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ओंकारेश्चर : आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण, 500 वर्षों तक नहीं आएगी आंच

मध्यप्रदेश (madhya pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chouhan) आज खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में 'एकात्मता की मूर्ति' (statue of oneness) का अनावरण और 'अद्वैत लोक' का शिलान्यास करेंगे. ओंकारेश्वर के मान्धाता पर्वत पर 108 फीट ऊंची आचार्य शंकर की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में देशभर से आए हुए साधु-संतों का मुख्यमंत्री द्वारा स्वागत भी किया जाएगा.

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खंडवा:

मध्यप्रदेश (madhya pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chouhan) आज खंडवा जिले के ओंकारेश्वर (omkareshwar) में 'एकात्मता की मूर्ति' (statue of oneness) का अनावरण और 'अद्वैत लोक' का शिलान्यास करेंगे. ओंकारेश्वर के मान्धाता पर्वत पर 108 फीट ऊंची आचार्य शंकर (adi shankaracharya) की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में देशभर से आए हुए साधु-संतों का मुख्यमंत्री द्वारा स्वागत भी किया जाएगा.

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वेदांत संस्थान की स्थापना

आचार्य शंकर के जीवन पर आधारित संग्रहालय अद्वैत लोक और अद्वैत वेदांत दर्शन के अध्ययन व शोध के लिए आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना जा रही है. सरकार की ओर प्राप्त जानकारी के अनुसार इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के साक्षी 5000 साधु-संत और वरिष्ट जन बनेंगे, जबकि 101 बटुक वेदोच्चार एवं शंखनाद करेंगे.

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CM शिवराज ने कहा- आने वाली पीढ़ियों को भी अद्वैत ज्ञान मिलता रहे, इसलिए बनाया एकात्म धाम

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chouhan) ने मीडिया (media) से बात करते हुए कहा कि आदि शंकराचार्य की जन्म स्थली केरल थी, लेकन उन्होंने जंगलों, पहाड़ों से यात्रा करते हुए ओंकारेश्वर में ज्ञान प्राप्त किया. यहां से ज्ञान प्राप्त कर वे काशी की ओर आगे बढ़े. उनके अद्वैत वेदांत के कारण भारत एक है. आदि शंकराचार्य ने देश के चार कोनों में चार मठों की स्थापना की.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ, तुलसी दास और कबीर दास जी सहित प्रमुख संतों ने आदि गुरू शंकराचार्य के अद्वैत ज्ञान को अपनाया है. आने वाली पीढ़ियों को भी अद्वैत ज्ञान मिलता रहे, इसी उद्देश्य से उनकी स्मृति में एकात्म धाम बनाने जा रहे हैं.

यह है मूर्ति की खासियत


मध्यप्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट करते हुए बताया है कि 2400 करोड़ में निर्मित अद्वैत स्मारक में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची बाल प्रतिमा लगाई जा रही है. बता दें कि ओंकारेश्वर स्थित अद्वैत धाम में 108 फीट ऊंची जो प्रतिमा प्रतिमा स्थापित की गई है, उसमें आदि शंकराचार्य का 12 वर्षीय बाल स्वरूप दिखाई दे रहा है. इस प्रतिमा प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत के चित्र पर आधारित है. उनके ही चित्र को जाने-माने मूर्तिकार भगवान रामपुरे ने आकार दिया है. जबकि इस भव्य प्रतिमा का निर्माण लार्सन एंड ट्रुबो (L&T) कंपनी ने किया है.

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यह मूर्ति 290 पैनलों के माध्यम से तैयार की गई है. जमीन की सतह से मूर्ति के बेस तक 45 फीट का आधार स्तंभ बनाया गया है, जिसके ऊपर कमल पर प्रतिमा को विराजित किया गया है. 100 टन की इस 108 फीट ऊंचे स्टेच्यू में 88 फीसदी कॉपर, 4 फीसदी जिंक, 8 फीसदी टिन धातु का प्रयोग किया गया है. इसके पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर में 250 टन की हाई क्वालिटी स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया गया है. मूर्ति के बेस में 75 फीट का पैडस्टल है. मूर्ति का जो कांक्रीट पैडस्टल डिजाइन किए गए हैं उनको 500 साल के हिसाब से ध्यान रखते हुए तैयार किया गया है. 
 

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