अब एमपी में पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम का पेपर हुआ लीक, जेयू और कार्यपरिषद सदस्य आए सामने-सामने

Paper Leak Case Latest News: ईसी सदस्य अपने पास ऐसे साक्ष्य होने का दावा करते हैं, जिससे परीक्षा में अनियमितता को साबित किया जा सकता है. उनका आरोप है कि जिन छात्रों को उत्तर मिले थे, वे सफल छात्रों की सूची में हैं.

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Latest Paper Leak Case: ग्वालियर (Gwalior) के जीवाजी विश्वविद्यालय (JU) में कुलगुरु अविनाश तिवारी और राज्यपाल द्वारा नामित कार्यपरिषद (ईसी) सदस्यों के बीच विवाद अब खुलकर सामने आ गया है. ईसी सदस्यों ने आरोप लगाया है कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा (PhD Entrance Exam) का पेपर आउट (Paper Leak) कर मेहनती छात्रों के साथ अन्याय किया गया है.

ईसी सदस्यों के आरोप

कार्यपरिषद के सदस्य डॉ. रवि अंबे, विवेक भदौरिया, प्रदीप शर्मा, संजय यादव और सेवंती भगत ने कुलगुरु को एक पत्र सौंपा.  इसमें उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से 7 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी, जिसमें फिजिकल एजुकेशन विभाग की भर्ती प्रक्रिया और प्रवेश परीक्षा की पारदर्शिता शामिल थी. सदस्य विवेक भदौरिया ने दावा किया कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा के उत्तर कुछ अभ्यर्थियों को व्हाट्सएप पर पहले ही भेज दिए गए थे.

प्रमाण और नाराजगी

ईसी सदस्य अपने पास ऐसे साक्ष्य होने का दावा करते हैं, जिससे परीक्षा में अनियमितता को साबित किया जा सकता है. उनका आरोप है कि जिन छात्रों को उत्तर मिले थे, वे सफल छात्रों की सूची में हैं. ईसी सदस्य जब मंगलवार को जेयू पहुंचे, तो कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं था, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई.

प्रशासन की चुप्पी और जवाब

कुलगुरु अविनाश तिवारी ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. रजिस्ट्रार डॉ. अरुण चौहान का कहना है कि उन्हें ईसी सदस्यों के आरोपों की जानकारी नहीं है, इसलिए इस पर टिप्पणी करना संभव नहीं.

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प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम पर सवाल

यहां हाल ही में, जेयू में उपराष्ट्रपति के हाथों जीवाजी राव की प्रतिमा का अनावरण कराया गया था. आरोप है कि यह आयोजन कार्यपरिषद की मंजूरी के बिना हुआ था. प्रतिमा अनावरण पर हुए खर्च की जानकारी भी प्रशासन ने ईसी सदस्यों को नहीं दी.

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जीवाजी विश्वविद्यालय के लिए राज्यपाल द्वारा नामित कार्यपरिषद सदस्य विवेक भदौरिया का कहना है कि यह मामला मेहनती छात्रों के साथ अन्याय का है. पीएचडी परीक्षा में हुई अनियमितताओं के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

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