Panna Diamond GI Tag: पन्ना में कैसे मिलता है हीरा, कौन ढूंढ सकता, कैसे तय होती कीमत? जानें पूरी प्रक्रिया

Panna Diamond GI Tag मिलने के बाद मध्‍य प्रदेश पन्ना के मशहूर हीरे अब अंतरराष्ट्रीय पहचान के साथ कारोबार में नया आयाम जोड़ेंगे. पन्‍ना हीरो को जीआई टैग म‍िलने से उसकी कीमत, ब्रांड वैल्यू और मांग बढ़ने की उम्मीद है. जान‍िए Madhya Pradesh के Panna जिले में हीरा Mining, License, Auction और Price तय करने की पूरी प्रक्रिया. 

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Panna Diamond GI Tag:  मध्य प्रदेश का इंतज़ार आखिरकार खत्म हुआ. अब पन्ना की भूमि में मिलने वाले विश्व प्रसिद्ध हीरे को आधिकारिक तौर पर जीआई टैग (Geographical Indication Tag) मिल गया है. नवंबर 2025 में हास‍िल हुई इस उपलब्धि के साथ पन्ना, मध्य प्रदेश का 21वां GI उत्पाद बन गया है. विशेषज्ञों के अनुसार पन्‍ना के हीरे को जीआई टैग देने का फैसला न सिर्फ पन्ना की अंतरराष्ट्रीय पहचान बढ़ाएगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और खनन उद्योग में बड़ा बदलाव लाएगा.

GI टैग मिलने पर बढ़ेगी ब्रांड वैल्यू

पन्ना ज‍िला कलेक्टर उषा परमार ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा क‍ि “7 जून 2023 को पन्‍ना के हीरे को GI टैग प्रक्रिया शुरू हुई थी. अब इसके मिलने के बाद व्यापार बढ़ेगा और देश-विदेश से लोग पन्ना आएंगे. इससे पन्ना को नई पहचान मिलेगी.”  पन्ना जिला हीरा अधिकारी रवि पटेल ने भी इसे गर्व का पल बताया और कहा कि इस टैग से वैश्विक स्तर पर पन्ना के हीरों की पहचान और प्रमाणिकता मजबूत होगी.  

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Panna Diamond GI Tag

पन्ना में हीरा खोजने, नीलामी व कीमत की पूरी प्रक्रिया सरल भाषा में

1 सबसे पहले लेना होता है लाइसेंस (पट्टा)

कोई भी व्यक्ति पन्ना में हीरा खोज सकता है. इसके लिए हीरा कार्यालय से लाइसेंस (पट्टा) लेना होता है. पट्टा एक साल के लिए वैध होता है. इसके ल‍िए तीन फोटो, आधार कार्ड की प्रति और ₹200 का चालान आदि दस्तावेज ज़रूरी हैं. 

2 खनन के लिए क‍ितनी जमीन अलॉट होती है?

पन्‍ना हीरा कार्यायल से आवेदक को लाइसेंस (पट्टा) मिलने के बाद 8×8 मीटर की जगह दी जाती है. पन्ना में वर्तमान में 25 खदानें हैं. इसमें सरकारी और निजी दोनों शाम‍िल हैं. यहीं पर हीरे की खोज की जाती है.

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3. पन्‍ना में हीरा मिलने पर क्या होता है?

पट्टाधारक को उसकी खदान में खुदाई के दौरान जो हीरा म‍िलता है, उसे पन्‍ना के हीरा ज‍िला कार्यालय (डायमंड ऑफिस) में जमा कराया जाता है. वहीं पर विशेषज्ञ जांच करके तय करते हैं क‍ि वो कोई चमकीला पत्‍थर है या वास्‍तव‍िक हीरा. हीरा पाए जाने पर उसकी क्वालिटी, वजन और कीमत तय करते हैं. नीलामी होने तक हीरा यहीं पर जमा रहता है. 

4. पन्‍ना में हीरे की नीलामी और कमाई

हीरा कार्यालय पन्ना में 200-250 हीरे जब जमा हो जाते हैं तो उनकी एक साथ नीलामी होती है. शाम‍िल में मुंबई, सूरत, दिल्ली, भोपाल समेत देशभर के व्यापारी शामिल होते हैं. संबंध‍ित पट्टाधारक को भी नीलामी में बुलाया जाता है. नीमाली में हीरा बिकने पर सरकार 12.5% + 1% TDS लेती है. बाकी राशि हीरा खोजने वाले व्यक्ति की होती है.

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5. पन्ना में किस तरह के हीरे मिलते हैं?

पन्‍ना की धरती कई बेशकीमती हीरे उगलती है. पन्‍ना में न‍िकलने वाला Gem (व्हाइट) हीरा सबसे बेहतरीन गुणवत्ता का माना जाता है. इसे ज्वेलरी बनाने में काम ल‍िया जाता है. Off-Color  (हल्का मैला रंग) के हीरे का उपयोग फैंसी ज्वेलरी में होता है. कोका कोला रंग के हीरे को मशीन/ग्लास कटिंग में काम ल‍िया जाता है.

6. पन्ना में हीरों की कीमत कैसे तय होती है?

कीमत कैरेट, रंग, पारदर्शिता और आकार पर निर्भर करती है. पन्ना में अब तक ₹100 से लेकर ₹2.5 करोड़ तक का हीरा मिल चुका है. 2018 में मोतीलाल प्रजापति को मिला 42 कैरेट का हीरा ₹2.5 करोड़ में नीलाम हुआ था. 

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पन्ना में हीरे कहां-कहां मिलते हैं?

  1. पूर्व दिशा: सतना बॉर्डर तक 40 किमी
  2. पश्चिम: जरुआपुर क्षेत्र (15 किमी)
  3. उत्तर: सकरिया क्षेत्र (12 किमी)
  4. दक्षिण: ढलान चौकी क्षेत्र (15 किमी)

पन्ना में हीरा कितनी गहराई पर मिलता है?

भूगर्भ में 3 फीट से 30 फीट की गहराई पर ग्रेवल मिलती है. इसके नीचे ही हीरा मिलने की संभावना रहती है. विशेषज्ञों के अनुसार पन्ना की मिट्टी उच्च तापमान और अद्वितीय भूगर्भ संरचना वाली है. यही कारण है कि यहां भारत का सबसे बड़ा प्राकृतिक हीरा भंडार मौजूद है. 

क्यों खास है पन्ना का हीरा?

पन्ना दुनिया में उन कुछ चुनिंदा स्थानों में शामिल है, जहां जमीन से प्राकृतिक हीरे निकलते हैं. यहां के हीरों की खासियत यह है कि ये ज्यादा चमकदार होते हैं. खनिज संरचना बेहद शुद्ध होती है. कटिंग के बाद इनका मूल्य कई गुना बढ़ जाता है. GI टैग मिलने के बाद अब पन्ना के हीरे को आधिकारिक रूप से विश्व स्तर पर एक विशिष्ट पहचान मिल गई है. 

GI टैग क्यों मायने रखता है?

अप्रमाणित उत्पादों से रक्षा: GI टैग यह गारंटी देता है कि “पन्ना डायमंड” नाम का प्रयोग सिर्फ उसी भौगोलिक क्षेत्र में खनन हुए हीरों पर किया जाएगा. इससे नकली या अनधिकृत हूबहू हीरों के उपयोग की संभावना कम होगी. 

बाजार में भरोसा और विश्वसनीयता: GI टैग मिलने से पन्ना के हीरों की उत्पत्ति और गुणवत्ता की प्रमाणिकता बढ़ेगी, जिससे खरीदारों का भरोसा मजबूत होगा. 

ब्रांड वैल्यू और अंतरराष्ट्रीय पहचान: पन्ना डायमंड अब “ब्रांडेड हीरा” की तरह पहचाने जाएंगे — जीआई टैग उन्हें एक विशिष्ट पहचान देता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में उनकी मांग और वैल्यू बढ़ने की उम्मीद है. 

स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़ा फायदा: इस टैग से खनन, कटिंग-फिनिशिंग और हीरा व्यापार में स्थानीय युवाओं, कारीगरों और खनिकों को पहले से ज़्यादा अवसर मिलेंगे.

FAQ: आपके सवाल, जवाब यहां

1 क्या कोई भी व्यक्ति पन्ना में हीरा खोज सकता है?
 हां, बस लाइसेंस लेना जरूरी है.

2 क्या मिला हुआ हीरा व्यक्ति रख सकता है?
नहीं, पहले उसे सरकारी कार्यालय में जमा करना पड़ता है.

3 पैसे मिलने में कितना समय लगता है?
नीलामी के बाद लगभग 1 महीने में भुगतान मिलता है.

4 क्या अब GI टैग से कीमत बढ़ेगी?
हां, अब पन्ना डायमंड एक प्रमाणित ब्रांड होंगे. कीमत और मांग दोनों बढ़ेंगी.

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