पन्ना टाइगर रिजर्व से 40 हजार पौधे 'लापता', अधिकारियों ने किया 1.88 करोड़ का 'गोलमाल'

छतरपुर जिले के पन्ना टाइगर रिजर्व की किशनगढ़ रेंज में पौधरोपण के नाम पर बड़े लूट को अंजाम दिया गया है. गड्डा खनन, मजदूरी, पौधा खरीदी, सिंचाई के लिए टैंकर से पानी परिवहन और रखवाली के नाम पर बिल बनाकर पौधारोपण का 1 करोड़ 88 लाख रुपये की राशि निकाल ली गई.

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छतरपुर (Chhatarpur) जिले की पत्रा टाइगर रिजर्व की किशनगढ़ रेंज में पौधारोपण के नाम पर बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया है. किशनगढ़ रेंज की भौरखुआं बीट में 1.88 करोड़ रुपये की लागत से पौधारोपण का काम कराया जा रहा है. 90 हेक्टेयर जमीन पर 40 हजार पौधों का रोपण किया जाना था, लेकिन मौके पर महज 2500 गड्ढे ही कराए गए. रेंकर और पीटीआर के अधिकारियों के मिलीभगत से गड्डा खनन, मजदूरी, पौधा खरीदी, सिंचाई के लिए टैंकर से पानी परिवहन और रखवाली के नाम पर बिल लगाकर 1.88 करोड़ रुपये की राशि निकाल ली गई है.

जहां पौधे रोपने थे वहां आज भी खाली स्थान है. दरअसल, पौधारोपण का बिल जिस इलाके का बनाया गया है, वो केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का डूब क्षेत्र है और यहां राशि खर्च करने पर रोक है.

टाइगर रिजर्व के बफर जोन में छत्तरपुर जिले की सीमा में किशनगढ़ रेंज है. किशनगढ़ रेंज के तहत भौरखुवां बीट के कक्ष क्रमांक पी-523 ए में पौधरोपण का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया है. दरअसल, वर्ष 2021-2022 में 90 हेक्टेयर क्षेत्र पर 40 हजार पौधों का रोपने के लिए प्रोजेक्ट की स्वीकृत मिली थी. इस प्रोजेक्ट के तहत प्रति हेक्टेयर 2 लाख 9 हजार 851 रुपये खर्च करने थे. हालांकि 90 हेक्टेयर क्षेत्र में कुल 1 करोड़ 88 लाख 86 हजार 560 रुपये खर्च किये जाने थे, लेकिन खाते से बिल बनाकर पैसे निकाल लिए गए और अब तक इन जगहों पर पौधारोपण नहीं किया.

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पन्ना टाइगर रिजर्व की डूब क्षेत्र की जमीन पर करोड़ों रुपये का बंदरबांट

केन बेतवा लिंक के चलते भौरखुवां हो रहा विस्थापित केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के डूब क्षेत्र में आने से प्रशासन भौरखुवां गांव विस्थापित कर रहा है. विस्थापन के लिए ग्रामीणों को मुआवजा वितरण भी कर दिया गया है. भौरखुवां बीट के कक्ष क्रमांक पी-523 ए की जमीन भी डूब क्षेत्र में जा रही है. टाइगर रिजर्व ने इस वनभूमि के एवज में केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण से क्षतिपूर्ति भी क्लेम की है. इधर, पन्ना टाइगर रिजर्व की डूब क्षेत्र की जमीन पर भी करोड़ों रुपये का बंदरबांट किया जा रहा है.

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प्रोजेक्ट के तहत 1.27 करोड़ रुपये निकाल लिए गए

यह प्रोजेक्ट वर्ष 2021-22 में मंजूर किया गया है. इसे 2031-32 में पूरा होना है. प्रोजेक्ट के तहत पहले साल 55 लाख, दूसरे साल 51 लाख 13 हजार और तीसर साल 21 लाख 45 हजार रुपये खर्च किए जाना थे. तीन सालों के लिए स्वीकृत 1 करोड़ 27 लाख 58 हजार रुपये की राशि आहरण कर लिया गया है. वहीं मौके पर कोई पौधारोपण नहीं किया गया.

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जांच के बाद होगी कार्रवाई 

वन विभाग की फेंसिंग जाली चोरी के मामले में जांच की गई. वहीं जांच के बाद पिट थाना पुलिस ने वन विभाग की फेंसिंग जाली चोरी करने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि 30 मई को वनरक्षक ने थाने में शिकायत करते हुए बताया कि किशनगढ़ के जंगल में पौधों की सुरक्षा के लिए लगाई गई 200 मीटर फेंसिंग जाली अज्ञात लोगों ने चोरी कर ली है. वहीं शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू की.

इधर, मुखबिर की सूचना पर पिट थाना प्रभारी वीरेंद्र कुमार ने बक्सवाहा के संदेही धीरेंद्र सिंह परमार को अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की. इस दौरान आरोपी ने बताया कि उसने जंगल के रास्ते से आकर वन विभाग की जाली काटकर बंडल बनाया और बाइक पर रखकर गांव ले गया. इसके बाद पुलिस ने आरोपी के पास से 200 मीटर फेंसिंग जब्त की. जिसकी कीमत 50 हजार रुपये बताई जा रही है.

किशनगढ़ रेंज के रेंजर अरविंद केन ने बताया कि हमने 40 हजार गड्ढे अपने अधिकारियों को दिखा दिए हैं और 40 हजार पौधे भी, आगे कोई भी जांच करा ली जाए, हम तैयार हैं.

जमीन पर खरपतवार और झाड़ियां मौजूद

वन विभाग के नियमनुसार, सप्तरी राशि मजदूर और वेंडर के खातों में ऑनलाइन हस्तांतरित की जानी चाहिए. इस कारण सारे भुगतान किशनगढ़ के कियोस्क संचालक के यहां संचालित हो रहे खातों में पहले ऑनलाइन राशि हस्तांतरित की गई. फिर कियोस्क संचालक ने खातों से राशि निकालकर वन विभाग के अधिकारियों को नकदी के रूप में वापस कर दी है. इस अवैध भुगतान प्रक्रिया के एवज में कियोस्क संचालक ने भी कमीशन लिया है.

पन्ना टाइगर रिजर्व के फोल्ड डायरेक्टर अंजना सुचिता तिर्की ने बताया कि डूब क्षेत्र की जमीन पर कब और कैसे पौधारोपण के प्रोजेक्ट को मंजूर किया गया, इसकी विस्तृत जांच कराई जाएगी? भौरखुवां बीट में पौधों का रोपण नहीं किए जाने मामले में खुद जाकर निरीक्षण करेंगे. जांच होने के बाद ही इस मामले में कार्रवाई की जाएगी.

अरविंद केन का सितंबर 2023 में किया गया था स्थानांतरण 

किशनगढ़ रेंज में पदस्थ रेंजर अरविंद केन का सितंबर 2023 में स्थानांतरण हो गया था. अपर सचिव मप्र शासन वन विभाग के 8 सितंबर, 2023 को आदेश जारी कर अरविंद का तबादला कार्य आयोजना इकाई छतरपुर कर दिया गया है. छतरपुर में रेंजर की कमी है. वनसंरक्षक अजय पांडेय ने रेंजर की कमी का हवाला देकर अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक और पीटीआर प्रबंधन को पत्र लिखकर रेंजर को रिलीव करने की मांग कर चुके हैं. फिर भी रिलीव नहीं किया जा रहा है.

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