MP News: मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के एक सरकारी अस्पताल में दो लोगों द्वारा एक बुजुर्ग को घसीटे जाने का वीडियो वायरल होने और फिर मामला दर्ज किए जाने के बाद एक चिकित्सक की सेवाएं समाप्त कर दी गई और एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है.
यह घटना 17 अप्रैल की है जब नौगांव शहर के निवासी उद्धव सिंह जोशी (70) अपनी पत्नी की चिकित्सकीय जांच के लिए छतरपुर के जिला अस्पताल पहुंचे थे.
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘समय से संबंधित पर्ची मिलने के बाद मैं काफी देर तक लाइन में खड़ा रहा. जब मेरी बारी आई तो डॉ. राजेश मिश्रा ने इसका विरोध किया और फिर मुझे थप्पड़ और लात मारी.''
उनके आरोपों का खंडन करते हुए सिविल सर्जन जी एल अहिरवार ने कहा कि जगह पर क्षमता से अधिक भीड़ थी और डॉ. मिश्रा ने आपत्ति जताई क्योंकि जोशी ने कतार तोड़ दी थी.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की निदेशक सलोनी सिडाना ने हड्डी रोग के संविदा चिकित्सक डॉ. मिश्रा की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. इस प्रकरण में लापरवाही और अधीनस्थों को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा अहिरवार को निलंबित कर दिया गया.
इससे पहले जिलाधिकारी पार्थ जायसवाल ने अहिरवार को घटना के बारे में रिपोर्ट सौंपने के उनके निर्देशों की अनदेखी करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था. अधिकारी ने कहा, 'डॉ. अहिरवार को 24 घंटे के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया. जिलाधिकारी ने एसडीएम के तहत तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट के आधार पर जायसवाल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की.'
सब डिविजनल मजिस्ट्रेट द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर जायसवाल ने स्वास्थ्य विभाग से मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा. जिलाधिकारी की सिफारिश के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक सिदाना ने मिश्रा को नोटिस दिया था.
जायसवाल ने घटना के सिलसिले में ‘स्टेट रेड क्रॉस सोसाइटी' के कर्मचारी राजेंद्र खरे को बर्खास्त करने की भी सिफारिश की है.
वायरल वीडियो में क्या है?
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि दो लोग जोशी का हाथ पकड़कर उन्हें घसीटते हुए बाहर ले जा रहे हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने मिश्रा को नोटिस जारी कर 24 घंटे के अंदर जवाब देने को कहा है जबकि नौगांव थाने में उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 115 (2), 296, 3(5), 351(3) के तहत 'जीरो एफआईआर' दर्ज की गई है.
दरअसल, 'जीरो एफआईआर' वो होती है जिसे अपराध होने पर किसी भी थाने में दर्ज करवाया जा सकता है.
अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकी छतरपुर के कोतवाली पुलिस थाने में स्थानांतरित कर दी गई है.
कांग्रेस ने घेरा
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ‘एक्स' हैंडल पर यह वीडियो साझा करते हुए लिखा कि ये बेहद ‘अमानवीय और घटिया व्यवहार' है, जिस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार खामोश है. पार्टी ने दावा किया, ‘‘यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी प्रदेश के अस्पतालों में मरीजों को बेहतर इलाज न दिए जाने के मामले सामने आते रहे हैं. ये दिखाता है कि राज्य में ‘सेवा' अब ‘यातना' में तब्दील हो चुकी है.''
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