MP News: चित्रकूट में डोली पर सिस्टम: कंधों पर टांग कर प्रसूता को अस्पताल ले गए ग्रामीण

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के चित्रकूट का थरपहाड़ नगर परिषद चित्रकूट के वार्ड नम्बर 15 का हिस्सा है. यहां गांव को जोड़ने वाली सड़क नहीं है, जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, खास तौर से ऐसे वक्त में जब किसी को एमरजेंसी में अस्पताल ले जाना होता है.

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Satna News: चित्रकूट का थरपहाड़ कभी डकैतों के आतंक का केंद्र था और अब सिस्टम की नाकामी का प्रतीक बन गया है. आलम ये है कि मरीजों, प्रसूताओं और अर्थियों को एम्बुलेंस एक किमी तक डोली में चलकर ही नसीब हो पाती है. यह दर्दनाक स्थिति पिछले कई दशकों से बनी हुई है, लेकिन यहां रह रहे ग्रामीणों को हर बार आश्वासन की सड़क ही मिल पाती है. यही वजह है कि रविवार को जब एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई, तो उसे कंधे पर टांग कर ग्रामीणों ने अस्पताल पहुंचाया. मुख्यमार्ग से लगभग तीन किमी दूर पहाड़ पर बसा यह गांव बसने के बाद से केवल यातनाएं ही सह रहा है. दरअसल, पहले यहां डकैतों ने ग्रामीणों को सताया और जब दस्युओं से मुक्ति मिली, तो अब प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेलना पड़ रहा है.

बताया जाता है कि थरपहाड़ नगर परिषद चित्रकूट के वार्ड नम्बर 15 का हिस्सा है. वर्तमान समय में यहां की पार्षद सम्पतिया यादव हैं, जिन्होंने सड़क बनाने के लिए लगभग एक दर्जन बार प्रस्ताव तैयार कर एजेंडे में शामिल कराया, लेक़िन आज तक इसे मंजूरी नहीं मिल सकी. बताया जाता है कि थरपहाड़ से नीचे उतरने के लिए तीन किमी के बाद मुख्य मार्ग है. इंद्रा कॉलोनी तक सड़क है, लेकिन एक किमी का पैच मिटी मुरुम से बना है. ऐसे में यहां एम्बुलेंस तो दूर, दो पहिया वाहन भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाते हैं. गांव में जब भी किसी महिला या पुरुष को अस्पताल ले जाने की जरूरत होती है, तो उसे लगभग एक किमी तक डोली के सहारे ही ले जाना पड़ता है. यदि अस्पताल से छुट्टी के बाद घर जाना हो, तब भी मजबूरी में ऐसे ही टांग कर ले जाया जाता है.

आए दिन दिखता है ऐसा ही नजारा

थरपहाड़ में अकसर ऐसा ही मंजर देखने को मिलते हैं. उज्जरिया मवासी पति रामनरेश मवासी को रविवार को प्रसव पीड़ा हो रही थी. एम्बुलेंस को बुलाने पर वह इन्द्रा कॉलोनी पर पहुंची. इसके आगे रास्ता नहीं था, लिहाजा खड़ी हो गई. फिर प्रसव पीड़ा से परेशान महिला को कपड़े की डोली बनाकर बैठाया गया. तब कहीं अस्पताल पहुंची. महिला की तीसरी डिलेवरी थी. खास बात ये है कि हर बार इसी प्रकार से अस्पताल पहुंची. पार्षद पुत्र सुरेंद्र यादव ने बताया कि एक हजार से अधिक लोगों की कॉलोनी बेहद दर्दनाक स्थिति में जीवन यापन कर रही है.

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सीएम की घोषणा के बाद भी सड़क नहीं बनी

लगभग एक दशक पहले नगर परिषद चित्रकूट के थरपहाड़ में सड़क बनाने का काम शुरू किया गया था. सड़क का काम डब्ल्यूबीएम कर छोड़ दिया गया. इस बीच बरसात के चलते पत्थर बह गए. सड़क पर इतने बड़े गड्ढे हैं, जिसे चार पहिया वाहन पार ही नहीं कर सकते. इस सड़क को बनाने की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री ने की थी. घोषणा क्रमांक 1603 का नम्बर, तो मिला परन्तु जिस सड़क की जरूरत थी, वह आज तक नहीं मिल सकी.

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