Neemuch Fake Encounter:मंगल सिंह पपोला की मुश्किलें बढ़ी, TI के खिलाफ समन जारी, इन अधिकारियों पर भी लटकी गिरफ्तारी की तलवार

Neemuch Fake Encounter: मध्य प्रदेश के नीमच में 16 साल पहले एक एनकाउंटर हुआ था. जांच में पता चला की यह फर्जी एनकाउंटर था.

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Neemuch Fake Encounter Case: 16 साल पहले नीमच में हुए बहुचर्चित बंशी गुर्जर फर्जी एनकाउंटर मामले में ग्वालियर के झांसी रोड थाने के टीआई मंगल सिंह पपोला सीबीआई की रडार पर आ गए हैं. वो थाने से आकस्मिक अवकाश लेकर गायब हैं. सीबीआई का हवलदार जब उनके नाम का समन लेकर झांसी रोड थाने पहुंचा तो भनक पाकर टीआई पपोला थाने नहीं पहुंचे और मोबाइल बंद कर भूमिगत हो गए. इसके बाद वो अब स्पेशल पे लीव पर चले गए हैं.

हालांकि यह फर्जी एनकाउंटर नीमच में हुआ था, लेकिन टीआई मंगल सिंह पपोला वर्तमान में ग्वालियर मे पदस्थ हैं, लेकिन यह मामला का है. जहां पुलिस ने नशे के तस्कर बंशी गुर्जर के एनकाउंटर मे मारने का दावा किया था और इस मामले में खूब वाहवाही लूटी थी, लेकिन तीन साल बाद बंशी गुर्जर जिंदा लौट आया था.

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नीमच फर्जी एनकाउंटर की जांच कर रही CBI

इस मामले में कोर्ट में याचिका याचिका दायर की गई, जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई. दरअसल, 2009 में राजस्थान की जोधपुर पुलिस रतनलाल मीणा को पैरोल पर लेकर आई थी. इस दौरान राजस्थान पुलिस पर हमला कर बंशी गुर्जर व उसके साथी रतनलाल को छुड़ाकर ले गए थे. इस मामले में 7-8 फरवरी  2009 की रात नीमच पुलिस की टीम ने बंशी गुर्जर का एनकाउंटर का दावा किया, लेकिन 2012 में इस मामले में खुलासा हुआ कि बंशी गुर्जर जिंदा है. जिसे बंसी बताकर मारा गया वो कोई और था. इसके बाद पूरी टीम पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगा था.

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एनकाउंटर के बाद पुलिस अधिकारियों को मिला था प्रमोशन

इस इनकाउंटर की कहानी के अनुसार, उस टीम में मंगल सिंह पपोला भी शामिल थे. पपोला उस समय आरक्षक थे. वो तत्कलीन टीआई पीएस परमार, टीआई  मुख्तौर कुरैशी की टीम में शामिल थे. उन्होंने  एनकाउंटर के बाद प्रमोशन भी मिला. जब फर्जीवाड़ा खुला तो सीआईडी को जांच सौंपी गई. मामला पुलिस विभाग से जुड़ा था, इसलिए जांच में लीपापोती की गई. बाद में इस मामले में कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसके बाद यह मामला सीबीआई के हाथ में चली गई.

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साल 2014 में यह जांच सीबीआई टीम को सौंप दी गई, लेकिन उसमें गति नहीं आयी, लेकिन अब दोबारा कोर्ट की सख्ती के बाद सीबीआई ने इसकी जांच मे तेजी दिखाई है.

इन अधिकारियों पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार

इस मामले में अलग अलग जिलों में पदस्थ एएसपी, डीएसपी, निरीक्षक पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. हालांकि सीबीआई द्वारा खुलासा करने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि फर्जी एनकाउंटर में मृत्यु बताया गया कि बंशी गुर्जर जब जिंदा है तो पुलिस ने किसे बंशी गुर्जर बताकर एनकाउंटर किया था? 

इस मामले में ग्वालियर के पुलिस अधिकारी बयान देने से बच रहे हैं. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि सीबीआई द्वारा नीमच के एनकाउंटर केस में झांसी रोड थाने के प्रभारी टीआई मंगल सिंह पपोला को समन जारी किया है, लेकिन वो एसपीएल पर हैं.

ऐसे हुआ था फर्जी एनकाउंटर का उजागर

8 फरवरी 2009 को पुलिस ने कुख्यात तस्कर बंशी गुर्जर को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था. इसके अलावा 26 मार्च 2011 को जावरा-नयागांव फोरलेन पर भरभड़िया फंटे के पास एक शव मिला था. पहचान राजस्थान के मोतीपुरा निवासी तस्कर घनश्याम धाकड़ के रूप में हुई. परिजनों ने भी पुष्टि की, लेकिन 25 सितंबर 2012 को घनश्याम भी जिंदा मिला, जिसके बाद उसे राजस्थान के कनेरा गांव से गिरफ्तार किया गया. बता दें कि मादक पदार्थ की तस्करी में घनश्याम धाकड़ निवासी मोतीपुरा (राजस्थान) आरोपी था. गिरफ्तारी के बाद घनश्याम ने ही बंशी गुर्जर के जिंदा होने का राज खोला था. साथ ही घनश्याम धाकड़ ने बताया था कि खुद को मृत दिखाने का आइडिया बंशी गुर्जर ने उसे दिया था. जिसके बाद कुख्यात तस्कर बंशी गुर्जर को 20 दिसंबर 2012 को जिंदा पकड़ा गया.

घनश्याम के बयान के बाद पुलिस विभाग में मच गया था हड़कंप

घनश्याम के इस बयान के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया, क्योंकि बंशी गुर्जर के एनकाउंटर में तत्कालीन नीमच एसपी सहित कई पुलिस अधिकारियों ने वाहवही लूटी थी. इनाम भी हासिल किया था, लेकिन घनश्याम के बयान के बाद पूरा मामला ही फर्जी निकला.

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