MP Government Hospitals: सरकार गरीबों के लिए निः शुल्क चिकित्सा के लाख दावे करती हो, लेकिन प्रदेश के देवास जिले के सरकारी अस्पताल ने एक मां-बेटी को महज 5 रुपए कम होने पर बिना इलाज के बैंरग वापस लौटाने का मामला सामने आया है. दरअसल, गरीब मां के पास मरीज पंजीकरण के लिए 5 रुपए कम पड़ गए, लेकिन अस्पताल प्रशासन का दिल नहीं पसीजा. वहीं, मामले के तूल पकड़ने पर उन्होंने जांच की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया.
गरीब-आदिवासी वर्ग को निः शुल्क इलाज देने का दावा करती है सरकार
गौरतलब है सरकार गरीब आदिवासी वर्ग के लोगों को निः शुल्क इलाज देने का दावा करती है, लेकिन देवास जिले में गरीब आदिवासी मां की बीमार बेटी को उपचार के लिए दर-दर भटकना दिखाता है कि सरकार के दावे कितने खोखले साबित हो रहे हैं, जहां पर्ची बनवाने के लिए 5 रुपए नहीं होने पर बीमार को बगैर इलाज वापस भेज दिया गया.
बेटी के इलाज के लिए घर से 20 रुपए लेकर निकली थी पहुंची गरीब मां
रिपोर्ट के मुताबिक जिले के नेमावर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार को गरीब आदिवासी मां बीमार बेटी के इलाज के लिए 20 रुपए लेकर घर से सरकारी अस्पताल पहुंची थी. मां और बेटी दोनों ने पर्ची बनवा ली, जब पैसे देने का नंबर आया तो उनके पास मात्र 15 ही निकले, लेकिन कर्मचारियों ने मदद के बजाय उनका मजाक उड़ाते वापस लौटा दिया.
स्वास्थ्य केंद्र के संवेदनहीन कर्मियों ने मां और बेटी को अपमानित किया
गरीब आदिवासी मां-बेटी के पास 5 रुपए नहीं होने पर नेमावर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात संवेदनहीन कर्मियों ने बाकायदा उन्हें अपमानित किया, जिसके चलते दोनों मां बेटी बगैर इलाज घर लौट गई. जब इस संबंध में प्रभारी डॉ राहुल उइके से बात की गई तो उनका कहना था कि पर्ची वाला मामला उनके संज्ञान में है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साध ली.
गरीब और आदिवासी वर्गों को निःशुल्क इलाज के लिए अलग है व्यवस्था
उल्लेखनीय है राज्य सरकार ने प्रदेश के गरीब और आदिवासी वर्ग के लोगों को निःशुल्क इलाज देने के लिए अलग से पर्ची की व्यवस्था की है. सवाल उठता है कि नेमावर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गरीब मां और बेटी को पैसे देकर पर्ची क्यों बनवानी पड़ी, यह गंभीर जांच का विषय है.