PM मोदी को PCC चीफ जीतू पटवारी ने लिखा पत्र, कर्ज से लेकर करप्शन तक मोहन सरकार पर लगाए ये आरोप

MP Politics: पीएम मोदी को लिखे पत्र में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि "आज जब मप्र के पढ़े-लिखे और डिग्री धारी बेरोजगार युवा इन्वेस्टमेंट घोटाले का सच देख रहे हैं, तब भी मोहन-सरकार झूठे आंकड़ों का श्रेय लेने के लिए छटपटा रही है. खोखले इवेंट्स, झूठी घोषणाएं और निवेश के आंकड़ों की "झूठी चमक" से अपना कालिख पुता चेहरा तराश रही है."

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PM मोदी को PCC चीफ जीतू पटवारी ने लिखा पत्र, कर्ज से लेकर करप्शन तक मोहन सरकार पर लगाए ये आरोप

MP Politics: मध्य प्रदेश कांग्रेस के मुखिया जीतू पटवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इस पत्र में पीसीसी चीफ ने मोहन यादव सरकार के प्रति नाराजगी जताई है. उन्होंने मुख्य रूप से मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज पर निशाना साधा है. पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने पीएम मोदी लिखे पत्र में कहा है कि “मध्य प्रदेश सरकार ने हर महीने कर्ज लेने के कल्चर के साथ करप्शन और कमीशन को अपना सरकारी मिशन बना लिया है.”

ये रहा पत्र

जीतू पटवारी ने पत्र में लिखा है कि “आदरणीय प्रधानमंत्री जी, इसे मध्य प्रदेश का राजनीतिक दुर्भाग्य ही कहना पड़ेगा कि कथित रूप से पढ़े-लिखे मुख्यमंत्री ने हर महीने कर्ज लेने के कल्चर के साथ करप्शन और कमीशन को अपना सरकारी मिशन बना लिया.

"2025-उद्योग एवं रोजगार वर्ष" घोषित कर मप्र की जनता को बड़े-बड़े निवेश और लाखों रोजगार का सपना दिखाया गया था. अब जबकि वर्ष समाप्ति की ओर है, सच्चाई का मुखौटा उतर गया है. सरकारी दस्तावेज खुद गवाही दे रहे हैं कि एक साल में 30.77 लाख करोड़ के निवेश का दावा तो किया गया, लेकिन जमीन पर मात्र 6.20 लाख करोड़ की योजनाओं ने ही मामूली ‘अगला कदम' उठाया है.

बड़ा सवाल यह है कि मोहन बाबू ने मप्र के युवाओं से जो लाखों रोजगार का वादा किया था, वह भी पूरी तरह खोखला निकल गया है, क्योंकि सच यह है कि रोजगार का आंकड़ा ‘शून्य' है. उद्योग, आवास, ऊर्जा जैसे मुख्य विभागों में भी निवेश की बहार केवल आंकड़ों की बाजीगरी बनकर रह गई. शहरों और गांवों में बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा, खेतीहर, श्रमिक और पढ़े-लिखे अभ्यर्थी सरकार की नाकामी पर आक्रोशित हैं.

मोहन सरकार द्वारा 08 विभागों में निवेश प्रस्तावों का शोर मचाया गया, वहां भी जमीनी असर नहीं के बराबर है. उद्योग विभाग में 12,70,000 करोड़ के प्रस्ताव में से मात्र 2,48,218 करोड़, नवीकरणीय ऊर्जा में 5,72,000 करोड़ में से सिर्फ 1,78,000 करोड़, पीडब्ल्यूडी में 1,30,000 करोड़ में से 8,314 करोड़, एमएसएमई में 21,000 में से 3,959 करोड़ ही ‘आगे बढ़े', बाकी सबकुछ कुछ ठप है. नगरीय विकास-आवास, कौशल विकास,  स्वास्‍थ्‍य, खाद्य प्रसंस्करण, नागरिक उड्डयन जैसे विभागों की ‘गाड़ी' तो सरक भी नहीं पाई.

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आज जब मप्र के पढ़े-लिखे और डिग्री धारी बेरोजगार युवा इन्वेस्टमेंट घोटाले का सच देख रहे हैं, तब भी मोहन-सरकार झूठे आंकड़ों का श्रेय लेने के लिए छटपटा रही है. खोखले इवेंट्स, झूठी घोषणाएं और निवेश के आंकड़ों की "झूठी चमक" से अपना कालिख पुता चेहरा तराश रही है.

मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि यदि मुख्यमंत्री में साहस हो, तो अपने ‘उद्योग एवं रोजगार वर्ष' का सच्चा रिपोर्ट कार्ड जारी करे. मप्र की जनता को बताए कि कितने स्थायी रोजगार सृजित हुए, किस जिले में कितनी उत्पादन इकाइयां लगीं और इसका लाभ किसे मिला?

सच यह भी है कि मप्र की जनता अब जुमलेबाजी, आंकड़ों की बाजीगरी और इवेंट-संस्‍कृति, झूठी घोषणाओं से आगे बढ़कर ठोस परिणाम चाहती है. आर्थिक बदहाली के ऐतिहासिक दौर में दाखिल हो चुका प्रदेश अब राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर सार्थक और परिणामदायक दिशा में बढ़ना चाहता है. 

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इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि दलगत विरोध से अलग हटकर मेरी निम्न मांगों पर गंभीरता से विचार करें. 

  • मध्य प्रदेश के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों सुश्री उमा भारती, श्री कमलनाथ जी, श्री शिवराज सिंह चौहान और श्री दिग्विजय सिंह जी की एक स्‍पेशल टीम बनाई जाए. "फर्जी आंकड़ों" का सच बताने के लिए, डॉ. मोहन यादव को भी इस टीम का सहयोग करने के लिए निर्देशित किया जाए. 
  • यह टीम निश्चित समय अवधि में मध्य प्रदेश की आर्थिक अनियमिताओं के कारणों की तलाश करेगी और कर्ज में डूबे सरकारी खजाने के भविष्य की पड़ताल करेगी. साथ ही मध्य प्रदेश के “आर्थिक अपराधियों” के खिलाफ कार्रवाई भी सुझाएगी.

तत्‍काल उठाए जाने वाले कदमों को लेकर मेरी मांग है कि -

  • निवेश की सांकेतिक घोषणाओं, एमओयू और कागजी प्रस्तावों की आड़ में ‘रोजगार वर्ष' को बेरोजगार बनाने की सरकारी कोशिश का सच भी जनता के सामने लाया जाए.
  • "निवेश-नौटंकी" के नाम पर खर्च हुए जन-धन का विस्तृत विवरण मुख्यमंत्री जनता के सामने रखें.
  • मप्र सरकार निवेश और रोजगार पर तत्काल श्वेत-पत्र जारी करे. इसमें पारदर्शिता के साथ हर आंकड़े की सच्चाई सामने आए.
  • युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ और प्रदेश के आर्थिक संसाधनों के दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का निलंबन और मंत्रियों से त्यागपत्र लिया जाए.
  • जनता को गुमराह करने के लिए, सिर्फ प्रचार और इवेंटबाजी के लिए इन्वेस्टमेंट के फर्जी आंकड़े परोसना बंद किया जाए.

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