभा में आवाज उठाते हैं, तो गोलमोल जवाब दिया जाता है. वहीं, छात्रा हेमलता तेकाम का कहना है कि उनका स्कूल भवन जर्जर हो गया है, जिसके अंदर जाने से भी डर लगता है. जब तेज बारिश होती है, तो क्लासरूम के अंदर पानी आता है. 

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