NDTV Interview: एमपी में नहीं थम रहा कांग्रेसियों के नाराज होने का सिलसिला, अब सीनियर MLA ने निकाला गुस्सा

Gwalior News: कांग्रेस से लगातार नेता बीजेपी की तरफ भाग रहे हैं. इस सवाल पर रावत ने कहा कि यह तो समय के हाथ में रहता है. मैं समझता हूं कि लोग कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा और विश्वास मजबूत नहीं कर पा रहे हैं जबकि ऐसा नहीं है. एक दौर ऐसा भी आया था कि बीजेपी सिर्फ दो सांसदों पर सिमट गई थी.

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Madhya Pradesh News: एक तरफ जहां लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) सिर पर हैं, वहीं कांग्रेस (Congress) की अंदरूनी कलह कम होने का नाम नहीं ले रही. कांग्रेस पार्टी (Congress Party Leader) के नेता और कार्यकर्ताओं का पतझड़ जारी है. शुक्रवार 29 मार्च को पूर्व सीएम कमलनाथ (Former CM Kamal Nath) के खास कहलाने वाले एक विधायक ने अपने पद और पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए. अब पार्टी के एक और वरिष्ठ विधायक राम निवास रावत भी बागी तेवर दिखाते नजर आ रहे हैं. एनडीटीवी (NDTV) से खास मुलाकात के दौरान उन्होंने पार्टी के नेताओं की कार्यशैली पर तो सवाल उठाए ही साथ यह भी कहा कि प्रदेश के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भावनाओं के अनुसार काम नहीं कर रहे और संगठन की मज़बूती के लिए कोई काम नहीं हो रहा है. खुद को पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे रावत ने अब अपना गुस्सा एनडीटीवी के जरिये जमकर निकाला है. एनडीटीवी के हमारे वरिष्ठ सहयोगी देव श्रीमाली ने उनसे खास बातचीत की है. आए जानते हैं रावत ने क्या कुछ कहा है.

सिंधिया के नजदीक रहे रावत ने नहीं बदला था पाला

स्वर्गीय माधव राव सिंधिया और फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी होने के बावजूद 2020 में जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का हाथ थामा तो राम निवास रावत उनके साथ नहीं गए, बल्कि कांग्रेस में ही रहे. हालांकि उन्हें इसका खामियाज़ा भी भुगतना पड़ा. उन्हें आर्थिक और व्यावसायिक स्तर पर काफी चोट पहुंचाई गई. इसके बावजूद विधानसभा चुनाव में वे 19 हजार मतों के भारी अंतर से जीते. वे प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष पद के दावेदार थे, लेकिन उन्हें यह पद नहीं दिया गया.

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बीजेपी सिर्फ नारे देती है : रावत

बीजेपी ने इस बार मध्यप्रदेश में सभी 29 सीटों (Mission 29 in Madhya Pradesh) का लक्ष्य तय कर नारा भी दिया है? इस सवाल पर रावत ने कहा कि बीजेपी को नारे देने में महारथ है. लेकिन मैं समझता हूं कि इस बार किसान की और यूथ की जन भावनाएं बीजेपी के पक्ष में दिखाई नहीं दे रही हैं.

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बीजेपी हमेशा वादे करती है लेकिन पूरे नहीं करती. अब वे मोदी की गारंटी की बात कर चुनाव में उतर रहे हैं लेकिन यही मोदी (PM Modi) हैं, जिन्होंने पिछले चुनाव में युवाओं को दो करोड़ रोजगार (2 Crore Job) देने का वादा किया था, मुद्रा की कीमत मजबूत करेंगे, किसानों की आय दोगुनी करेंगे यह सब कहा था लेकिन ये सब बहुत बड़े झूठ थे.

इस तरह से सारे वादे झूठ निकले बाद में तो अमित शाह (Amit Shah) जी ने भी कह दिया कि चुनावी वादे तो सिर्फ जुमले होते हैं. यह गारंटी भी यही है.  किसानों के साथ जो दुर्व्यवहार सरकार ने किया ये किसी से छुपा नही है, बेरोजगारी चरम पर है, लेकिन सरकारी संस्थानों में पद खाली पड़े है. हां, उन्होंने धर्म के नाम पर राजनीति करने की कोशिश जरूर की है, लेकिन लंबे समय तक यह नहीं चलता. जनता इसकी असलियत भी समझ चुकी है. इसलिए इस बार बदलाव की लहर का अंडर करंट है. 2024 में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा होने वाला है.

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विधानसभा में खराब प्रदर्शन को लेकर यह कहा

जब राम निवास रावत से पूछा कि इन सब बातों के बावजूद 2023 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब क्यों रहा? इस पर रावत ने खुलकर कहा कि कुछ दिक्कते तो हैं. जब लीडर कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनते, उनकी भावनाओं की अनदेखी करके निष्ठावान कार्यकर्ताओं की भावनाओं की अनदेखी करके निर्णय लेते हैं, तब ऐसी स्थिति बनती है.

रावत का मानना है कि कई निर्णय ऐसे हुए जिन पर ध्यान देना चाहिए. बीजेपी वोट लेने के लिए निर्णय लेती है. वह हमेशा इलेक्शन मोड में रहती है, जबकि कांग्रेस चुनाव आने के कुछ दिन पहले ही चुनाव की बात सोचना शुरू करती है और उस समय भी वह इस बात पर कोई विचार नहीं करते कि हम वोट कैसे बढ़ा सकते हैं उदाहरण के लिये CM का चयन ही देखें. कोई नहीं समझ सकता था कि मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाएंगे लेकिन यादव वोट जोड़ने थे तो बना दिया.

छत्तीसगढ़ में आदिवासी और राजस्थान में ब्राह्मण सीएम दिया. इसी तरह राज्यसभा के टिकट भी ऐसे बांटे. एक टिकट बाल्मीक बाबा को दिया तो इस तरह से वोटों को किस तरह अपनी तरह आकर्षित कर बढाया जाए, बीजेपी इस पर काम करती है.

रावत कहते हैं राहुल गांधी जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं. पिछड़े समाज के लोगों के साथ खड़े होने के लिए काम कर रहे हैं. वे ये सब बात कर रहे हैं लेकिन निर्णय जो होते है वो एकदम दूसरी तरफ चले जाते हैं यह एक समस्या कांग्रेस में है. जो कहते हैं उसको वैसा इंप्लीमेंट नहीं करते. कहीं न कहीं कमजोरी रहती है. अगर जो कहते है उसको करें तो कांग्रेस मजबूत होगी. लोगों को कांग्रेस से जोड़ने के लिए भी काम किया जाना चाहिए.

कांग्रेस से बीजेपी में जाने वाले नेताओं को लेकर क्या कहा?

कांग्रेस से लगातार नेता बीजेपी की तरफ भाग रहे हैं. इस सवाल पर रावत ने कहा कि यह तो समय के हाथ में रहता है. मैं समझता हूं कि लोग कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा और विश्वास मजबूत नहीं कर पा रहे हैं जबकि ऐसा नहीं है. एक दौर ऐसा भी आया था कि बीजेपी सिर्फ दो सांसदों पर सिमट गई थी.

कभी निराश नहीं होना चाहिए, बदलाव आता, लेकिन जिस तरह से बीजेपी लोगों को दबाने, सीबीआई (CBI), ईडी (ED) भेजने और स्थानीय तौर पर किसी का क्रेसर, कॉलेज या व्यापार बन्द कराके दबाव बनाने, डराने, मकान तुड़वाने जैसे काम करने लगी है, उससे भी लोगों में डर और भय बना हुआ है. जो कार्यवाही से डर रहे है वही लोग पार्टी छोड़कर अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए बीजेपी में जा रहे हैं. लेकिन वहां भी जो गए हैं वे खुश नहीं हैं.

जब रावत से पूछा गया कि आपके भी नाराज होने और बीजेपी में जाने की खबरें उड़ती रहती हैं? इस सवाल का रावत ने दो टूक जवाब दिया. उन्होंने कहाकि मैं बागी न हुआ, न होऊंगा. मैं कांग्रेस में था, कांग्रेस में हूं और कांग्रेस में रहूंगा. लेकिन हां, पार्टी के कुछ निर्णयों से मेरी असहमति हो सकती है. उसे व्यक्त करता हूं है और करता रहूंगा. हम चाहते हैं पार्टी सही रास्ते पर आये, पार्टी आगे बढ़े और अगला चुनाव जीते. राहुल गांधी जी जो कहते है अगर हम अमल करें तो हम अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.

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