NDTV Exclusive Interview With Archaeologist KK Muhammed: भारत के क्षेत्रीय पुरातत्व सर्वे के मुखिया (Former ASI Regional Director) रहे और देश के जाने माने आर्कियोलॉजिस्ट पद्मश्री केके मोहम्मद (Archaeologist KK Muhammed) का मानना है कि धार की भोजशाला (Dhar Bhojshala) सरस्वती माता का मंदिर (Saraswati Temple) था, और यह एक प्रमाणित सत्य है. उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर, कृष्ण मन्दिर, ज्ञानव्यापी या फिर काशी के मंदिर, ये सब हिंदुओं के लिए वही स्थान रखते हैं जो मुसलमान के लिए मक्का मदीना है. उन्होंने कहा कि यह बात देश के मुसलमानों को समझना चाहिए और आगे बढ़कर यह बात कहना भी चाहिए. ऐसे तमाम मामलों पर केके मोहम्मद से एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए कई दावे किए.
मंदिर को मस्जिद बनाया गया
पहले अयोध्या, मथुरा और अब धार, ऐसे तमाम धार्मिक स्थलों पर सर्वे चल रहे हैं. जब केके मोहम्मद से पूछा गया कि आर्कियोलॉजी के हिसाब से देखें तो धार का क्या मामला है? इस पर उन्होंने कहा कि यह तो स्पष्ट है कि यह पहले से ही सरस्वती मन्दिर था, जो बाद में कमाल मस्जिद में कन्वर्ट किया गया. इसमें कोई शक नहीं है लेकिन अब हमारा जो धार्मिक पूजा स्थल एक्ट 1991 है उसके मुताबिक जो भी 1947 में मोन्यूमेंट का जो स्टेटस था, वही बहाल रहेगा. यानी अगर वह हिन्दू स्थल था तो हिन्दू रहेगा और अगर वह मुस्लिम था तो फिर मुस्लिम रहेगा. इसमें किसी दूसरे समाज का पूजा करना स्वीकार्य नहीं है. सिर्फ श्रीराम जन्मभूमि को छोड़कर, कानूनी स्थिति यह है अब जो भी कोर्ट डिसीजन देगा हम लोगों को मानना पड़ेगा.
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मुस्लिम समाज से की यह अपील
केके मुहम्मद स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि मुसलमानों को कुछ चीजें समझना चाहिए. जैसे कि उस जमाने में बहुत सारे मन्दिर तोड़े गए, कत्ले आम भी हुआ, ये हिस्टॉरिकल फैक्ट्स हैं. मथुरा हो, या ज्ञानवापी हो या राम मंदिर हो ये सब हिंदुओं के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना मुसलमानों के लिए मक्का मदीना है. इसीलिये मुसलमानों को आम हिंदुओं के जज्बातों को समझना चाहिए और खुद ही आगे आकर इन्हें हिंदुओं को सौंप देना चाहिए क्योंकि मथुरा श्रीकृष्ण का जन्मस्थान से ताल्लुक रखता है, ज्ञानवापी शिवजी से जुड़ा है. राम जन्मभूमि राम जी से जुड़ा हुआ है. ज्ञानवापी का परिवेश अलग है बाकी उन्हीं का जन्मस्थान है.
केके मुहम्मद ने कहा कि यह बात मुसलमानों को समझना चाहिए कि हिन्दू समाज इन्हें दूसरी जगह शिफ्ट नहीं कर सकते क्योंकि उनके लिए ये जन्मस्थान हैं, लेकिन एक मुस्लिम के लिए ये जन्मस्थान नहीं है, क्योंकि प्रॉफिट मोहम्मद का यह जन्म स्थान नहीं है. उनका इससे सीधे कोई संबंध भी नहीं है. यहां तक कि प्रॉफिट मोहम्मद के बाद इस्लाम में जो सबसे महत्वपूर्ण लोग हैं वह हैं उनके खलीफा. ये चार खलीफा हैं हजरत अबू बकर, हज़रत उस्मान, हजरत उमर और हज़रत अली. इन चारों से भी कोई एसोसिएशन नहीं है.
केके मुहम्मद कहते हैं कि इसी तरह जो बड़े लोग या कोई बड़े आलिम या औलिया लोग थे मसलन निज़ामुद्दीन औलिया हैं या ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती हैं इन लोगो से भी कोई ताल्लुक नहीं है. अगर इनमें से कहीं भी कोई ताल्लुक होता तो भी कोई क्लेम होता, लेकिन इनमें से किसी का कोई ताल्लुक है ही नहीं. इसलिए मुसलमानों को हिंदुओं की भावनाओं को समझना चाहिए और उनके लिए इन महत्वपूर्ण जगहों को खुद ही छोड़ देना चाहिए. ये नही कि उन्हें ये किसी लीगल प्रक्रिया के तहत हासिल करना पड़े जैसा अयोध्या में हुआ.
ज्ञानवापी का इतिहास में भी है जिक्र
केके मुहम्मद ने कहा कि ज्ञानवापी जन्मस्थान नहीं है लेकिन शिवजी से एसोसिएटेड है. ये पहले मंदिर था उसमें तो कोई शक नहीं है. एक किताब है म्हश्री आलमगीरी, यह औरंगजेब के जमाने की लिखी हुई है. उसमें तो साफ लिखा है कि ये मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाया है. एक और लेखक मुस्ताक हैं उन्होंने भी लिखा है. इसी तरह मथुरा के बारे में भी लिखा है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाया है. इसलिए जो हुआ है वह गलत हुआ है. लेकिन ये मीडिएवल जमाने में हुआ है. आजकल का मुसलमान उसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं. लेकिन मैं आजकल के मुसलमानों को तब जिम्मेदार ठहराउंगा जब आज के मुसलमान उस काल की बातों को जस्टिफाई करने की कोशिश करेंगे.
केके मोहम्मद ने कहा कि मैं इन तीन-चार पावन स्थलों की बात कर रहा हूं. अब अगर हिन्दू समाज 3000 या 4000 की लिस्ट लेकर खड़ा होता है तो विवाद को रोक नहीं पाएंगे. इसमें एक बैलेंस थिंकिंग रखनी होगी, लेकिन इसकी शुरुआत तो मुस्लिम समाज को ही करना होगी. दोनों धार्मिक समाज के लीडर को एक साथ बैठकर सोचना चाहिए. वहीं भोजशाला को लेकर चल रहे विवाद पर मोहम्मद ने साफ कहा कि यह स्पष्ट है कि वहां सरस्वती मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, लेकिन पूजा को लेकर जो व्यवस्था है वही लागू रहनी चाहिए. लेकिन अब इसमें कोर्ट तय करेगा.
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